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Jal Jeevan Mission Review Meeting: टाइमलाइन में पूरे हों जल जीवन मिशन के सभी कार्य- CM अशोक गहलोत

जल जीवन मिशन के कार्य में हो रही देरी पर सीएम गहलोत ने नाराजगी जताते हुए कहा कि राज्यों की भौगोलिक स्थितियों और हर घर तक स्वच्छ पेयजल पहुंचाने की ध्यान में रखते हुए जल जीवन मिशन एक महत्वपूर्ण योजना है. पिछले कुछ समय में प्रदेश में इस योजना के कार्याें को काफी गति मिली है. संबंधित विभाग और अधिकारी इस योजना से जुड़े कार्यों को और गति देकर निर्धारित लक्ष्यों को समय पर हासिल करें, ताकि गांव-ढाणी तक लोगों को नल के माध्यम से जल उपलब्ध हो सके.

Jal Jeevan Mission Review Meeting
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Published : Jan 6, 2022, 8:36 PM IST

जयपुर. सीएम गहलोत ने गुरूवार को मुख्यमंत्री निवास से वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से जल जीवन मिशन की समीक्षा बैठक (Jal Jeevan Mission Review Meeting) की. बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि इस मिशन के तहत प्रदेश में अब तक 52 हजार 647 करोड़ रूपए की स्वीकृतियां जारी होना अच्छा संकेत है. इसमें 8 हजार 20 एकल जल प्रदाय परियोजनाएं और 120 वृहद् परियोजनाएं शामिल हैं.

CM ने दिए टाइमलाइन के अनुरूप पूरा करने के निर्देश : सीएम गहलोत ने कहा कि अधिकारी इन परियोजनाओं का कार्य निर्धारित टाइमलाइन के अनुरूप पूरा करना सुनिश्चित करें. आमतौर पर देखा जाता है कि पेयजल से जुड़ी परियोजनाओं में विलम्ब के कारण संबंधित क्षेत्र के लोगों को लाभ मिलने में देरी होती है. साथ ही, योजनाओं की लागत भी बढ़ जाती है. अधिकारी यह ध्यान रखें कि जल जीवन मिशन से जुड़ी परियोजनाओं में किसी तरह की देरी ना हो. साथ ही उन्होने कहा कि इन परियोजनाओं में कार्य भी गुणवत्तापूर्ण हो, इसके लिए प्रभावी कार्ययोजना के साथ काम किया जाए और कार्याें की निरंतर मॉनिटरिंग भी सुनिश्चित की जाए.

यह भी पढ़ें- राजस्थान जल जीवन मिशन बैठक : माइक्रो मॉनिटरिंग से होगा हर घर जल कनेक्शन के लक्ष्यों पर फोकस..

लागत को कम करने का प्रयास करें अधिकारी

गहलोत ने कहा कि राजस्थान की भौगोलिक स्थितियां विषम होने के कारण यहां परियोजनाओं की लागत अन्य राज्यों के मुकाबले अधिक आती है, लेकिन अधिकारी उचित प्रबंधन कर इस लागत को कम करने का भी प्रयास करें. जल जीवन मिशन में राज्य की बराबर की हिस्सेदारी है और आर्थिक चुनौतियों के बावजूद राज्य सरकार आमजन के हित में एक बड़ा खर्च कर रही है. ऐसे में योजना में किसी तरह की ढिलाई नहीं रहे और धरातल पर इसके सार्थक परिणाम दिखने चाहिए.

यह भी पढ़ें- Gehlot on PM Security Breach: भाजपा और RSS के खून में ही हिंसा है, चन्नी एक दलित मुख्यमंत्री इसलिए किया जा रहा टारगेट

राजस्थान की समस्या से केंद्र को अवगत कराने के आदेश

मुख्यमंत्री ने कहा कि राजस्थान में प्रति हाउसहोल्ड कनेक्शन पर 50 हजार रूपए से ज्यादा का खर्च आता है, जबकि उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में यह खर्च करीब 30 हजार रुपए के आसपास है. उन्होंने निर्देश दिए कि इस संबंध में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री को फिर पत्र लिखकर राजस्थान की समस्या से अवगत कराया जाए.

जयपुर. सीएम गहलोत ने गुरूवार को मुख्यमंत्री निवास से वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से जल जीवन मिशन की समीक्षा बैठक (Jal Jeevan Mission Review Meeting) की. बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि इस मिशन के तहत प्रदेश में अब तक 52 हजार 647 करोड़ रूपए की स्वीकृतियां जारी होना अच्छा संकेत है. इसमें 8 हजार 20 एकल जल प्रदाय परियोजनाएं और 120 वृहद् परियोजनाएं शामिल हैं.

CM ने दिए टाइमलाइन के अनुरूप पूरा करने के निर्देश : सीएम गहलोत ने कहा कि अधिकारी इन परियोजनाओं का कार्य निर्धारित टाइमलाइन के अनुरूप पूरा करना सुनिश्चित करें. आमतौर पर देखा जाता है कि पेयजल से जुड़ी परियोजनाओं में विलम्ब के कारण संबंधित क्षेत्र के लोगों को लाभ मिलने में देरी होती है. साथ ही, योजनाओं की लागत भी बढ़ जाती है. अधिकारी यह ध्यान रखें कि जल जीवन मिशन से जुड़ी परियोजनाओं में किसी तरह की देरी ना हो. साथ ही उन्होने कहा कि इन परियोजनाओं में कार्य भी गुणवत्तापूर्ण हो, इसके लिए प्रभावी कार्ययोजना के साथ काम किया जाए और कार्याें की निरंतर मॉनिटरिंग भी सुनिश्चित की जाए.

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लागत को कम करने का प्रयास करें अधिकारी

गहलोत ने कहा कि राजस्थान की भौगोलिक स्थितियां विषम होने के कारण यहां परियोजनाओं की लागत अन्य राज्यों के मुकाबले अधिक आती है, लेकिन अधिकारी उचित प्रबंधन कर इस लागत को कम करने का भी प्रयास करें. जल जीवन मिशन में राज्य की बराबर की हिस्सेदारी है और आर्थिक चुनौतियों के बावजूद राज्य सरकार आमजन के हित में एक बड़ा खर्च कर रही है. ऐसे में योजना में किसी तरह की ढिलाई नहीं रहे और धरातल पर इसके सार्थक परिणाम दिखने चाहिए.

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राजस्थान की समस्या से केंद्र को अवगत कराने के आदेश

मुख्यमंत्री ने कहा कि राजस्थान में प्रति हाउसहोल्ड कनेक्शन पर 50 हजार रूपए से ज्यादा का खर्च आता है, जबकि उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में यह खर्च करीब 30 हजार रुपए के आसपास है. उन्होंने निर्देश दिए कि इस संबंध में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री को फिर पत्र लिखकर राजस्थान की समस्या से अवगत कराया जाए.

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