जयपुर. राजस्थान में कांग्रेस पार्टी 3 जनवरी को केंद्र सरकार के तीनों कृषि बिलों के विरोध के साथ ही राजस्थान के राज्यपाल पर भी यह दबाव बनाने की कोशिश करेगी कि राजस्थान विधानसभा से पास किए गए किसान समर्थित बिलों को पास किया जाए.
चाहे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत हों या कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद डोटासरा या फिर पार्टी के अन्य नेता, लगातार संवैधानिक संस्थाओं के कमजोर होने और राजभवन पर बिलों को रोकने को लेकर सवाल खड़े करते रहे हैं. सीएम गहलोत भी कह चुके हैं कि राज्यपाल ने क्यों यह तीनों बिल अब तक राष्ट्रपति के पास नहीं भेजे. तो वहीं अब विधानसभा में मुख्य सचेतक महेश जोशी ने भी इन तीन बिलों को रोकने पर राजभवन पर निशाना साधा है.
महेश जोशी ने कहा कि राज्यपाल ने प्रदेश के 3 कृषि बिलों को क्यों रोक रखा है. उन्होंने कहा कि सच यह है कि राज्यपाल को अपनी शक्तियां ईमानदारी से निभाने की जरूरत है. लेकिन यह इमानदारी नहीं है कि राज्य सरकार यह कहे कि विधानसभा का सत्र बुलाना है और राज्यपाल उसमें अनावश्यक देरी करें.
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जोशी ने कहा अगर इमानदारी रखी जाए तो किसी तरीके का सवाल खड़ा ही नहीं होगा. लेकिन दिक्कत तब होती है जब ईमानदारी नहीं रखी जाती. उन्होंने कहा कोई व्यक्ति हो सकता है कि किसी दबाव में वह काम नहीं कर रहा हो लेकिन उसके मन में बात जरूर रहेगी कि जिस संविधान और व्यवस्था से वह इस ओहदे पर पहुंचा है अगर वह अपना काम सही से नहीं करेंगे तो आत्मा उसे जरूर कचोटेगी. चाहे वह राज्यपाल हो, राष्ट्रपति हो या मुख्यमंत्री हो या मंत्री हो अगर वह देश का संविधान के प्रति अपनी जिम्मेदारी नहीं निभा पाए तो वह देश और देश के संविधान के साथ गद्दारी है.