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सीएम गहलोत ने की कृषि कानून वापस लेने की मांग, कहा- ठंड में किसान ठिठुर रहे हैं लेकिन केंद्र सरकार संवेदनहीन बनी है - राजस्थान ताजा हिंदी खबरें

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान केंद्र सरकार से कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग की. उन्होंने कहा कि किसानों की प्रतिष्ठा से ही सरकार की प्रतिष्ठा है, इसलिए केंद्र सरकार तीनों काले कानूनों को वापस ले. साथ ही उन्होंने केंद्र सरकार से कोरोना काल में राज्यों को सहायता देने की भी मांग की.

CM Gehlot statement, CM Gehlot statement regarding agricultural laws
सीएम गहलोत ने केंद्र से की कृषि कानून वापस लेने की मांग
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Published : Dec 25, 2020, 6:46 PM IST

जयपुर. तीनों कृषि कानूनों को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शुक्रवार को कहा कि भारत सरकार को समझना चाहिए कि किसान ठंड में बैठा है. ठंड में तो घरों में दिक्कत होती है, किसान तो सड़कों पर बैठा है. केंद्र सरकार को इतनी संवेदनहीनता नहीं दिखानी चाहिए. मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रतिष्ठा तो जनता की होती है, अगर जनता की प्रतिष्ठा कायम रहेगी, तो सरकारों की प्रतिष्ठा कायम रहेगी. अगर जनता की प्रतिष्ठा कायम नहीं रहेगी, तो जनता की कैसे होगी. आज कोई किसानों की सुनवाई करने वाला नहीं है. रोज उनको बुलाते हैं और आश्वासन देते हैं, लेकिन निर्णय नहीं हो रहा.

सीएम गहलोत ने केंद्र सरकार से की कृषि कानून वापस लेने की मांग

सीएम गहलोत ने कहा कि केंद्र सरकार ने इस बिल को पार्लियामेंट से भी गलत तरीके से पास करवाया. अगर विपक्ष की बात मानते हुए इस बिल को सेलेक्ट कमेटी में भेजकर चर्चा होती और फिर बिल पास होता तो आज यह नौबत नहीं होती, क्योंकि बिल सुधार के साथ आता है. उन्होंने दोहराया कि हम 4 मुख्यमंत्री राजस्थान, पंजाब, छत्तीसगढ़ और पांडिचेरी के मुख्यमंत्री मिलना चाहते थे. 4 दिन तक राष्ट्रपति भवन को लिखवाया, लेकिन इतना बड़ा दबाव होगा कि वह चाहते हुए भी हम से नहीं मिल पाए. वरना हम तो 40 साल से राष्ट्रपति भवन जाते हैं और राष्ट्रपति को ज्ञापन देकर आते हैं. फैसला तो राष्ट्रपति को करना होता है, लेकिन मिलना ही नहीं, यह पहली बार हो रहा है.

पढ़ें- सीएम गहलोत ने फिर कही सरकार गिराने के षड्यंत्र की बात, भाजपा के इन नेताओं पर लगाए आरोप

इसके साथ ही उन्होंने राजस्थान के राज्यपाल को लेकर कहा कि वो हमारे तीनों कृषि संशोधन कानूनों को आगे नहीं भेज रहे तो ऑनर किलिंग और मॉब लिंचिंग का जो कानून राजस्थान विधानसभा ने बनाया था, उसको राष्ट्रपति मंजूर नहीं कर रहे. यानी कि भारत सरकार नहीं चाहती कि वह बिल पास हों.

बजरी मेरे लिए सबसे पीड़ा का विषय

मीडिया को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि मेरे 2 साल के कार्यकाल में सबसे ज्यादा पीड़ा का विषय कोई रहा है तो वह बजरी है. बजरी के अवैध धंधे से माफिया पैदा हो गए. मर्डर होने लगे, यह मेरे लिए चिंता का विषय रहा है. मैं जब सरकार में नहीं था तो भी इस विषय को उठाया करता था और आज भी इसमें मुझे कामयाबी नहीं मिली है. अब सुप्रीम कोर्ट की कमेटी इस महीने रिपोर्ट देगी. उसके बाद लीगल बजरी प्रदेश में निकलेगी तो माफिया से छुटकारा मिलेगा और राजस्थान की सरकार को रेवेन्यू भी मिलेगा.

क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी कर रही लोगों को बर्बाद

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसायटी जो लोगों को बर्बाद कर रही है, हमें पहली बार अधिकार मिले हैं कि हम भी अब उनके केस प्रदेश में परशु कर पाएंगे. उन्होंने कहा कि वो जनता से भी आह्वान करते हैं कि ज्यादा ब्याज के चक्कर में नहीं आएं और पैसे बैंकों में ही जमा करवाएं. यह सब लुटेरे हैं. ऐसा ही करते करते हैं और भाग जाते हैं.

