जयपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि राज्य सरकार बाघों के संरक्षण को लेकर गंभीर है और सरकार की सकारात्मक नीतियों के कारण बाघों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है. सरकार की ओर से ‘प्रोजेक्ट टाइगर’ एवं ‘ईको-टूरिज्म’ नीति के प्रभावी क्रियान्वयन के कारण रणथम्भौर में दुनियाभर से पर्यटकों का आगमन हो रहा (CM Ashok Gehlot directions on tiger projects in state) है. उन्होंने इसी तर्ज पर सरिस्का बाघ परियोजना के लिए भी मास्टर प्लान तैयार करने के लिए विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिए.
गहलोत ने सोमवार को मुख्यमंत्री निवास पर रणथम्भौर, सरिस्का एवं मुकुंदरा बाघ परियोजना के प्रबंधन एवं बाघों के संरक्षण के संबंध में आयोजित महत्वपूर्ण बैठक की. बैठक में बताया गया कि सरिस्का में 2014 के मुकाबले बाघों की संख्या में ढाई गुना वृद्धि हुई (Number of tigers increased in Sariska Tiger Reserve) है, जिसके चलते यहां वन्यजीव प्रेमियों एवं पर्यटकों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है. रणथम्भौर में क्षमता से अधिक बाघ होने के कारण उनका पलायन धौलपुर और करौली की तरफ हो रहा है. मुख्यमंत्री ने इन बाघों एवं उनके शावकों की सुरक्षा के लिए आवश्यक प्रबंध करने के निर्देश दिए. गहलोत ने कहा कि आज देश बाघ संरक्षण में अग्रणी है. यह वन्यजीव संरक्षण अधिनियम-1972 और प्रोजेक्ट टाइगर के क्रियान्वयन में पूर्व प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी के अथक प्रयासों से ही सम्भव हो सका है.
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स्वैच्छिक विस्थापन को दें प्रोत्साहन: मुख्यमंत्री ने कहा कि परियोजना के मध्य आ रहे गांवों के स्वैच्छिक विस्थापन को गति प्रदान करने के लिए विकल्प के रूप में कृषि भूमि के अलावा शहरी क्षेत्रों में भी रिहायशी भूमि आवंटित करने की व्यवस्था की गई है. ग्रामवासियों से अधिक से अधिक सम्पर्क कर उन्हें इस योजना के बारे में अवगत कराया जाए. मुख्यमंत्री ने रणथम्भौर, सरिस्का एवं मुकुंदरा बाघ परियोजना में सुरक्षा व्यवस्था के सुदृढीकरण, संवेदनशील क्षेत्रों में कच्चे रास्ते, पेट्रोलिंग ट्रैक की संख्या बढ़ाने एवं चौकियों पर अतिरिक्त सुरक्षाकर्मी लगाने के भी निर्देश दिए.
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बाघ हमले के पीड़ितों के मुआवजे में हो वृद्धि : गहलोत ने अधिकारियों को बाघ हमले में मौत तथा घायल होने पर दिये जाने वाले मुआवजे में वृद्धि करने के निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि हमले में मरने वाले के परिवार को आर्थिक सम्बल देना राज्य सरकार का दायित्व है. साथ ही ऐसे हमलों में होने वाली मवेशियों की मौतों पर मिलने वाले मुआवजे में भी बढ़ोतरी की जाए क्योंकि बाघ परियोजनाओं की सीमाओं से लगे हुए गांवों में अधिकतर लघु किसान रहते हैं और पशुपालन ही उनकी आजीविका का एकमात्र साधन है.
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परियोजना की सीमाएं हों ‘साइलेन्ट जोन’: मुख्यमंत्री ने कहा कि बाघ परियोजना के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए आवश्यक है कि वन्यजीवों को किसी भी तरह की परेशानी न हो. इसके लिए परियोजना की सीमाएं साइलेन्ट जोन घोषित करने तथा संबंधित कलक्टरों को इस बाबत एडवाइजरी जारी करने के निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि ऐसे क्षेत्रों से लगी सीमाओं पर चल रहे होटलों में लाउड म्यूजिक, लेजर शो ओर आतिशबाजी जैसी गतिविधियों की रोकथाम के लिए उचित कदम उठाए जाएं.