जयपुर. कोरोना के बढ़ते संक्रमण के कारण मुख्यमंत्री अशोक गहलोत 1 महीने के लिए अपनी तमाम मुलाकातें रद्द कर दी थी. हलांकि वीसी के माध्यम से मुख्यमंत्री लगातार सरकारी कामकाज पूरे कर रहे हैं, लेकिन कांग्रेस के कृषि बिलों के विरोध में किए जा रहे प्रदर्शन को लेकर शुक्रवार को किसानों के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कांग्रेस मुख्यालय पर अपनी बात रखी.
तीनों कृषि बिलों के विरोध में शुक्रवार को राजस्थान प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, कांग्रेस महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, मेनिफेस्टो कमेटी के अध्यक्ष ताम्रध्वज साहू, सदस्य अमर सिंह, छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव ने एक संयुक्त प्रेस वार्ता की. इस दौरान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि जिस तरीके से कांग्रेस के नेताओं को दिल्ली से जयपुर आकर अपनी बात रखने की आवश्यकता हुई है, वह अपने आप में बताता है कि यह तीनों बिल कितने बड़े किसान विरोधी हैं.
'पूरे देश का किसान सड़कों पर है'
गहलोत ने कहा कि आज पूरे देश का किसान उन तीनों कृषि बिलों के चलते सड़कों पर है, लेकिन केंद्र सरकार जिस तरह से बेशर्मी से फैसले ले रही हैं, देश में वह सब के सामने है. उन्होंने कहा कि जब से केंद्र में NDA गवर्नमेंट आई है तब से चाहे नोटबंदी हो, जीएसटी हो या लॉकडाउन का फैसला हो और अब किसानों के यह तीन बिल लाने की बात हो, एक तरफा बिना किसी से बात किए हुए यह निर्णय लिए जा रहे हैं.
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सीएम गहलोत ने कहा कि इसमें तो किसान खुद ही स्टेकहोल्डर है और इसमें किसानों की भागीदारी थी. बगैर किसानों के संगठनों से बात किए और व्यापारियों से बात किए जो 40 साल पुराना कानून बदला गया और जिस मंडी को विकसित होने में 40 से 50 साल लगे, उनको एक-एक करके उखाड़ फेंकने का निर्णय ले रहे हैं. केंद्र सरकार चाहती है कि व्यापारियों और पूंजीपतियों को यह अधिकार दे दो कि वह कुछ भी कर ले. इससे कल्पना की जा सकती है कि आने वाले वक्त में क्या हालात हो सकते हैं.
'तीनों बिलों को पास करने से पहले किसी की बात नहीं सुनी गई'
गहलोत ने कहा कि किसान समझदार है और वह जानता है कि उसके हित किस रूप में सुरक्षित रह सकते हैं. उन्होंने कहा कि अब जब विरोध हो रहा है तो केंद्र सरकार डिफेंस में आकर एमएसपी की बात कर रही है, लेकिन जो कानून बना है उसमें एमएसपी का क्यों इस्तेमाल नहीं किया गया. जिस रूप में यह तीनों बिल पास किए गए हैं, उसमें किसी की बात नहीं सुनी गई.
'ये विशिष्टवाद सोच के लोग हैं'
मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा कि हाउस में ना तो रेजोल्यूशन आने दिया गया और बिना चर्चा के यह बिल पास कर दिया गया. इसी के चलते सभी विरोधी दल के नेताओं ने राष्ट्रपति से बात की है कि वह इस पर हस्ताक्षर नही करें. यही कारण है कि इतना बड़ा आंदोलन शुरू हुआ है. उन्होंने कहा कि यह विशिष्टवाद सोच के लोग हैं, इसलिए इस तरह के काम कर रहे हैं कि मामला डाइवर्ट हो.
सीएम ने कहा कि आज बॉर्डर पर चाइना की स्थिति, इकोनामिक स्लोडाउन हो रहा है, राज्यों के साथ जीएसटी के वादे लिखित में समझौते हुए थे, लेकिन केंद्र सरकार राज्य सरकारों के साथ लिखित समझौतों को नहीं मान रही है तो फिर कल को अगर किसान और व्यापारी के बीच में अगर कोई विवाद हुआ तो फिर उसे कैसे निपटाया जाएगा.
'बहुत बड़ी बर्बादी के लक्षण दिख रहे हैं'
उन्होंने कहा कि अभी तो कृषि मंडी की समितियों में यह मामला निपट जाता है. अब अगर कोई विवाद होगा तो पहले एसडीओ के पास जाओ, फिर कलेक्टर से अपील करें. उन्होंने कहा कि जो भी प्रोविजन किए गए वह किसान विरोधी हैं और यह बहुत बड़ी बर्बादी के लक्षण दिख रहे हैं.