सरकार गिराने के षडयंत्र को लेकर क्या बोले सीएम गहलोत

वहीं मुख्यमंत्री ने कहा कि रात को 12 बजे के बाद जो विज्ञापन कई टीवी चैनल पर आते हैं, वह भी विज्ञापन के माध्यम से ठगी कर रहे हैं. वह सब बंद होने चाहिए. हमने इसके लिए टीवी चैनलों को कहा है कि वह ऐसे ठगों के विज्ञापन दिखाना बंद करें.

केंद्र सरकार दे राज्यों को कोरोना काल में सहायता

कोरोना काल में अपने आर्थिक हालातों को लेकर भी उन्होंने भारत सरकार पर आरोप लगाया कि भारत सरकार जो व्यवहार कर रही है, वह खतरनाक व्यवहार है. भारत सरकार ने लॉकडाउन किया तो हमने उसको माना. जब पूरा लॉकडाउन हो गया, सब उद्योग-धंधे बंद हो गए. इनकम बंद हो गई. जीएसटी कम हुई. ऐसे में भारत सरकार को चाहिए कि वह राज्य सरकार की सहायता करे.

पढ़ें- कृषि कानून के खिलाफ चल रहे आंदोलन के काउंटर में भाजपा ने लगाई चौपालें...सुनिये क्या कहा किसानों ने

उन्होंने कहा कि अकाल सूखा पड़ता है, तो भारत सरकार ही सहायता करती है तो काम चलता है. अब कोरोना काल में भी उनको मदद करनी चाहिए. अब भारत सरकार इसलिए पैसा काट रहे हैं कि वह एक्ट ऑफ गॉड है, जबकि बाढ़, सूखा भी एक्ट ऑफ गॉड होता है, लेकिन इस तरीके से राज्य सरकार को टाइट कर रहे हैं, यह सही बात नहीं है.

प्रधानमंत्री से उन्होंने कहा कि उन्हें एक और शिकायत प्रधानमंत्री से है कि उन्होंने देश में ताली और थाली तो बजवा दी, लेकिन ऐसे ही चलता रहा तो आर्थिक व्यवस्था का बैंड बज जाएगा. किसान कर्ज माफी को लेकर उन्होंने साफ किया कि हमारा नाम लेकर प्रधानमंत्री कहते हैं कि राजस्थान सरकार ने किसानों का बिल माफ नहीं किया, जबकि हमने हमारी सरकार बनने के 7 दिनों में किसानों का कर्जा माफ कर दिया था. अब हम केंद्र सरकार से कह रहे हैं कि ने स्लाइस बैंकों का जो किसानों पर कर्जा है, उसे रिजर्व बैंक से कहकर माफ करवाएं, उसमें भी राज्य सरकार 50 प्रतिशत हिस्सा देने को तैयार है.

जयपुर. तीनों कृषि कानूनों को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शुक्रवार को कहा कि भारत सरकार को समझना चाहिए कि किसान ठंड में बैठा है. ठंड में तो घरों में दिक्कत होती है, किसान तो सड़कों पर बैठा है. केंद्र सरकार को इतनी संवेदनहीनता नहीं दिखानी चाहिए. मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रतिष्ठा तो जनता की होती है, अगर जनता की प्रतिष्ठा कायम रहेगी, तो सरकारों की प्रतिष्ठा कायम रहेगी. अगर जनता की प्रतिष्ठा कायम नहीं रहेगी, तो जनता की कैसे होगी. आज कोई किसानों की सुनवाई करने वाला नहीं है. रोज उनको बुलाते हैं और आश्वासन देते हैं, लेकिन निर्णय नहीं हो रहा.

सीएम गहलोत ने केंद्र सरकार से की कृषि कानून वापस लेने की मांग

सीएम गहलोत ने कहा कि केंद्र सरकार ने इस बिल को पार्लियामेंट से भी गलत तरीके से पास करवाया. अगर विपक्ष की बात मानते हुए इस बिल को सेलेक्ट कमेटी में भेजकर चर्चा होती और फिर बिल पास होता तो आज यह नौबत नहीं होती, क्योंकि बिल सुधार के साथ आता है. उन्होंने दोहराया कि हम 4 मुख्यमंत्री राजस्थान, पंजाब, छत्तीसगढ़ और पांडिचेरी के मुख्यमंत्री मिलना चाहते थे. 4 दिन तक राष्ट्रपति भवन को लिखवाया, लेकिन इतना बड़ा दबाव होगा कि वह चाहते हुए भी हम से नहीं मिल पाए. वरना हम तो 40 साल से राष्ट्रपति भवन जाते हैं और राष्ट्रपति को ज्ञापन देकर आते हैं. फैसला तो राष्ट्रपति को करना होता है, लेकिन मिलना ही नहीं, यह पहली बार हो रहा है.

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इसके साथ ही उन्होंने राजस्थान के राज्यपाल को लेकर कहा कि वो हमारे तीनों कृषि संशोधन कानूनों को आगे नहीं भेज रहे तो ऑनर किलिंग और मॉब लिंचिंग का जो कानून राजस्थान विधानसभा ने बनाया था, उसको राष्ट्रपति मंजूर नहीं कर रहे. यानी कि भारत सरकार नहीं चाहती कि वह बिल पास हों.

बजरी मेरे लिए सबसे पीड़ा का विषय

मीडिया को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि मेरे 2 साल के कार्यकाल में सबसे ज्यादा पीड़ा का विषय कोई रहा है तो वह बजरी है. बजरी के अवैध धंधे से माफिया पैदा हो गए. मर्डर होने लगे, यह मेरे लिए चिंता का विषय रहा है. मैं जब सरकार में नहीं था तो भी इस विषय को उठाया करता था और आज भी इसमें मुझे कामयाबी नहीं मिली है. अब सुप्रीम कोर्ट की कमेटी इस महीने रिपोर्ट देगी. उसके बाद लीगल बजरी प्रदेश में निकलेगी तो माफिया से छुटकारा मिलेगा और राजस्थान की सरकार को रेवेन्यू भी मिलेगा.

क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी कर रही लोगों को बर्बाद

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसायटी जो लोगों को बर्बाद कर रही है, हमें पहली बार अधिकार मिले हैं कि हम भी अब उनके केस प्रदेश में परशु कर पाएंगे. उन्होंने कहा कि वो जनता से भी आह्वान करते हैं कि ज्यादा ब्याज के चक्कर में नहीं आएं और पैसे बैंकों में ही जमा करवाएं. यह सब लुटेरे हैं. ऐसा ही करते करते हैं और भाग जाते हैं.

सरकार गिराने के षडयंत्र को लेकर क्या बोले सीएम गहलोत

वहीं मुख्यमंत्री ने कहा कि रात को 12 बजे के बाद जो विज्ञापन कई टीवी चैनल पर आते हैं, वह भी विज्ञापन के माध्यम से ठगी कर रहे हैं. वह सब बंद होने चाहिए. हमने इसके लिए टीवी चैनलों को कहा है कि वह ऐसे ठगों के विज्ञापन दिखाना बंद करें.

केंद्र सरकार दे राज्यों को कोरोना काल में सहायता

कोरोना काल में अपने आर्थिक हालातों को लेकर भी उन्होंने भारत सरकार पर आरोप लगाया कि भारत सरकार जो व्यवहार कर रही है, वह खतरनाक व्यवहार है. भारत सरकार ने लॉकडाउन किया तो हमने उसको माना. जब पूरा लॉकडाउन हो गया, सब उद्योग-धंधे बंद हो गए. इनकम बंद हो गई. जीएसटी कम हुई. ऐसे में भारत सरकार को चाहिए कि वह राज्य सरकार की सहायता करे.

पढ़ें- कृषि कानून के खिलाफ चल रहे आंदोलन के काउंटर में भाजपा ने लगाई चौपालें...सुनिये क्या कहा किसानों ने

उन्होंने कहा कि अकाल सूखा पड़ता है, तो भारत सरकार ही सहायता करती है तो काम चलता है. अब कोरोना काल में भी उनको मदद करनी चाहिए. अब भारत सरकार इसलिए पैसा काट रहे हैं कि वह एक्ट ऑफ गॉड है, जबकि बाढ़, सूखा भी एक्ट ऑफ गॉड होता है, लेकिन इस तरीके से राज्य सरकार को टाइट कर रहे हैं, यह सही बात नहीं है.

प्रधानमंत्री से उन्होंने कहा कि उन्हें एक और शिकायत प्रधानमंत्री से है कि उन्होंने देश में ताली और थाली तो बजवा दी, लेकिन ऐसे ही चलता रहा तो आर्थिक व्यवस्था का बैंड बज जाएगा. किसान कर्ज माफी को लेकर उन्होंने साफ किया कि हमारा नाम लेकर प्रधानमंत्री कहते हैं कि राजस्थान सरकार ने किसानों का बिल माफ नहीं किया, जबकि हमने हमारी सरकार बनने के 7 दिनों में किसानों का कर्जा माफ कर दिया था. अब हम केंद्र सरकार से कह रहे हैं कि ने स्लाइस बैंकों का जो किसानों पर कर्जा है, उसे रिजर्व बैंक से कहकर माफ करवाएं, उसमें भी राज्य सरकार 50 प्रतिशत हिस्सा देने को तैयार है.

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