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CM गहलोत ने केंद्रीय दल के साथ कोरोना प्रबंधन पर की चर्चा, कहा- राजस्थान का कोरोना प्रबंधन एक मिसाल

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Published : Dec 2, 2020, 10:37 PM IST

सीएम अशोक गहलोत ने बुधवार को मुख्यमंत्री आवास पर राजस्थान के कोरोना प्रबंधन को देखने आए केन्द्रीय दल के साथ चर्चा की. इस दौरान उन्होंने कहा कि राजस्थान का कोरोना प्रबंधन एक मिसाल है. उन्होंने कहा कि 'राजस्थान सतर्क है' को ध्येय वाक्य बनाकर कोरोना के बेहतरीन प्रबंधन की शुरुआत की.

Meeting with central team,  CM Ashok Gehlot meeting
केंद्रीय दल के साथ कोरोना प्रबंधन पर चर्चा

जयपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि कोरोना के प्रबंधन में राजस्थान ने जिस दृढ़ इच्छाशक्ति, संवेदनशीलता, मानवीय नजरिए और सतर्कता के साथ काम किया है, वह एक मिसाल है. उन्होंने कहा कि वर्तमान में सभी राज्यों में कोरोना का अलग-अलग ट्रीटमेंट प्रोटोकाॅल से उपचार किया जा रहा है. इससे रोगियों और चिकित्सक समुदाय में भ्रांति बनी रहती है कि कौन सा ट्रीटमेन्ट प्रोटोकाॅल अधिक कारगर है. उन्होंने अनुरोध किया है कि केन्द्र सरकार इस दिशा में पहल करें और आईसीएमआर के माध्यम से देशभर के लिए एक समान चिकित्सा प्रोटोकाॅल निर्धारित करें.

सीएम अशोक गहलोत बुधवार को मुख्यमंत्री निवास पर राजस्थान के कोरोना प्रबंधन को देखने आए केन्द्रीय दल के साथ चर्चा कर रहे थे. उन्होंने कहा कि हमने 'राजस्थान सतर्क है' को ध्येय वाक्य बनाकर कोरोना के बेहतरीन प्रबंधन की शुरुआत की. राजस्थान ही वह प्रदेश है जिसने भीलवाड़ा माॅडल देश को दिया और कंटेनमेंट जोन को सख्ती से लागू कर, डोर-टू-डोर सघन सर्विलांस, अधिक से अधिक जांच, पुख्ता काॅन्टेक्ट ट्रेसिंग, क्वॉरेंटाइन जैसे सख्त उपायों से कोरोना संक्रमण की चेन तोड़ने में कामयाबी पाई. गहलोत ने कहा कि हम रिकवरी दर अच्छी रखने के साथ ही मृत्यू दर को लगातार 1 फीसदी से भी नीचे रखने में कामयाब रहे हैं. इसी का परिणाम है कि राजस्थान कोरोना के सभी पैरामीटर्स पर बेहतर स्थिति में है.

हर वर्ग को दी राहत

मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना संक्रमण का फैलाव रोकने के लिए हमने लॉकडाउन लगाया. इस दौरान प्रवासियों के सुगम आवागमन, उनके ठहराव और भोजन की उचित व्यवस्थाएं सुनिश्चित की. 'कोई भूखा न सोए' के संकल्प को साकार करते हुए प्रदेश की करीब तीन-चैथाई आबादी को निःशुल्क गेहूं और चना उपलब्ध कराया गया. सामाजिक सुरक्षा पेंशन के तहत करीब 80 लाख लोगों को तीन माह की पेंशन के रूप में करीब 1950 करोड़ रुपए का अग्रिम भुगतान किया.

