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Special: अब जापानी तकनीक मियावाकी पद्धति से संवारा जा रहा मानसरोवर में बनने वाला सिटी पार्क - City Park News

जयपुर के मानसरोवर में बनने वाला सिटी पार्क अब जल्द ही हरा-भरा होगा. पार्क में जापानी तकनीक मियावाकी पद्धति से सघन पौधरोपण शुरू किया जा रहा है. बता दें कि मानसरोवर में करीब 52 एकड़ जमीन पर सिटी पार्क विकसित किया जा रहा है.

City Park of Jaipur,  City Park being decorated by Miyawaki system
मियावाकी पद्धति से संवारा जा रहा मानसरोवर में बनने वाला सिटी पार्क
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Published : Sep 6, 2020, 4:25 PM IST

जयपुर. राजधानी के मानसरोवर में 52 एकड़ जमीन पर बनाया जा रहा सिटी पार्क जल्द हरा-भरा होगा. यहां जापानी तकनीक मियावाकी पद्धति से सघन पौधरोपण शुरू किया जा रहा है. इस पद्धति से महज 5 से 6 महीने में छोटे पौधे करीब 10 से 12 फुट तक बढ़ जाते हैं. ये पद्धति शहरी वनीकरण की अवधारणा में किसी क्रांति से कम नहीं.

मियावाकी पद्धति से संवारा जा रहा सिटी पार्क

शहरों के सामने इस समय पानी की कमी, प्रदूषण और खुली जगह जैसी कई चुनौतियां हैं. जिसकी वजह से शहरवासियों को अब ऑक्सीजन की कमी महसूस होने लगी है. हालांकि लोग अपने स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए घरों के आसपास ही उपलब्ध पार्कों में टहलने और जोगिंग करने निकलते हैं. वहीं, अब मानसरोवर में करीब 52 एकड़ जमीन पर सिटी पार्क विकसित किया जा रहा है.

पढ़ें- Special : कभी था आकर्षण का केंद्र...आज बदहाली पर आंसू बहा रहा लव-कुश गार्डन

हालांकि, यहां वृहद स्तर पर पौधरोपण किया जाना है ताकि यहां पहुंचने वाले लोगों को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन मिल सके. इसी क्रम में आवासन मंडल लगातार पौधरोपण कार्यक्रम कर रहा है. वहीं अब जापानी पद्धति मियावाकी के माध्यम से सघन पौधरोपण किया जा रहा है.

City Park of Jaipur,  City Park being decorated by Miyawaki system
मियावाकी पद्धति से पौधरोपण

मियावाकी पद्धति से कम समय में पौधे हो जाते हैं विकसित

दरअसल, मियावाकी पद्धति के माध्यम से बहुत कम समय में सघन पौधे विकसित हो जाते हैं. इस पद्धति में शहरी वनीकरण की अवधारणा में क्रांति लाने का काम किया है. केरल और तेलंगाना सरकार ने भी इस पद्धति को अपनाया है. वहीं, अब जयपुर के सिटी पार्क में 1000 वर्ग मीटर जमीन पर 5100 पौधे लगाए जा रहे हैं.

हाउसिंग बोर्ड कमिश्नर पवन अरोड़ा ने बताया कि सिटी पार्क के पाथ-वे के दोनों तरफ मियावाकी पद्धति से सघन पौधारोपण किया जा रहा है. यहां लोगों को बेहतर ऑक्सीजन लेवल मिलेगा. अभी 1000 वर्ग मीटर क्षेत्र में और दूसरे चरण में 800 मीटर क्षेत्र में और पौधे लगाए जाएंगे.

मियावाकी ने किया था इस पद्धति को इजाद

जापानी वनस्पति वैज्ञानिक अकीरा मियावाकी ने शहरी क्षेत्रों में ऑक्सीजन टैंक डेवलप करने के लिए इस पद्धति का इजाद किया. इसके तहत सघन पौधारोपण किया जाता है. 1.5 से 2 फुट की दूरी पर पौधे लगाए जाते हैं, जो महज 8 महीने में 12 से 15 फुट तक बढ़ जाते हैं. एक जंगल के विकास में करीब 200 वर्ष लगते हैं, लेकिन इस पद्धति से 10 साल में घने जंगल का रूप ले लेता है.

