जयपुर. सीएम अशोक गहलोत ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की ओर से चलाए गए 'स्पीक अप इंडिया' अभियान को देश के लाखों मजदूरों की आवाज को बुलंद करने वाला बताया है. गहलोत ने एक वीडियो मैसेज जारी करते हुए कहा कि कोरोना संकट में केन्द्र सरकार ने जिस तरह अचानक लॉकडाउन किया. उससे पूरे देश को जो तकलीफ हुई, उसे शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता.
सीएम ने कहा कि मजदूर पैदल चल रहे हैं, रास्ते में डिलीवरी हो रही है, लोग मारे जा रहे हैं, ऐसे दृश्य ह्रदय विदारक और विचलित करने वाले हैं. ऐसा पहली बार हो रहा है कि ट्रेन चलती है बॉम्बे से पटना के लिए और पहुंच जाती है उड़ीसा. ऐसा पहले कभी नहीं हुआ. इस समय केन्द्र सरकार की जो संवेदनशीलता होनी चाहिए, वो नजर नहीं आती है. गहलोत ने कहा कि नहीं तो, मजदूरों के इतने लंबे समय से पैदल चलने की नौबत नहीं आती. केन्द्र को राज्यों के लिए एडवाइजरी जारी करनी चाहिए थी कि वो अपने-अपने राज्यों से बसें लगाकर यह सुनिश्चित करें कि उनके राज्य में एक भी मजदूर पैदल नहीं चलना चाहिए, यह संकट तीन दिन में समाप्त हो सकता था. जैसा कि राजस्थान ने किया.
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गहलोत ने कहा कि बड़ा दु:ख है कि देश में लापरवाही का जो माहौल है, उससे लोग चिंतिंत हो गए हैं. प्रधानमंत्री ने थाली और ताली बजवाई, लोगों ने उसे स्वीकार करके साथ दिया. लेकिन देश में आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक रूप से जो बैंड बज रहा है, वो काफी दु:खद है. लॉकडाउन 4.0 के बाद भी आर्थिक गतिविधियां सही से शुरू नहीं हो पा रही हैं और न ही कोरोना के केस रूक पा रहे हैं. राज्य सरकारें कोविड- 19 से लड़ने की पूरी कोशिश कर रही हैं. ऐसे में केन्द्र सरकार को चाहिए था कि वो राज्यों की मांग के बिना ही आगे आकर राज्यों को आर्थिक पैकेज देती. चाहे राज्यों में किसी भी पार्टी की सरकार क्यों न हो.
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गहलोत ने कहा कि केन्द्र सरकार ने 20 लाख करोड़ के जिस आर्थिक पेकेज की घोषणा की है, उसमें 90 फीसदी घोषणाएं लोन के रूप में हुई हैं. उससे कोई फायदा नहीं मिलने वाला. जब तक कि गरीब, दिहाड़ी, बीपीएल, स्टेट बीपीएल और अन्त्योदय वालों की जैब में पैसा नहीं जाएगा. जब तक पैसा नहीं जाएगा, तब तक वो खर्च कैसे करेगा. जब तक खर्च नहीं करेगा तो परचेजिंग पावर नहीं बढ़ेगी. खर्च होगा तो अर्थव्यवस्था पटरी पर आएगी, लेकिन दुर्भाग्य से इस ओर किसी का ध्यान नहीं जा रहा है.
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सीएम ने कहा कि दुकानदार दुकान खोल रहे हैं, लेकिन माल नहीं बिक रहा. इसलिए सोनिया गांधी ने कहा था कि लॉकडाउन करते ही 21 दिन का एडवांस नरेगा मजदूरों को दिया जाए. लेकिन उनकी बात सुनी नहीं गई. अभी भी कांग्रेस की मांग है कि गरीब परिवार को 10 हजार रुपए दीजिए, ताकि उसकी परचेजिंग पावर बढ़ सके. गरीबों के लिए पैकेज दिया जाना चाहिए. राहुल गांधी ने पहले भी कहा है कांग्रेस पार्टी संकट के इस समय में सरकार के साथ मिलेगी.
गहलोत ने कहा कि विपक्ष कोई सलाह देता है तो उसे मानना नहीं मानना सरकार का काम है, लेकिन सलाह पर आलोचना करना दुर्भाग्यपूर्ण है. कांग्रेस ने इस आह्रवान के जरिए लाखों लोगों की भावना व्यक्त की है. ताकि केन्द्र का ध्यान आकर्षित किया जा सके. साथ ही आने वाले सयम में गरीब का भला हो सके. अर्थव्यवस्था की गाड़ी पटरी पर आ सके. स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने की बात पर ध्यान जा सके. गहलोत ने कहा है कि मुझे उम्मीद है कि केन्द्र सरकार बिना टीका टिप्पणी किए इसे एक मैसेज के रूप में लेगी.