पढ़ें- Special: 17 दिसंबर को गहलोत सरकार के 2 साल होंगे पूरे, अब तक जारी नहीं हुआ सामान्य प्रशासन विभाग पर मंत्रियों की संपत्ति का ब्यौरा

सामाजिक सुरक्षा की किसी भी सरकारी योजना के दायरे में नहीं आने वाले गरीब एवं जरूरतमंद करीब 33 लाख लोगों को 3500 रुपए की नगद सहायता प्रदान की. लाॅकडाउन एवं उसके बाद अस्थि विसर्जन के लिए जाने वाले लोगों को 'निःशुल्क मोक्ष कलश स्पेशल बस' की सुविधा जैसा मानवीय निर्णय किया.

संक्रमण से बचाव के लिए प्रभावी जागरूकता अभियान

गहलोत ने कहा कि हमारी सरकार ने जनप्रतिनिधियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, धर्मगुरूओं, सन्त-महन्तों, स्वयंसेवी संस्थाओं, चिकित्सकों सहित सभी वर्गों को कोरोना की जंग में साथ लिया. उन्होंने कहा कि संक्रमण से बचाव के लिए प्रदेशभर में व्यापक जागरूकता अभियान चलाने वाला राजस्थान पहला राज्य था.

हमने मास्क लगाने के लिए जन आंदोलन चलाकर इसमें आमजन की भागीदारी सुनिश्चित की. साथ ही मास्क की अनिवार्यता के लिए कानून भी लेकर आए और सोशल डिस्टेंसिंग की सख्ती से पालना के लिए रात्रिकालीन कर्फ्यू, विवाह आदि समारोहों में सीमित संख्या में लोगों की उपस्थिति, उल्लंघन करने पर जुर्माना राशि बढ़ाने जैसे कड़े फैसले लिए. सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग के माध्यम से प्रभावी जागरूकता अभियान संचालित करने के साथ ही मास्क लगाने के जन आंदोलन के लिए स्थानीय निकाय विभाग को नोडल विभाग बनाया.

शून्य से 60 हजार की जांच क्षमता, आरटीपीसीआर से कर रहे सभी टेस्ट

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में कोरोना का पहला मामला आने तक जहां हमारी जांच क्षमता शून्य थी, वह हमारे सतत प्रयासों से बढ़कर 60,000 हो गई है. अब हर जिले में जांच की सुविधा उपलब्ध है. हमारी सरकार सभी टेस्ट सबसे विश्वनीय आरटीपीसीआर पद्धति से कर रही है. देश में राजस्थान और तमिलनाडू ही ऐसे राज्य हैं, जहां शत-प्रतिशत टेस्ट इसी पद्धति से किए जा रहे हैं. हम जांच क्षमता को लगातार बढ़ा रहे हैं. हमारा प्रयास है कि अधिक से अधिक जांच करें. प्रभावी काॅन्टेक्ट ट्रेसिंग औप सोशल डिस्टेंसिंग नियमों की कड़ाई से पालना कर संक्रमण के फैलाव को रोका जाए.

मजबूत किया मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर

गहलोत ने कहा कि हमने आपदा को अवसर में बदलते हुए राजधानी से लेकर निचले स्तर तक मेडिकल इन्फ्रास्ट्रक्चर मजबूत किया है. प्रदेश में पर्याप्त संख्या में ऑक्सीजन बेड, आईसीयू बेड और वेन्टीलेटर उपलब्ध है. ऑक्सीजन के उत्पादन एवं आपूर्ति को लगातार बढ़ाया जा रहा है. हम कोविड रोगियों की सीटी स्केन जांच कर रहे हैं ताकि उनमें संक्रमण के प्रभाव का सही आकलन किया जा सके और उसके अनुरूप उन्हें उपचार मिल सके.

कोरोना के दुष्प्रभावों के उपचार के लिए पोस्ट कोविड क्लिनिक्स की व्यवस्था, डे-केयर सुविधा जैसे नवाचार भी किए जा रहे हैं. सरकारी अस्पतालों में यह सब सुविधाएं निःशुल्क मिल रही हैं. निजी अस्पतालों में उचित दरों पर इलाज के लिए दरों का निर्धारण कर नोडल अधिकारी भी नियुक्त किए हैं, जो उपचार के दौरान रोगियों की सहायता कर रहे हैं.

विषम आर्थिक स्थिति के बावजूद नहीं रखी कोई कमी

गहलोत ने कहा कि कोरोना के कारण राजस्थान सहित पूरे देश की आर्थिक स्थिति पर विपरीत असर पड़ा है. इसके बावजूद कोरोना के प्रबंधन में राज्य सरकार ने संसाधनों में किसी तरह की कमी नहीं रखी है. हर वर्ग को राहत देने के साथ ही हम जीवन रक्षा को सर्वोपरि रखते हुए इस लक्ष्य के साथ आगे बढ़ रहे हैं कि प्रदेश में कोरोना से कोई मौत न हो और आजीविका भी सुचारू रहे. केन्द्र सरकार को चाहिए कि वे इस विषम परिस्थिति में राज्यों को अधिक से अधिक सहायता उपलब्ध कराए.

मुख्यमंत्री ने कहा कि केन्द्रीय दल ने राजस्थान की व्यवस्थाओं को देखकर जो सुझाव दिए हैं, उनमें से अधिकतर पर राजस्थान पहले से ही काम कर रहा है. अन्य जो भी सुझाव दल ने दिए हैं, राज्य सरकार उन पर प्रभावी कार्यवाही सुनिश्चिन करेगी.

अब निजी लैब में 800 रुपए में हो रहा कोरोना टेस्ट

चिकित्सा मंत्री डाॅ. रघु शर्मा ने कहा कि हमारी सरकार ने कोरोना हैल्थ वाॅरियर्स के मनोबल को ऊंचा रखने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. आमजन को मास्क पहनने के लिए जागरूक करने के उद्देश्य से 'नो मास्क-नो एन्ट्री' और कोरोना के विरूद्ध जनआंदोलन जैसा सफल अभियान चलाया जा रहा है. इसके तहत 1 करोड़ मास्क वितरित किए गए हैं. प्रदूषण से कोरोना रोगियों को बचाने के लिए राजस्थान में पटाखों पर बैन लगाया गया. शुरूआत में 4 हजार रुपए में होेने वाले कोरोना टेस्ट को हमारी सरकार ने आम आदमी की पहुंच में ला दिया है और अब यह निजी लैब में 800 रुपए में ही हो रहा है.

केंद्र से मिले अधिक सहयोग

चिकित्सा एवं स्वास्थ्य राज्यमंत्री डाॅ. सुभाष गर्ग ने कहा कि राजस्थान की भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए केन्द्र सरकार प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं को अधिक सुदृढ़ बनाने में और अधिक सहयोग करें. उन्होंने कहा कि इस विषम परिस्थिति में अन्य रोगियों को उपचार पहुंचाने में सरकार ने कोई कमी नहीं छोड़ी है. राज्य सरकार कोरोना प्रबंधन की गहन माॅनिटरिंग कर रही है. स्वयं मुख्यमंत्री ने अब तक 100 से अधिक वीडियो काॅन्फ्रेंस कोरोना प्रबंधन को लेकर की है.

केन्द्रीय दल ने की राजस्थान के प्रयासों की सराहना

नीति आयोग के सदस्य डाॅ. वीके पाॅल ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व में राजस्थान में किए जा रहे कोरोना प्रबंधन की सराहना की. उन्होंने कहा कि प्रदेश में कोरोना से मृत्यु दर 1 प्रतिशत से भी कम है, जो काफी बेहतर है. मुख्यमंत्री स्वयं गंभीरतापूर्वक कोरोना प्रबंधन की लगातार गहन समीक्षा कर महत्वपूर्ण फैसले ले रहे हैं, जिनके चलते राजस्थान कोरोना की इस लड़ाई में अन्य कई राज्यों के मुकाबले आगे है.

उन्होंने प्रदेश में शत-प्रतिषत टेस्ट आरटीपीसीआर पद्धति से किए जाने की सराहना करते हुए कहा कि राजस्थान ने कई नवाचार करते हुए कोरोना संक्रमण के फैलाव को कम करने में सफलता प्राप्त की है. उन्होंने प्रदेश में कोरोना की रोकथाम के लिए चलाए गए जनआंदोलन एवं जन जागरूकता अभियान की भी मुक्त कण्ठ से प्रशंसा की.

जयपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि कोरोना के प्रबंधन में राजस्थान ने जिस दृढ़ इच्छाशक्ति, संवेदनशीलता, मानवीय नजरिए और सतर्कता के साथ काम किया है, वह एक मिसाल है. उन्होंने कहा कि वर्तमान में सभी राज्यों में कोरोना का अलग-अलग ट्रीटमेंट प्रोटोकाॅल से उपचार किया जा रहा है. इससे रोगियों और चिकित्सक समुदाय में भ्रांति बनी रहती है कि कौन सा ट्रीटमेन्ट प्रोटोकाॅल अधिक कारगर है. उन्होंने अनुरोध किया है कि केन्द्र सरकार इस दिशा में पहल करें और आईसीएमआर के माध्यम से देशभर के लिए एक समान चिकित्सा प्रोटोकाॅल निर्धारित करें.

सीएम अशोक गहलोत बुधवार को मुख्यमंत्री निवास पर राजस्थान के कोरोना प्रबंधन को देखने आए केन्द्रीय दल के साथ चर्चा कर रहे थे. उन्होंने कहा कि हमने 'राजस्थान सतर्क है' को ध्येय वाक्य बनाकर कोरोना के बेहतरीन प्रबंधन की शुरुआत की. राजस्थान ही वह प्रदेश है जिसने भीलवाड़ा माॅडल देश को दिया और कंटेनमेंट जोन को सख्ती से लागू कर, डोर-टू-डोर सघन सर्विलांस, अधिक से अधिक जांच, पुख्ता काॅन्टेक्ट ट्रेसिंग, क्वॉरेंटाइन जैसे सख्त उपायों से कोरोना संक्रमण की चेन तोड़ने में कामयाबी पाई. गहलोत ने कहा कि हम रिकवरी दर अच्छी रखने के साथ ही मृत्यू दर को लगातार 1 फीसदी से भी नीचे रखने में कामयाब रहे हैं. इसी का परिणाम है कि राजस्थान कोरोना के सभी पैरामीटर्स पर बेहतर स्थिति में है.

हर वर्ग को दी राहत

मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना संक्रमण का फैलाव रोकने के लिए हमने लॉकडाउन लगाया. इस दौरान प्रवासियों के सुगम आवागमन, उनके ठहराव और भोजन की उचित व्यवस्थाएं सुनिश्चित की. 'कोई भूखा न सोए' के संकल्प को साकार करते हुए प्रदेश की करीब तीन-चैथाई आबादी को निःशुल्क गेहूं और चना उपलब्ध कराया गया. सामाजिक सुरक्षा पेंशन के तहत करीब 80 लाख लोगों को तीन माह की पेंशन के रूप में करीब 1950 करोड़ रुपए का अग्रिम भुगतान किया.

पढ़ें- Special: 17 दिसंबर को गहलोत सरकार के 2 साल होंगे पूरे, अब तक जारी नहीं हुआ सामान्य प्रशासन विभाग पर मंत्रियों की संपत्ति का ब्यौरा

सामाजिक सुरक्षा की किसी भी सरकारी योजना के दायरे में नहीं आने वाले गरीब एवं जरूरतमंद करीब 33 लाख लोगों को 3500 रुपए की नगद सहायता प्रदान की. लाॅकडाउन एवं उसके बाद अस्थि विसर्जन के लिए जाने वाले लोगों को 'निःशुल्क मोक्ष कलश स्पेशल बस' की सुविधा जैसा मानवीय निर्णय किया.