City Park of Jaipur,  City Park being decorated by Miyawaki system
पौधरोपण करती महिलाएं

ऐसे किया जाता है पौधरोपण

मियावाकी पद्धति विशेषज्ञ ने बताया कि पहले करीब 1 मीटर तक मिट्टी को खोदने के बाद खाद, चावल की भूसी और नारियल का बुरादा डाला जाता है. इससे पौधों की जड़ जल्दी विकसित होती है और पौधे की जल्दी ग्रोथ होती है. खास बात ये है कि पौधे नजदीक लगाने की वजह से मिट्टी पर सूर्य की किरणें नहीं पड़ती, जिसकी वजह से नमी बनी रहती है और यह पौधे जल्दी विकसित होते हैं.

पढ़ें- Special: भक्तों के दर्शन को तैयार जयपुर का हाईटेक मंदिर...घंटे-घड़ियाल से लेकर सब कुछ ऑटोमेटिक

विशेषज्ञ का कहना है कि कुछ समय बाद पेड़ों के पत्ते उसी जगह पर गिरने से वो ह्यूमस का काम करते हैं. 3 साल बाद इसके मेंटेनेंस की भी जरूरत नहीं रहती और इनकी लंबाई 20 फुट से भी अधिक हो जाती है. खास बात ये है कि इस पद्धति में लोकल वैरायटी वाले पेड़-पौधे ही लगाए जाते हैं, जिन्हें नेटिव ट्री के नाम से जाना जाता है.

City Park of Jaipur,  City Park being decorated by Miyawaki system
सिटी पार्क में पौधरोपण

थीम बेस्ड प्लांटेशन...

सिटी पार्क में करीब 41 तरह के पौधे लगाए जा रहे हैं. इससे पहले मार्च महीने में जयपुर के रामबाग गोल्फ क्लब में भी 300 वर्ग गज जमीन पर मियावाकी पद्धति से पौधरोपण किया गया था और आज यहां करीब 10 फुट ऊंचे वृक्ष तैयार हो गए हैं. चूंकि सिटी पार्क को थीम पार्क के रूप में डेवलप किया जा रहा है, यहां वुडलैंड पार्क, मीडो गार्डन, लेब्रिनिथ गार्डन, चिल्ड्रन पार्क, कलर गार्डन, फर्न हाउस गार्डन जैसे कई पार्क देखने को मिलेंगे. जहां थीम बेस्ड प्लांटेशन किया जाएगा. ऐसे में मियावाकी पद्धति इसे गति देने का काम करेगी.

जयपुर. राजधानी के मानसरोवर में 52 एकड़ जमीन पर बनाया जा रहा सिटी पार्क जल्द हरा-भरा होगा. यहां जापानी तकनीक मियावाकी पद्धति से सघन पौधरोपण शुरू किया जा रहा है. इस पद्धति से महज 5 से 6 महीने में छोटे पौधे करीब 10 से 12 फुट तक बढ़ जाते हैं. ये पद्धति शहरी वनीकरण की अवधारणा में किसी क्रांति से कम नहीं.

मियावाकी पद्धति से संवारा जा रहा सिटी पार्क

शहरों के सामने इस समय पानी की कमी, प्रदूषण और खुली जगह जैसी कई चुनौतियां हैं. जिसकी वजह से शहरवासियों को अब ऑक्सीजन की कमी महसूस होने लगी है. हालांकि लोग अपने स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए घरों के आसपास ही उपलब्ध पार्कों में टहलने और जोगिंग करने निकलते हैं. वहीं, अब मानसरोवर में करीब 52 एकड़ जमीन पर सिटी पार्क विकसित किया जा रहा है.

पढ़ें- Special : कभी था आकर्षण का केंद्र...आज बदहाली पर आंसू बहा रहा लव-कुश गार्डन

हालांकि, यहां वृहद स्तर पर पौधरोपण किया जाना है ताकि यहां पहुंचने वाले लोगों को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन मिल सके. इसी क्रम में आवासन मंडल लगातार पौधरोपण कार्यक्रम कर रहा है. वहीं अब जापानी पद्धति मियावाकी के माध्यम से सघन पौधरोपण किया जा रहा है.

