जयपुर. शहर में बुधवार को माइंस एवं पेट्रोलियम प्रमुख सचिव ने जयपुर में एमईसीएल, आरएसएमएमएल और खनिज विभाग के अधिकारियों की बैठक ली. इस दौरान उन्होंने जैसलमेर में स्टीलग्रेड लाइम स्टोन के खोज और खनन कार्य में तेजी लाने के निर्देश दिए हैं. उन्होंने कहा कि जैसलमेर में स्टीलग्रेड लाइम स्टोन के विपुल भण्डार मिले हैं और इनमें से सात ब्लॉक आरएसएमएमएल को खनन के लिए दिए गए हैं.
वहीं एमईसीएल से भी जैसलमेर में स्टीलग्रेड लाइमस्टोन के नए ब्लाकों की खोज और खनन कार्य के लिए आगे आने का आग्रह किया है. उन्होंने बताया कि इसके लिए राज्य सरकार की संस्थाओं और एमईसीएल की ओर से साथ मिलकर संयुक्त रुप से भी कार्य किया जा सकता है.
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बैठक में आरएसएमएमएल के एमडी विकास सीताराम भाले, एमईसीएल के सीएमडी रंजीत रथ सहित वरिष्ठ अधिकारी हिस्सा ले रहे थे. उन्होंने बताया कि आरएसएमएमएल को जैसलमेर में स्टीलग्रेड लाइम स्टोन के खनन कार्य के लिए आवश्यक सभी औपचारिकताएं शीघ्र पूरा कर उत्पादन आरंभ करने के निर्देश दिए गए हैं. उन्होंने मिनरल एक्सप्लोरेशन कारपोरेशन से बांसवाड़ा और राजसमंद में मैगनीज के भण्डारों के खोज और खनन कार्य की संभावनाएं भी तलाशने को कहा.
उन्होंने बताया कि राजस्थान में विपुल खनिज संपदा है, जिसके खोज और खनन कार्य को योजनावद्ध तरीके से गति दी जानी है. नागौर बीकानेर बेसिन में पोटाश की खोज के लिए एमईसीएल से एमओयू के बाद प्रगति समीक्षा करते हुए उन्होंने बताया कि पोटाश की खोज के लिए एमईसीएल की ओर से इंटरनेशनल कंसलटेंट की नियुक्ति की कार्रवाई की जा रही है.
शर्मा ने बताया कि देश में राजस्थान इकलोता प्रदेश है जहां पोटाश के भंडार मिले और यहां आधुनिकतम सोल्यूशन तकनीक से पोटाश का खनन किया जाएगा. उन्होंने एमईसीएल को व्यावहारिकता अध्ययन का कार्य छह माह में पूरा करने को कहा जिससे पायलट प्रोजेक्ट पर कार्य आरंभ हो सके. आरएसएमएमएल के प्रबंध संचालक विकास सीताराम भाले ने बताया कि जैसलमेर लाइमस्टोन का खनन कार्य शीघ्र आरंभ करने के कदम उठाए जा रहे हैं. उन्होंने बताया कि राज्य में आरएसएमएमएल की ओर से खनिज खोज और खनन कार्य को गति दी जा रही है.
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मिनरल एक्सप्लोरेशन कारपोरेशन के सीएमडी रंजीत रथ ने बताया कि एमईसीएल की ओर से राजस्थान में 4 लिग्नाइट, 2 पोटाश, 3 कॉपर और एक मैगनीज पर कार्य किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि राज्य सरकार से पोटाश की खोज के लिए त्रिपक्षीय समझौते के बाद कार्ययोजना बनाकर क्रियान्वयन किया जा रहा है. रथ ने बताया कि पोटाश राजस्थान को प्रकृति का वरदान है और इसकी संभाव्य भण्डारों की खोज के लिए आधुनिकतम तकनीक और अंतरराष्ट्रीय स्तर के विषेषज्ञों का सहयोग लिया जाएगा. बैठक में कम्यूटर प्रजेंटेशन के माध्यम से गतिविधियों की जानकारी दी गई।बैठक में निदेशक माइंस कुंज बिहारी पण्ड्या, संयुक्त सचिव माइंस ओम कसेरा, एमईसीएल के उपमहाप्रबंधक आरके जैन, अतिरिक्त निदेशक माइंस प्रदीप अग्रवाल, आरएसएमएमएल के डीजीएम रीतेश पोखरना व इन संस्थाओं के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे.