जयपुर. राजस्थान में शुरू हुई आयुष्मान भारत महात्मा गांधी राजस्थान स्वास्थ्य बीमा योजना से 1 करोड़ 10 लाख लोगों को फायदा मिलेगा. योजना में किसी तरीके का फ्रॉड ना हो इसके लिए एंटी फ्रॉड इकाई का गठन किया गया है. इस योजना के तहत 1800 करोड़ का खर्च आएगा. जिसमें 400 करोड़ केंद्र सरकार देगी. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि राजस्थान की तरह केंद्र सरकार बाकी राज्यों में भी इसे लागू करे. नेशनल फूड सिक्योरिटी योजना और सोशल इकोनामिक सर्वे में शामिल लाभार्थियों को भी इस योजना में शामिल किया गया है.
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राजस्थान में शनिवार से आयुष्मान भारत महात्मा गांधी राजस्थान स्वास्थ्य बीमा योजना की शुरुआत कर दी है. इस दौरान अशोक गहलोत ने कहा इस योजना को सही से लागू करने के लिए और इसका फायदा हर किसी को मिले इसके लिए एंटी फ्रॉड इकाई का गठन किया जाएगा, जिससे की योग्य लोगों को ही इसका फायदा मिले. गहलोत ने इस योजना की शुरूआत करते हुए कहा कि राजस्थान में हर क्षेत्र में अलग बीमारियां होती हैं और प्राथमिक सेवा केंद्रों और सीएससी के बीच में कई किलोमीटर का अंतर है. ऐसे में स्वास्थ्य सेवाओं को कैसे बेहतर किया जाए यह प्रयास इस योजना का है.
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मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछली बार जब हम सरकार में आए तो फ्री मेडिसिन और फ्री जांच योजना शुरू की. प्रदेश में भामाशाह योजना पहले से चल रही थी और केंद्र सरकार की आयुष्मान भारत की योजना भारत सरकार की थी. राजस्थान में इन दोनों को मर्ज किया है, जिससे लाभार्थियों का दायरा बढ़ गया है. इस फैसले से राजस्थान सरकार पर ज्यादा आर्थिक भार पड़ेगा लेकिन हमारे दिमाग में यह बात थी कि हम जब पहले स्वास्थ्य सेवाओं का बेहतर काम कर चुके हैं. राजस्थान के पड़ोसी राज्यों से भी यहां गरीब लोग इलाज करवाने आते हैं.
उन्होंने कहा कि इस योजना में पहले प्रदेश को 1750 करोड़ खर्च होने की उम्मीद थी लेकिन अब कोविड-19 के चलते योजना का खर्च बढ़कर 1800 करोड़ पहुंचने का अंदाजा है. 80% खर्च राजस्थान सरकार उठाएगी. राजस्थान सरकार 1400 करोड़ रुपए देगी और भारत सरकार 400 करोड़ देगी. इस योजना के तहत प्रदेश में एक करोड़ 10 लाख परिवारों को फायदा मिलेगा. इस योजना से राजस्थान की एक तिहाई जनता कवर होगी. मुख्यमंत्री ने बताया कि भारत सरकार का जो क्राइटेरिया है, इसमें यूपीए सरकार ने सोशल इकोनामिक सर्वे किया था हालांकि बाद में इसे आउट नहीं किया गया लेकिन भारत सरकार का आधार वहीं है और उसके अनुसार ही भारत सरकार की आयुष्मान योजना चलती है.
राजस्थान के भी 70 लाख लोग उसमें कवर होते थे. यूपीए सरकार की जो खाद्य सुरक्षा कानून बनाया वह करीब 19 लाख के आसपास थी. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना और सोशल इकोनामिक कम्युनिटी सर्विस दोनों को इस स्कीम में जोड़ दिया गया है. मुख्यमंत्री ने इस योजना को लेकर खास बात यह कही की राजस्थान में इस योजना में योग्य लोगों को फायदा मिले इसके लिए इसमें एंटी फ्रॉड इकाई बनाई है. उन्होंने कहा कि पहले यह शिकायतें थी कि एक ही बीमारी के 10 ऑपरेशन होते थे जो एक ही अस्पताल में होते थे. हम चाहते हैं कि इसमें कोई बेईमानी नहीं हो. क्योंकि सरकार के इस योजना में 1800 करोड़ रुपए खर्च होंगे.
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एंटी फ्रॉड इकाई यह देखेगी कि जो बीमा कंपनी कह रही है और जो प्राइवेट अस्पताल कह रहा है उसमें से सही बात किसकी है. ताकि स्कीम जिस मकसद से लाई गई है वो पूरा हो. उन्होंने कहा कि जब हमने प्रदेश में फ्री मेडिसन स्कीम शुरू की थी तब भी हमने आंध्रप्रदेश से स्टडी करवाई. उसमें मालूम पड़ा कि हमें कई जगह इसमें शिकायत होती हैं और प्रीमियम का मिस यूज होता है. इसलिए उस वक्त हमने इस योजना को आंध्रप्रदेश की योजना को एक्सेप्ट नहीं किया था और अपनी फ्री योजना फ्री मेडिसिन और फ्री जांच योजना लेकर आए. जिसका अच्छा परिणाम निकला. अब भारत सरकार की स्कीम भी आ गई और भामाशाह अभी चल रही थी तो हमने दोनों स्कीमों को मिलाकर यह योजना चालू की है.
योजना को लागू करते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि सरकार योजना तो लेकर आती है लेकिन उसके बारे में आम लोगों को पता नहीं चल पाता है. उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि पिछली बार जब वह मुख्यमंत्री थे तो मुख्यमंत्री जीवन रक्षा कोष लागू किया था लेकिन उस समय भी यह महसूस किया कि लोगों को इसके बारे में पता ही नहीं चला. जब मैं चुनाव प्रचार में गया तो भी मैंने लोगों से पूछा था उनको पता ही नहीं होता था अगर सबको मालूम होता तो इससे गरीबों को लाभ मिलेता.
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्राइवेट अस्पतालों में कितना बड़ा बिल बनता है वह हम सब जानते हैं. उसमें 5 लाख तक का सहारा अगर मिल जाए तो यह बहुत बड़ी बात है. स्वास्थ्य को लेकर महात्मा गांधी ने कहा था कि स्वास्थ्य ही सबसे बड़ी संपत्ति है. राजस्थान कोरोना वैक्सीनेशन को लेकर सबसे अच्छा काम करने वाले स्टेट में शामिल है. मुख्यमंत्री ने कहा कि कोविड-19 में राजस्थान और तमिलनाडु दो ही राज्य हैं जहां सिर्फ आरटी पीसीआर टेस्ट हुए , बाकी सभी राज्यों में एंटीजन टेस्ट हुए जो बिल्कुल बकवास टेस्ट है, उसमें 70% गलत रिजल्ट आते हैं.
गहलोत ने केंद्र सरकार से मांग की कि राजस्थान की तरह केंद्र सरकार खाद्य सुरक्षा योजना में आने वाले और सोशल इकोनामिक सर्वे दोनों सर्वे को पूरे देश में लागू करे और प्रीमियम पर कोई अपर कैप ना लगाएं. मुख्यमंत्री ने कहा कि राजस्थान में जो 80000 हजार स्वास्थ्य मित्र बनाए गए हैं वह भी राज्य सोशल वर्कर हैं, हम चाहते हैं कि इस योजना की मॉनिटरिंग में उनका भी उपयोग किया जाए ताकि शिकायत कम से कम आएं.