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चम्बल और बनास नदी के प्रदूषण को कम करने के प्रयासों में तेजी लाएंः मुख्य सचिव

मुख्य सचिव निरंजन आर्य ने कहा कि चम्बल और बनास नदी के प्रदूषित जल को कम करने के प्रयासों में तेजी लाएं. मुख्य सचिव गुरुवार को शासन सचिवालय में राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) की ओर से पर्यावरण विभाग को दिये गये निर्देशों की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता के दौरान ये बात कही.

मुख्य सचिव निरंजन आर्य, pollution of Chambal and Banas river
मुख्य सचिव निरंजन आर्य ने ली बैठक
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Published : Apr 1, 2021, 8:32 PM IST

जयपुर. मुख्य सचिव निरंजन आर्य ने कहा कि चम्बल और बनास नदी के प्रदूषित जल को कम करने के प्रयासों में तेजी लाएं. मुख्य सचिव गुरुवार को शासन सचिवालय में राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) की ओर से पर्यावरण विभाग को दिये गये निर्देशों की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे.

समीक्षा बैठक में मुख्य सचिव निरंजन आर्य ने कहा कि देश की 351 प्रदूषित नदियों में से राजस्थान की बनास और चम्बल नदी का नाम होना चिंताजनक है. उन्होंने निर्देश दिए कि नदियों के प्रदूषित जल स्तर को जल्द से जल्द कम करने के लिए एक्शन प्लान तैयार किए जाएं. बैठक में वन एवं पर्यावरण विभाग की प्रमुख शासन सचिव श्रेया गुहा ने बताया कि बीसलपुर में बनास नदी के प्रदूषित नदी खण्ड का जैव रासायनिक ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी) 3 मिलीग्राम प्रति लीटर से नीचे है जो सुरक्षित है.

यह भी पढ़ेंः SPECIAL : असम चुनाव में अलवर के कांग्रेस नेताओं का दबदबा...भंवर जितेंद्र सिंह पर है बड़ी जिम्मेदारी

उन्होंने बताया कि नेवटा बांध पर बनास नदी के बहाव का बीओडी 10 मिलीग्राम प्रति लीटर से अधिक था, जो चिंता का विषय था, लेकिन अब उसका स्तर भी धीरे-धीरे कम होता जा रहा है. बैठक में उन्होंने यह भी कहा कि एक्शन प्लान के अनुसार कोटा में 22 और केशवरायपाटन में 6 अत्याधिक प्रदूषित ड्रेन चिन्हित किए गए हैं, जिनकी नियमित रूप से राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मण्डल की ओर से जांच की जा रही है.

कोटा में 5 सीवेज और केशोरायपाटन में 2 सीवेज का कार्य भी प्रगति पर है औरा मानसून पूर्व सभी ड्रेनों की सफाई भी सुनिश्चित की गई है. गुहा ने बताया कि एक्शन प्लान में औद्योगिक क्षेत्रों से निकलने वाले अपशिष्ट पदार्थो की नियमित मॉनिटरिंग करने के भी निर्देश दिए गए हैं. बैठक में स्वायत शासन विभाग के सचिव भवानी सिंह देथा और वेबीनार के माध्यम से विभिन्न विभागों के उच्च अधिकारियों ने भी भाग लिया.

जयपुर. मुख्य सचिव निरंजन आर्य ने कहा कि चम्बल और बनास नदी के प्रदूषित जल को कम करने के प्रयासों में तेजी लाएं. मुख्य सचिव गुरुवार को शासन सचिवालय में राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) की ओर से पर्यावरण विभाग को दिये गये निर्देशों की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे.

समीक्षा बैठक में मुख्य सचिव निरंजन आर्य ने कहा कि देश की 351 प्रदूषित नदियों में से राजस्थान की बनास और चम्बल नदी का नाम होना चिंताजनक है. उन्होंने निर्देश दिए कि नदियों के प्रदूषित जल स्तर को जल्द से जल्द कम करने के लिए एक्शन प्लान तैयार किए जाएं. बैठक में वन एवं पर्यावरण विभाग की प्रमुख शासन सचिव श्रेया गुहा ने बताया कि बीसलपुर में बनास नदी के प्रदूषित नदी खण्ड का जैव रासायनिक ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी) 3 मिलीग्राम प्रति लीटर से नीचे है जो सुरक्षित है.

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उन्होंने बताया कि नेवटा बांध पर बनास नदी के बहाव का बीओडी 10 मिलीग्राम प्रति लीटर से अधिक था, जो चिंता का विषय था, लेकिन अब उसका स्तर भी धीरे-धीरे कम होता जा रहा है. बैठक में उन्होंने यह भी कहा कि एक्शन प्लान के अनुसार कोटा में 22 और केशवरायपाटन में 6 अत्याधिक प्रदूषित ड्रेन चिन्हित किए गए हैं, जिनकी नियमित रूप से राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मण्डल की ओर से जांच की जा रही है.

कोटा में 5 सीवेज और केशोरायपाटन में 2 सीवेज का कार्य भी प्रगति पर है औरा मानसून पूर्व सभी ड्रेनों की सफाई भी सुनिश्चित की गई है. गुहा ने बताया कि एक्शन प्लान में औद्योगिक क्षेत्रों से निकलने वाले अपशिष्ट पदार्थो की नियमित मॉनिटरिंग करने के भी निर्देश दिए गए हैं. बैठक में स्वायत शासन विभाग के सचिव भवानी सिंह देथा और वेबीनार के माध्यम से विभिन्न विभागों के उच्च अधिकारियों ने भी भाग लिया.

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