संक्रमण से बचाव के लिए प्रभावी जागरूकता अभियान

गहलोत ने कहा कि हमारी सरकार ने जनप्रतिनिधियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, धर्मगुरूओं, सन्त-महन्तों, स्वयंसेवी संस्थाओं, चिकित्सकों सहित सभी वर्गों को कोरोना की जंग में साथ लिया. उन्होंने कहा कि संक्रमण से बचाव के लिए प्रदेशभर में व्यापक जागरूकता अभियान चलाने वाला राजस्थान पहला राज्य था.

हमने मास्क लगाने के लिए जन आंदोलन चलाकर इसमें आमजन की भागीदारी सुनिश्चित की. साथ ही मास्क की अनिवार्यता के लिए कानून भी लेकर आए और सोशल डिस्टेंसिंग की सख्ती से पालना के लिए रात्रिकालीन कर्फ्यू, विवाह आदि समारोहों में सीमित संख्या में लोगों की उपस्थिति, उल्लंघन करने पर जुर्माना राशि बढ़ाने जैसे कड़े फैसले लिए. सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग के माध्यम से प्रभावी जागरूकता अभियान संचालित करने के साथ ही मास्क लगाने के जन आंदोलन के लिए स्थानीय निकाय विभाग को नोडल विभाग बनाया.

शून्य से 60 हजार की जांच क्षमता, आरटीपीसीआर से कर रहे सभी टेस्ट

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में कोरोना का पहला मामला आने तक जहां हमारी जांच क्षमता शून्य थी, वह हमारे सतत प्रयासों से बढ़कर 60,000 हो गई है. अब हर जिले में जांच की सुविधा उपलब्ध है. हमारी सरकार सभी टेस्ट सबसे विश्वनीय आरटीपीसीआर पद्धति से कर रही है. देश में राजस्थान और तमिलनाडू ही ऐसे राज्य हैं, जहां शत-प्रतिशत टेस्ट इसी पद्धति से किए जा रहे हैं. हम जांच क्षमता को लगातार बढ़ा रहे हैं. हमारा प्रयास है कि अधिक से अधिक जांच करें. प्रभावी काॅन्टेक्ट ट्रेसिंग औप सोशल डिस्टेंसिंग नियमों की कड़ाई से पालना कर संक्रमण के फैलाव को रोका जाए.

मजबूत किया मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर

गहलोत ने कहा कि हमने आपदा को अवसर में बदलते हुए राजधानी से लेकर निचले स्तर तक मेडिकल इन्फ्रास्ट्रक्चर मजबूत किया है. प्रदेश में पर्याप्त संख्या में ऑक्सीजन बेड, आईसीयू बेड और वेन्टीलेटर उपलब्ध है. ऑक्सीजन के उत्पादन एवं आपूर्ति को लगातार बढ़ाया जा रहा है. हम कोविड रोगियों की सीटी स्केन जांच कर रहे हैं ताकि उनमें संक्रमण के प्रभाव का सही आकलन किया जा सके और उसके अनुरूप उन्हें उपचार मिल सके.

कोरोना के दुष्प्रभावों के उपचार के लिए पोस्ट कोविड क्लिनिक्स की व्यवस्था, डे-केयर सुविधा जैसे नवाचार भी किए जा रहे हैं. सरकारी अस्पतालों में यह सब सुविधाएं निःशुल्क मिल रही हैं. निजी अस्पतालों में उचित दरों पर इलाज के लिए दरों का निर्धारण कर नोडल अधिकारी भी नियुक्त किए हैं, जो उपचार के दौरान रोगियों की सहायता कर रहे हैं.

