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Rajasthan University में 35 साल से गुलदाऊदी बिखेर रही रंग-बिरंगी छटा...अब तलाशी जा रही व्यवसायिक संभावनाएं

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Published : Dec 14, 2021, 9:34 PM IST

राजस्थान विश्वविद्यालय (Chrysanthemum exhibition in RU) की नर्सरी में पिछले 35 साल से गुलदाऊदी की रंग-बिरंगी छटा बिखर रही है. गुलदाऊदी के फूल वैसे तो अपनी खूबसूरती के लिए जाने जाते हैं. लेकिन इनके औषधीय गुण भी हैं. इन औषधीय गुणों की पहचान कर गुलदाऊदी की व्यावसायिक खेती की संभावनाएं तलाशी जा रही हैं. देखिए खास रिपोर्ट.

Rajasthan University, jaipur news
राजस्थान यूनिवर्सिटी में गुलदाऊदी की प्रदर्शनी

जयपुर. राजस्थान विश्वविद्यालय की नर्सरी में खिले गुलदाऊदी के फूल पिछले 35 साल से गुलाबी नगरी में रंग-बिरंगी छटा बिखेर रहे हैं. बहुत कम लोग गुलदाऊदी के औषधीय गुणों से वाकिफ हैं. लेकिन अब गुलदाऊदी के इन औषधीय गुणों के व्यापक प्रचार-प्रसार के साथ ही इसकी व्यावसायिक खेती की संभावनाएं भी तलाशी जा रही हैं.

खास बात यह है कि गुलदाऊदी के फूल जहां लगे होते हैं, वहां मादा मच्छर नहीं पनपती हैं. इससे मलेरिया जैसी मौसमी बीमारियों को रोकने में भी मदद मिलती है. दरअसल, राजस्थान विश्वविद्यालय की नर्सरी में पिछले 35 साल से गुलदाऊदी की प्रदर्शनी का आयोजन हो रहा है. नर्सरी में गुलदाऊदी के पौधे तैयार करके इनकी प्रदर्शनी लगाई जाती है और शहर के लोग उत्साह से इनकी खरीदारी करते हैं. इस प्रदर्शनी का मंगलवार को आगाज हुआ है. आज और कल बुधवार को प्रदर्शनी होगी. इसके बाद 16 दिसंबर को गुलदाऊदी के रंग-बिरंगे पौधों की बिक्री होगी. गुलदाऊदी प्रदर्शनी का उद्घाटन करने पहुंचे तकनीकी शिक्षा और आयुर्वेद मंत्री सुभाष गर्ग (Ayurveda Minister Subhash Garg) ने कहा कि राजस्थान विश्वविद्यालय की नर्सरी में पिछले 35 साल से गुलदाऊदी की प्रदर्शनी का आयोजन हो रहा है.

राजस्थान यूनिवर्सिटी में गुलदाऊदी की प्रदर्शनी

यह भी पढ़ें. 35th chrysanthemum Exhibition: राजस्थान विश्वविद्यालय में 35वीं गुलदाउदी प्रदर्शनी का मंगलवार से आगाज

यह यहां की गौरवशाली परंपरा का हिस्सा है. खुशी की बात है कि गुलदाऊदी प्रदर्शनी की प्रतियोगिता में राजस्थान विश्वविद्यालय हमेशा अव्वल रहता है. उन्होंने कहा कि गुलदाऊदी के फूलों के औषधीय गुणों के बारे में कम ही लोगों को पता है. सबसे खास बात यह है कि जहां यह पौधा लगा होता है और जहां इसके फूल खिले होते हैं. वहां मादा मच्छर नहीं पनप पाती हैं. ऐसे में मलेरिया सहित अन्य मौसमी बीमारियों को रोकने में यह पौधा सहायक साबित हो सकता है. इसके साथ ही इसके बहुत से औषधीय गुण हैं. जिनके बारे में रिपोर्ट तैयार करवाई जा रही हैं. इसके साथ ही इनके व्यावसायिक उपयोग की संभावनाएं भी तलाश की जा रही हैं. जिससे राजस्थान के किसान व्यावसायिक रूप से बड़े पैमाने पर गुलदाऊदी की खेती कर अपनी आमदनी बढ़ा सकें.

