जयपुर. नशीले प्रदार्थों को लेकर मुख्य सचिव राजीव स्वरूप सख्त हो गए हैं. सचिव ने कहा कि नशीले पदार्थों से युक्त दवाइयों का दुरूपयोग और मादक पदार्थों की तस्करी एक ज्वलंत सामाजिक समस्या हो गई है, जिसकी रोकथाम के प्रति राज्य सरकार बेहद गंभीर है. उन्होंने निर्देश दिए कि सभी ड्रग कानून प्रवर्तन एजेंसियां आपसी समन्वय के साथ इस समस्या के उन्मूलन के लिए एक प्रभावी रणनीति बनाएं.
मुख्य सचिव गुरुवार को शासन सचिवालय में वीसी के माध्यम से आयोजित राज्य स्तरीय नार्को कोर्डिनेशन सेंटर की द्वितीय बैठक को संबोधित कर रहे थे. स्वरूप ने कहा कि नशीली दवाओं और पदार्थों का सेवन युवा पीढ़ी के लिए धीमे जहर का काम कर रहा है. उन्होंने कहा कि इस समस्या को जड़ से मिटाने के उद्देश्य से ही केन्द्र सरकार द्वारा एनसीओआरडी का गठन किया गया है. उन्होंने कहा कि फारमा-ड्रग्स के दुरूपयोग की रोकथाम के लिए हमें राज्य में कड़े कदम उठाने होंगे, जिसमें स्टेट ड्रग कंट्रोलर की अहम भूमिका होगी.
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मुख्य सचिव ने बैठक में उपस्थित अधिकारियों को नशीली दवाओं के दुरूपयोग और तस्करी को रोकने और प्रदेश के लिए ठोस व्यावहारिक कार्य योजना बनाने के निर्देश दिए. इस अवसर पर अतिरिक्त मुख्य सचिव, गृह, अभय कुमार ने कहा कि प्रदेश में स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) का गठन किया गया है, जो कि ड्रग संबंधित मुद्दों पर कार्रवाई करेंगी. बैठक में 21 जनवरी, 2020 को हुई प्रथम राज्य स्तरीय एनसीओआरडी की बैठक के बिदुओं पर हुई कार्रवाई की समीक्षा भी की गई.
बैठक में राज्य में अफीम पोस्ता की खेती के उपरांत पोस्ता-स्ट्रा को नाश करने की नीति पर और राज्य में साइकोट्रोपिक पदार्थों की बढ़ती अवैध खपत की समस्या का मुकाबला करने में महिलाओं और युवाओं की भागीदारी पर भी चर्चा की गई. बैठक में अतिरिक्त मुख्य सचिव, चिकित्सा एव स्वास्थ्य, अखिल अरोडा सहित सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता, सीबीआई, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो, आदि विभागों के उच्च अधिकारी वीसी के माध्यम में उपस्थित रहे.