विषम आर्थिक स्थिति के बावजूद नहीं रखी कोई कमी

गहलोत ने कहा कि कोरोना के कारण राजस्थान सहित पूरे देश की आर्थिक स्थिति पर विपरीत असर पड़ा है. इसके बावजूद कोरोना के प्रबंधन में राज्य सरकार ने संसाधनों में किसी तरह की कमी नहीं रखी है. हर वर्ग को राहत देने के साथ ही हम जीवन रक्षा को सर्वोपरि रखते हुए इस लक्ष्य के साथ आगे बढ़ रहे हैं कि प्रदेश में कोरोना से कोई मौत न हो और आजीविका भी सुचारू रहे. केन्द्र सरकार को चाहिए कि वे इस विषम परिस्थिति में राज्यों को अधिक से अधिक सहायता उपलब्ध कराए.

मुख्यमंत्री ने कहा कि केन्द्रीय दल ने राजस्थान की व्यवस्थाओं को देखकर जो सुझाव दिए हैं, उनमें से अधिकतर पर राजस्थान पहले से ही काम कर रहा है. अन्य जो भी सुझाव दल ने दिए हैं, राज्य सरकार उन पर प्रभावी कार्यवाही सुनिश्चिन करेगी.

अब निजी लैब में 800 रुपए में हो रहा कोरोना टेस्ट

चिकित्सा मंत्री डाॅ. रघु शर्मा ने कहा कि हमारी सरकार ने कोरोना हैल्थ वाॅरियर्स के मनोबल को ऊंचा रखने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. आमजन को मास्क पहनने के लिए जागरूक करने के उद्देश्य से 'नो मास्क-नो एन्ट्री' और कोरोना के विरूद्ध जनआंदोलन जैसा सफल अभियान चलाया जा रहा है. इसके तहत 1 करोड़ मास्क वितरित किए गए हैं. प्रदूषण से कोरोना रोगियों को बचाने के लिए राजस्थान में पटाखों पर बैन लगाया गया. शुरूआत में 4 हजार रुपए में होेने वाले कोरोना टेस्ट को हमारी सरकार ने आम आदमी की पहुंच में ला दिया है और अब यह निजी लैब में 800 रुपए में ही हो रहा है.

केंद्र से मिले अधिक सहयोग

चिकित्सा एवं स्वास्थ्य राज्यमंत्री डाॅ. सुभाष गर्ग ने कहा कि राजस्थान की भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए केन्द्र सरकार प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं को अधिक सुदृढ़ बनाने में और अधिक सहयोग करें. उन्होंने कहा कि इस विषम परिस्थिति में अन्य रोगियों को उपचार पहुंचाने में सरकार ने कोई कमी नहीं छोड़ी है. राज्य सरकार कोरोना प्रबंधन की गहन माॅनिटरिंग कर रही है. स्वयं मुख्यमंत्री ने अब तक 100 से अधिक वीडियो काॅन्फ्रेंस कोरोना प्रबंधन को लेकर की है.

केन्द्रीय दल ने की राजस्थान के प्रयासों की सराहना

नीति आयोग के सदस्य डाॅ. वीके पाॅल ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व में राजस्थान में किए जा रहे कोरोना प्रबंधन की सराहना की. उन्होंने कहा कि प्रदेश में कोरोना से मृत्यु दर 1 प्रतिशत से भी कम है, जो काफी बेहतर है. मुख्यमंत्री स्वयं गंभीरतापूर्वक कोरोना प्रबंधन की लगातार गहन समीक्षा कर महत्वपूर्ण फैसले ले रहे हैं, जिनके चलते राजस्थान कोरोना की इस लड़ाई में अन्य कई राज्यों के मुकाबले आगे है.

उन्होंने प्रदेश में शत-प्रतिषत टेस्ट आरटीपीसीआर पद्धति से किए जाने की सराहना करते हुए कहा कि राजस्थान ने कई नवाचार करते हुए कोरोना संक्रमण के फैलाव को कम करने में सफलता प्राप्त की है. उन्होंने प्रदेश में कोरोना की रोकथाम के लिए चलाए गए जनआंदोलन एवं जन जागरूकता अभियान की भी मुक्त कण्ठ से प्रशंसा की.

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