जयपुर. मुख्य सचिव गुप्ता ने शुक्रवार को शासन सचिवालय में प्रदेश में पेयजल प्रबंधन से जुड़े अंतरविभागीय मुद्दों के सम्बंध में चार प्रमुख विभागों के अधिकारियों की उच्च स्तरीय बैठक ली. उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री ने पेयजल प्रबंधन के बारे में इन विभागों से सम्बंधित विषयों पर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बैठक आयोजित करने के निर्देश दिए थे. इसी सिलसिले में इस बैठक का आयोजन किया गया. यह बैठक प्रत्येक माह आयोजित की जाएगी.
मुख्य सचिव गुप्ता ने प्रदेश में जनता जल योजनाओं की स्थिति की समीक्षा करते हुए निर्देश दिए कि जहां-जहां पंचायतों के पास राज्य वित्त आयोग और केन्द्रीय वित्त आयोग का बजट उपलब्ध है, वहां इन योजनाओं के रखरखाव और कमीशनिंग के कार्यों को शीघ्रता से पूर्ण किया जाए. बैठक में जलदाय विभाग के प्रमुख सचिव राजेश यादव ने बताया कि प्रदेश में 6500 जनता जल योजनाओं में से करीब एक तिहाई समस्याग्रस्त हैं. इन योजनाओं के क्षेत्रों में पीएचईडी टैंकर्स के माध्यम से जल परिवहन की व्यवस्था कर रहा है.
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मुख्य सचिव ने दिए ये निर्देश
वर्तमान में पंचायतीराज संस्थाओं के पास राज्य वित्त आयोग के मद में 1250 करोड़ बजट है. साथ ही केन्द्रीय वित्त आयोग की ओर से इस वर्ष आवंटित 3862 करोड़ की राशि उपलब्ध है, जिसमें करीब आधी राशि का उपयोग पेयजल एवं स्वच्छता से सम्बंधित कार्यों के लिए किया जाना है. मुख्य सचिव ने इस राशि में से बिजली कनेक्शंस के चार्जेज और मरम्मत के कार्यों पर व्यय के निर्देश दिए.
जल्द दिए जाएं कनेक्शन
मुख्य सचिव ने पेयजल योजनाओं के लम्बित विद्युत कनेक्शन के बारे में जानकारी लेते हुए इस कार्य को शीघ्रता से पूरा करने के निर्देश दिए. ऊर्जा विभाग के प्रमुख शासन सचिव अजिताभ शर्मा ने बताया कि पेयजल परियोजनाओं के बकाया कनेक्शनों के बारे में दोनों विभागों के स्तर पर वार्ता में सहमति हो चुकी है और बचे हुए कनेक्शन को जारी करने की कार्रवाई चल रही है.
बताया कि करीब एक हजार बकाया कनेक्शन में से 200 जारी किए जा चुके हैं. शेष 799 कनेक्शन में से 517 आगामी जून माह में जारी कर दिए जाएंगे. इसके बाद बचे कनैक्शंस भी आने वाले महीनों में प्राथमिकता के आधार पर जारी कर दिए जाएंगे. मुख्य सचिव गुप्ता ने जलदाय विभाग की विभिन्न योजनाओं में जल संसाधन विभाग की बकाया हिस्सा राशि के बारे में दोनों विभागों के उच्चाधिकारियों को अतिरिक्त मुख्य सचिव (वित्त) से वार्ता कर इस बारे में अग्रिम कार्यवाही करने के निर्देश दिए.
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बैठक में बताया गया कि एक अप्रैल से चल रहे हैंड पम्प रिपेयरिंग अभियान के तहत अब तक शहरी क्षेत्र में 3424 और ग्रामीण क्षेत्रों में 28 हजार 180 हैण्डपम्पों की मरम्मत की जा चुकी है. राज्य में 3338 हैण्डपम्प, 1942 ट्यूबवैल्स और 339 सिंगल फेज ट्यूबवैल्स की स्वीकृतियां जारी की गई हैं. इनमें से 617 हैण्डपम्प, 989 ट्यूबवैल्स और 76 सिंगल फेज ट्यूबवैल्स अब तक खोदे जा चुके हैं. जबकि 359 हैण्डपम्प, 352 ट्यूबवैल्स तथा 15 सिंगल फेज ट्यूबवैल्स की कमीशनिंग की जा चुकी है.
शहरों, गांवों में टैंकर्स से आपूर्ति
पूरे प्रदेश में 38 शहरों में 396 टैंकर्स के माध्यम से 2468 ट्रिप प्रतिदिन एवं ग्रामीण क्षेत्रों में 844 गांवों एवं 796 ढाणियों में 519 टैंकर्स के माध्यम से 1905 ट्रिप प्रतिदन के आधार पर जलापूर्ति की जा रही है. शिकायतों के निस्तारण के साथ ही विभागीय कार्यालयों के अलावा मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों के माध्यम से पेयजल की गुणवत्ता के परीक्षण के लिए सैम्पल कलैक्शन कर कैमिकल जांच की कार्रवाई की जा रही है. साथ ही अवशेष क्लोरिन की जांच की कार्रवाई लगातार जारी है.
बैठक में ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव राजेश्वर सिंह, जलदाय विभाग के प्रमुख शासन सचिव राजेश यादव, ऊर्जा विभाग के प्रमुख शासन सचिव अजिताभ शर्मा और जल संसाधन विभाग के शासन सचिव नवीन महाजन के अलावा विभागों के अन्य सम्बंधित अधिकारी मौजूद रहे.