City Park of Jaipur,  City Park being decorated by Miyawaki system
मियावाकी पद्धति से पौधरोपण

मियावाकी पद्धति से कम समय में पौधे हो जाते हैं विकसित

दरअसल, मियावाकी पद्धति के माध्यम से बहुत कम समय में सघन पौधे विकसित हो जाते हैं. इस पद्धति में शहरी वनीकरण की अवधारणा में क्रांति लाने का काम किया है. केरल और तेलंगाना सरकार ने भी इस पद्धति को अपनाया है. वहीं, अब जयपुर के सिटी पार्क में 1000 वर्ग मीटर जमीन पर 5100 पौधे लगाए जा रहे हैं.

हाउसिंग बोर्ड कमिश्नर पवन अरोड़ा ने बताया कि सिटी पार्क के पाथ-वे के दोनों तरफ मियावाकी पद्धति से सघन पौधारोपण किया जा रहा है. यहां लोगों को बेहतर ऑक्सीजन लेवल मिलेगा. अभी 1000 वर्ग मीटर क्षेत्र में और दूसरे चरण में 800 मीटर क्षेत्र में और पौधे लगाए जाएंगे.

मियावाकी ने किया था इस पद्धति को इजाद

जापानी वनस्पति वैज्ञानिक अकीरा मियावाकी ने शहरी क्षेत्रों में ऑक्सीजन टैंक डेवलप करने के लिए इस पद्धति का इजाद किया. इसके तहत सघन पौधारोपण किया जाता है. 1.5 से 2 फुट की दूरी पर पौधे लगाए जाते हैं, जो महज 8 महीने में 12 से 15 फुट तक बढ़ जाते हैं. एक जंगल के विकास में करीब 200 वर्ष लगते हैं, लेकिन इस पद्धति से 10 साल में घने जंगल का रूप ले लेता है.

City Park of Jaipur,  City Park being decorated by Miyawaki system
पौधरोपण करती महिलाएं

ऐसे किया जाता है पौधरोपण

मियावाकी पद्धति विशेषज्ञ ने बताया कि पहले करीब 1 मीटर तक मिट्टी को खोदने के बाद खाद, चावल की भूसी और नारियल का बुरादा डाला जाता है. इससे पौधों की जड़ जल्दी विकसित होती है और पौधे की जल्दी ग्रोथ होती है. खास बात ये है कि पौधे नजदीक लगाने की वजह से मिट्टी पर सूर्य की किरणें नहीं पड़ती, जिसकी वजह से नमी बनी रहती है और यह पौधे जल्दी विकसित होते हैं.

पढ़ें- Special: भक्तों के दर्शन को तैयार जयपुर का हाईटेक मंदिर...घंटे-घड़ियाल से लेकर सब कुछ ऑटोमेटिक

विशेषज्ञ का कहना है कि कुछ समय बाद पेड़ों के पत्ते उसी जगह पर गिरने से वो ह्यूमस का काम करते हैं. 3 साल बाद इसके मेंटेनेंस की भी जरूरत नहीं रहती और इनकी लंबाई 20 फुट से भी अधिक हो जाती है. खास बात ये है कि इस पद्धति में लोकल वैरायटी वाले पेड़-पौधे ही लगाए जाते हैं, जिन्हें नेटिव ट्री के नाम से जाना जाता है.

City Park of Jaipur,  City Park being decorated by Miyawaki system
सिटी पार्क में पौधरोपण

थीम बेस्ड प्लांटेशन...

सिटी पार्क में करीब 41 तरह के पौधे लगाए जा रहे हैं. इससे पहले मार्च महीने में जयपुर के रामबाग गोल्फ क्लब में भी 300 वर्ग गज जमीन पर मियावाकी पद्धति से पौधरोपण किया गया था और आज यहां करीब 10 फुट ऊंचे वृक्ष तैयार हो गए हैं. चूंकि सिटी पार्क को थीम पार्क के रूप में डेवलप किया जा रहा है, यहां वुडलैंड पार्क, मीडो गार्डन, लेब्रिनिथ गार्डन, चिल्ड्रन पार्क, कलर गार्डन, फर्न हाउस गार्डन जैसे कई पार्क देखने को मिलेंगे. जहां थीम बेस्ड प्लांटेशन किया जाएगा. ऐसे में मियावाकी पद्धति इसे गति देने का काम करेगी.

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