यह भी पढ़ें. Special: राजस्थान यूनिवर्सिटी की 34 साल पुरानी गुलदाउदी प्रदर्शनी पर भी लटकी कोरोना की तलवार

मंत्री सुभाष गर्ग ने कहा कि इंडियन मेडिसनल प्लांट के बोर्ड में वह इस बात को मजबूती के साथ रखेंगे कि इस बोर्ड के माध्यम से प्लांटेशन गार्डन संभागीय स्तर पर विकसित किए जाएं. इसके बाद जिला और ब्लॉक स्तर पर भी इस तरह के गार्डन विकसित किए जाएंगे. साथ ही गुलदाऊदी के औषधीय गुणों और इसके व्यावसायिक उपयोग का प्रचार-प्रसार किया जाएगा. जिससे ज्यादा से ज्यादा लोग गुलदाऊदी के प्रति आकर्षित हो सकें. क्षेत्र में काफी संभावनाएं हैं. हम किसानों को मेडिसनल प्लांट की खेती के प्रति आकर्षित करेंगे. जिससे उनकी आमदनी में इजाफा हो.

यह भी है खासियत

राजस्थान विश्वविद्यालय की नर्सरी के प्रभारी प्रो. रामावतार शर्मा का कहना है कि मूलतः गुलदाऊदी में तीन ही रंग होते हैं. सफेद, लाल (महरून) और पीला. सफेद गुलदाऊदी को यूरोपीय देशों में शांति और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है. जबकि लाल गुलदाऊदी को प्रेम और पीले गुलदाऊदी को समृद्धि का प्रतीक माना जाता है. इसके साथ ही इसके औषधीय गुण भी हैं. देश के दक्षिणी राज्यों में इसके फूलों की हर्बल (Herbal tea of Chrysanthemum) टी भी बनाई जाती है. हालांकि, स्थानीय मौसम के अनुसार, हाइब्रिड किस्में तैयार होती हैं. जो कई रंगों में होती हैं. उन्होंने कहा कि इस बार आठ रंगों की करीब 55 किस्मों के 3500 पौधे तैयार किए गए हैं. हर एक पौधे की गमले सहित कीमत 100 रुपए तय की गई है. उनका कहना है कि 14 और 15 दिसंबर को सुबह 10 से शाम 4 बजे तक प्रदर्शनी होगी. इसके बाद 16 दिसंबर को बिक्री होगी.

जयपुर. राजस्थान विश्वविद्यालय की नर्सरी में खिले गुलदाऊदी के फूल पिछले 35 साल से गुलाबी नगरी में रंग-बिरंगी छटा बिखेर रहे हैं. बहुत कम लोग गुलदाऊदी के औषधीय गुणों से वाकिफ हैं. लेकिन अब गुलदाऊदी के इन औषधीय गुणों के व्यापक प्रचार-प्रसार के साथ ही इसकी व्यावसायिक खेती की संभावनाएं भी तलाशी जा रही हैं.

खास बात यह है कि गुलदाऊदी के फूल जहां लगे होते हैं, वहां मादा मच्छर नहीं पनपती हैं. इससे मलेरिया जैसी मौसमी बीमारियों को रोकने में भी मदद मिलती है. दरअसल, राजस्थान विश्वविद्यालय की नर्सरी में पिछले 35 साल से गुलदाऊदी की प्रदर्शनी का आयोजन हो रहा है. नर्सरी में गुलदाऊदी के पौधे तैयार करके इनकी प्रदर्शनी लगाई जाती है और शहर के लोग उत्साह से इनकी खरीदारी करते हैं. इस प्रदर्शनी का मंगलवार को आगाज हुआ है. आज और कल बुधवार को प्रदर्शनी होगी. इसके बाद 16 दिसंबर को गुलदाऊदी के रंग-बिरंगे पौधों की बिक्री होगी. गुलदाऊदी प्रदर्शनी का उद्घाटन करने पहुंचे तकनीकी शिक्षा और आयुर्वेद मंत्री सुभाष गर्ग (Ayurveda Minister Subhash Garg) ने कहा कि राजस्थान विश्वविद्यालय की नर्सरी में पिछले 35 साल से गुलदाऊदी की प्रदर्शनी का आयोजन हो रहा है.

