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कोविड की चुनौती में आयुष चिकित्सा पद्धतियों की विशेष भूमिका: CM गहलोत

सीएम अशोक गहलोत ने मंगलवार को वीसी के माध्यम से आयुर्वेद एवं भारतीय चिकित्सा विभाग की समीक्षा बैठक की. इस दौरान उन्होंने कहा कि कोविड की चुनौती में आयुष चिकित्सा पद्धतियों की विशेष भूमिका है.

VC of CM Ashok Gehlot,  Corona epidemic
सीएम अशोक गहलोत
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Published : May 11, 2021, 10:52 PM IST

जयपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि कोरोना का संक्रमण शहरों के साथ-साथ गांवों में और युवाओं में भी तेजी से फैल रहा है. साथ ही मौतों की संख्या भी बढ़ी है. प्रदेश के अस्पतालों, चिकित्सकों, पैरामेडिकल स्टाफ पर अत्यधिक दबाव है. संकट की इस घड़ी में रोगियों के बेहतर उपचार और इस चुनौती से लड़ने के लिए जरूरी है कि आयुष पद्धतियों और इनसे जुडे़ तमाम संसाधनों का भी समुचित उपयोग सुनिश्चित हो.

पढ़ें- राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ CM गहलोत का संवाद, कहा- मानव सेवा के लिए एकजुट होने का समय

सीएम गहलोत ने कहा कि पहली लहर में आयुष पद्धति के माध्यम से कोरोना की जंग लड़ने में बड़ी मदद मिली थी. दूसरी लहर में भी इन पद्धतियों के सहयोग से हमें गांव-ढाणी तक लोगों की जीवन रक्षा में आसानी होगी. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत मंगलवार शाम को मुख्यमंत्री निवास पर वीडियो काॅन्फ्रेंस के माध्यम से आयुर्वेद एवं भारतीय चिकित्सा विभाग की समीक्षा बैठक की.

गहलोत ने कहा कि आयुष की भारतीय चिकित्सा पद्धतियां इतनी कारगर हैं कि उनमें बिना दुष्प्रभावों के गंभीर एवं जटिल रोगों का जड़ से निदान करने की क्षमता मौजूद है. आवश्यकता इस बात है कि इन पद्धतियों के बारे में लोगों को अधिक से अधिक जानकारी देकर इनके उपयोग को बढ़ावा दिया जाए. राज्य सरकार इस दिशा में तमाम प्रयास कर रही है. बजट में कई घोषणाएं की गई हैं, जिनसे आयुर्वेद, यूनानी, होम्योपैथी, योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति को प्रोत्साहन मिलेगा.

सीएम ने कहा कि हमारे बीच में से ही ऐसे कई उदाहरण मिलेंगे, जिनमें लोग आयुष पद्धतियों को अपनाकर कोरोना सहित अन्य गंभीर बीमारियों से सफलतापूर्वक लड़ पाए. यह पद्धतियां हमारे जीवन शैली, योग, आहारचर्या एवं ऋतुचर्या आदि से जुड़ी हुई हैं. अगर पूरे संयम और अनुशासन के साथ इनका पालन करें तो हम निरोगी बने रह सकते हैं. कोविड की इस आपदा में इन पद्धतियों की भूमिका और महत्वपूर्ण हो जाती है.

पढ़ें- CM गहलोत ने मरीज को भर्ती और रेफर करने के लिए निशुल्क एंबुलेंस सुविधा के दिए निर्देश

मुख्यमंत्री ने कहा कि आयुष विभाग ने कोरोना की पहली लहर में आयुर्वेदिक काढ़े, यूनानी काढ़े, क्वाथ, आर्सेनिक एल्बम जैसी दवाओं से लोगों की रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने का प्रयास किया, उससे हमें काफी मदद मिली थी. दूसरी लहर में भी लोगों को जागरूक करने, कोरोना से बचाव और गांव-गांव तक फैली अपनी स्वास्थ्य सुविधाओं के माध्यम से विभाग संकट की इस घड़ी में निरंतर अपनी भूमिका निभाए.

आयुष चिकित्सा पद्धतियों की विशेष भूमिका: रघु शर्मा

आयुर्वेद एवं भारतीय चिकित्सा विभाग के मंत्री डाॅ. रघु शर्मा ने कहा कि निरोगी राजस्थान के संकल्प को साकार करने में आयुष चिकित्सा पद्धतियों की विशेष भूमिका है. उन्होंने कहा कि राज्य में आयुष चिकित्सा पद्धतियों को बढ़ावा देने के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बजट में 1 हजार आयुर्वेद औषधालयों को वैलनेस सेन्टर के रूप में विकसित करने, राज्य आयुष अनुसंधान केन्द्र स्थापित करने जैसी महत्वपूर्ण घोषणाएं की हैं. साथ ही राज्य की नई आयुष नीति का भी अनुमोदन किया गया है.

आयुर्वेद एवं भारतीय चिकित्सा विभाग के राज्यमंत्री डाॅ. सुभाष गर्ग ने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के कार्यकाल में हमेशा ही आयुर्वेद एवं अन्य आयुष चिकित्सा पद्धतियों को बढ़ावा दिया गया. उन्होंने कहा कि कोविड महामारी के दौर में इन पद्धतियों की भूमिका और बढ़ गई है. उन्होंने सुझाव दिया कि वन विभाग के माध्यम से औषधीय पौधों की नर्सरियां स्थापित की जा सकती हैं.