राजस्थान यूनिवर्सिटी में गुलदाऊदी की प्रदर्शनी

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यह यहां की गौरवशाली परंपरा का हिस्सा है. खुशी की बात है कि गुलदाऊदी प्रदर्शनी की प्रतियोगिता में राजस्थान विश्वविद्यालय हमेशा अव्वल रहता है. उन्होंने कहा कि गुलदाऊदी के फूलों के औषधीय गुणों के बारे में कम ही लोगों को पता है. सबसे खास बात यह है कि जहां यह पौधा लगा होता है और जहां इसके फूल खिले होते हैं. वहां मादा मच्छर नहीं पनप पाती हैं. ऐसे में मलेरिया सहित अन्य मौसमी बीमारियों को रोकने में यह पौधा सहायक साबित हो सकता है. इसके साथ ही इसके बहुत से औषधीय गुण हैं. जिनके बारे में रिपोर्ट तैयार करवाई जा रही हैं. इसके साथ ही इनके व्यावसायिक उपयोग की संभावनाएं भी तलाश की जा रही हैं. जिससे राजस्थान के किसान व्यावसायिक रूप से बड़े पैमाने पर गुलदाऊदी की खेती कर अपनी आमदनी बढ़ा सकें.

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मंत्री सुभाष गर्ग ने कहा कि इंडियन मेडिसनल प्लांट के बोर्ड में वह इस बात को मजबूती के साथ रखेंगे कि इस बोर्ड के माध्यम से प्लांटेशन गार्डन संभागीय स्तर पर विकसित किए जाएं. इसके बाद जिला और ब्लॉक स्तर पर भी इस तरह के गार्डन विकसित किए जाएंगे. साथ ही गुलदाऊदी के औषधीय गुणों और इसके व्यावसायिक उपयोग का प्रचार-प्रसार किया जाएगा. जिससे ज्यादा से ज्यादा लोग गुलदाऊदी के प्रति आकर्षित हो सकें. क्षेत्र में काफी संभावनाएं हैं. हम किसानों को मेडिसनल प्लांट की खेती के प्रति आकर्षित करेंगे. जिससे उनकी आमदनी में इजाफा हो.

यह भी है खासियत

राजस्थान विश्वविद्यालय की नर्सरी के प्रभारी प्रो. रामावतार शर्मा का कहना है कि मूलतः गुलदाऊदी में तीन ही रंग होते हैं. सफेद, लाल (महरून) और पीला. सफेद गुलदाऊदी को यूरोपीय देशों में शांति और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है. जबकि लाल गुलदाऊदी को प्रेम और पीले गुलदाऊदी को समृद्धि का प्रतीक माना जाता है. इसके साथ ही इसके औषधीय गुण भी हैं. देश के दक्षिणी राज्यों में इसके फूलों की हर्बल (Herbal tea of Chrysanthemum) टी भी बनाई जाती है. हालांकि, स्थानीय मौसम के अनुसार, हाइब्रिड किस्में तैयार होती हैं. जो कई रंगों में होती हैं. उन्होंने कहा कि इस बार आठ रंगों की करीब 55 किस्मों के 3500 पौधे तैयार किए गए हैं. हर एक पौधे की गमले सहित कीमत 100 रुपए तय की गई है. उनका कहना है कि 14 और 15 दिसंबर को सुबह 10 से शाम 4 बजे तक प्रदर्शनी होगी. इसके बाद 16 दिसंबर को बिक्री होगी.

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