आयुर्वेद एवं भारतीय चिकित्सा विभाग के सचिव सुरेश गुप्ता ने आयुष विभाग की गतिविधियों के संबंध में विस्तृत प्रस्तुतीकरण दिया. डाॅ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन आयुर्वेद विश्वविद्यालय, जोधपुर के कुलपति डाॅ. अभिमन्यु कुमार ने बताया कि कोरोना के समय में विश्वविद्यालय ने अपने विद्यार्थियों को लगातार अध्ययन से जोड़े रखने के लिए ई-लर्निंग के माध्यम से स्टडी मैटेरियल तैयार किया है.

जयपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि कोरोना का संक्रमण शहरों के साथ-साथ गांवों में और युवाओं में भी तेजी से फैल रहा है. साथ ही मौतों की संख्या भी बढ़ी है. प्रदेश के अस्पतालों, चिकित्सकों, पैरामेडिकल स्टाफ पर अत्यधिक दबाव है. संकट की इस घड़ी में रोगियों के बेहतर उपचार और इस चुनौती से लड़ने के लिए जरूरी है कि आयुष पद्धतियों और इनसे जुडे़ तमाम संसाधनों का भी समुचित उपयोग सुनिश्चित हो.

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सीएम गहलोत ने कहा कि पहली लहर में आयुष पद्धति के माध्यम से कोरोना की जंग लड़ने में बड़ी मदद मिली थी. दूसरी लहर में भी इन पद्धतियों के सहयोग से हमें गांव-ढाणी तक लोगों की जीवन रक्षा में आसानी होगी. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत मंगलवार शाम को मुख्यमंत्री निवास पर वीडियो काॅन्फ्रेंस के माध्यम से आयुर्वेद एवं भारतीय चिकित्सा विभाग की समीक्षा बैठक की.

गहलोत ने कहा कि आयुष की भारतीय चिकित्सा पद्धतियां इतनी कारगर हैं कि उनमें बिना दुष्प्रभावों के गंभीर एवं जटिल रोगों का जड़ से निदान करने की क्षमता मौजूद है. आवश्यकता इस बात है कि इन पद्धतियों के बारे में लोगों को अधिक से अधिक जानकारी देकर इनके उपयोग को बढ़ावा दिया जाए. राज्य सरकार इस दिशा में तमाम प्रयास कर रही है. बजट में कई घोषणाएं की गई हैं, जिनसे आयुर्वेद, यूनानी, होम्योपैथी, योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति को प्रोत्साहन मिलेगा.

सीएम ने कहा कि हमारे बीच में से ही ऐसे कई उदाहरण मिलेंगे, जिनमें लोग आयुष पद्धतियों को अपनाकर कोरोना सहित अन्य गंभीर बीमारियों से सफलतापूर्वक लड़ पाए. यह पद्धतियां हमारे जीवन शैली, योग, आहारचर्या एवं ऋतुचर्या आदि से जुड़ी हुई हैं. अगर पूरे संयम और अनुशासन के साथ इनका पालन करें तो हम निरोगी बने रह सकते हैं. कोविड की इस आपदा में इन पद्धतियों की भूमिका और महत्वपूर्ण हो जाती है.

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मुख्यमंत्री ने कहा कि आयुष विभाग ने कोरोना की पहली लहर में आयुर्वेदिक काढ़े, यूनानी काढ़े, क्वाथ, आर्सेनिक एल्बम जैसी दवाओं से लोगों की रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने का प्रयास किया, उससे हमें काफी मदद मिली थी. दूसरी लहर में भी लोगों को जागरूक करने, कोरोना से बचाव और गांव-गांव तक फैली अपनी स्वास्थ्य सुविधाओं के माध्यम से विभाग संकट की इस घड़ी में निरंतर अपनी भूमिका निभाए.

आयुष चिकित्सा पद्धतियों की विशेष भूमिका: रघु शर्मा

आयुर्वेद एवं भारतीय चिकित्सा विभाग के मंत्री डाॅ. रघु शर्मा ने कहा कि निरोगी राजस्थान के संकल्प को साकार करने में आयुष चिकित्सा पद्धतियों की विशेष भूमिका है. उन्होंने कहा कि राज्य में आयुष चिकित्सा पद्धतियों को बढ़ावा देने के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बजट में 1 हजार आयुर्वेद औषधालयों को वैलनेस सेन्टर के रूप में विकसित करने, राज्य आयुष अनुसंधान केन्द्र स्थापित करने जैसी महत्वपूर्ण घोषणाएं की हैं. साथ ही राज्य की नई आयुष नीति का भी अनुमोदन किया गया है.

आयुर्वेद एवं भारतीय चिकित्सा विभाग के राज्यमंत्री डाॅ. सुभाष गर्ग ने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के कार्यकाल में हमेशा ही आयुर्वेद एवं अन्य आयुष चिकित्सा पद्धतियों को बढ़ावा दिया गया. उन्होंने कहा कि कोविड महामारी के दौर में इन पद्धतियों की भूमिका और बढ़ गई है. उन्होंने सुझाव दिया कि वन विभाग के माध्यम से औषधीय पौधों की नर्सरियां स्थापित की जा सकती हैं.

आयुर्वेद एवं भारतीय चिकित्सा विभाग के सचिव सुरेश गुप्ता ने आयुष विभाग की गतिविधियों के संबंध में विस्तृत प्रस्तुतीकरण दिया. डाॅ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन आयुर्वेद विश्वविद्यालय, जोधपुर के कुलपति डाॅ. अभिमन्यु कुमार ने बताया कि कोरोना के समय में विश्वविद्यालय ने अपने विद्यार्थियों को लगातार अध्ययन से जोड़े रखने के लिए ई-लर्निंग के माध्यम से स्टडी मैटेरियल तैयार किया है.

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