जयपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट शुक्रवार को दिल्ली पहुंचे. मुख्यमंत्री शनिवार को कांग्रेस हाईकमान के साथ होने वाली अहम बैठक में भाग लेंगे. दिल्ली पहुंचने के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने किसान आंदोलन को लेकर कहा कि इसका जल्द हल निकलना चाहिए.
सवाल- आप 10 महीने बाद दिल्ली आ रहे हैं, काफी लंबा समय रहा है, मीटिंग हो रही है, क्या कुछ खास रहेगा मीटिंग में ?
जवाब- मीटिंग होगी तब बताएंगे आपको. कल मीटिंग है, उसमें आए हैं, कल बातचीत करेंगे, आगे प्लानिंग क्या है, काफी लंबे अरसे बाद मीटिंग हो रही है. वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से तो मीटिंग हुई है, पर फिजिकली मीटिंग में कल हम सब लोग मिलेंगे.
सवाल- जिस तरह के राजनीतिक हालात बने हुए हैं, आंदोलन चल रहा है किसानों का उसको लेकर ?
जवाब- किसानों के आंदोलन ने तो सबको उद्वेलित किया हुआ है, राहुल गांधी बराबर बोल रहे हैं उसके ऊपर भी, हम सब लोग आवाज उठा रहे हैं. इस सर्दी के अंदर, ठंड के अंदर 22-23 दिन हो गए किसानों को, आप कल्पना कीजिए. मीडिया में रिपोर्ट आ रही है कि 38 लोग मारे गए हैं, क्या बीत रही होगी उनके ऊपर ठंड के अंदर सोच सकता है कोई आदमी, तो इसका तो अविलंब हल निकलना चाहिए. शनिवार को सुप्रीम कोर्ट में जब केस लगा था, तो उम्मीद बंधी थी कि कोई रास्ता निकाल देंगे. पर अभी रास्ता निकला नहीं है. उम्मीद करते हैं कि कोई ना कोई रास्ता निकले.
सवाल- कांग्रेस पार्टी से केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री पर लगातार जो अटैक हैं वो तो किए ही जा रहे हैं, जो आरोप लगाए जा रहे हैं? लेकिन आज जब प्रधानमंत्री मध्यप्रदेश में किसानों को संबोधित कर रहे थे, तो उन्होंने टार्गेट किया राजस्थान को, राजस्थान की कांग्रेस सरकार को? कर्जमाफी को लेकर उन्होंने सीधा निशाना साधा कि कर्जमाफी नहीं की गई जो कांग्रेस शासित राज्य हैं?
जवाब- कर्जमाफी हमने की, हमें को-ऑपरेट नहीं कर रहा केंद्र. जो को-ऑपरेटिव बैंक राजस्थान की है, भूमि विकास बैंक हैं सब कर्जे माफ कर दिए. जो राष्ट्रीयकृत बैंक के हैं, जो भारत सरकार के अंडर में आती हैं, आरबीआई के, उनके कर्जे किसानों के हैं, वो माफ नहीं कर पा रहे हैं क्योंकि भारत सरकार बातचीत नहीं कर रही है. हमने प्रधानमंत्री को पत्र भी लिखे हैं कि राष्ट्रीयकृत बैंकों को ये निर्देश जाने चाहिए कि जैसे हमने कर्जे माफ किए हैं हमारी बैंकों के, उसी रूप में वो लोग कर्जे माफ करने के लिए आगे आएं. अभी तो फैसला किया नहीं है तो दोष तो उनके ऊपर जाता है जो राष्ट्रीयकृत बैंक वालों का कर्जा माफ नहीं कर पा रहे हैं.
सवाल- सर केंद्र से जब मदद की बात आती है तो आप क्योंकि पिछली बार भी जब आप आए थे एकबार पिछले साल तो आपने वित्त मंत्री से मुलाकात की थी, राज्य के हिस्से का जो पैसा है वो 11 हजार करोड़ से ज्यादा का बाकी है, वो नहीं मिल पा रहा है?
जवाब- वो तो सबको मालूम हैं आंकड़े, वो तो कोई छिपा नहीं सकता है. आज अगर जीएसटी का पैसा नहीं मिल रहा है हम लोगों को तो वो सबको मालूम है, ये भी यही कहेंगे, इसमें तो कोई असत्य बोल ही नहीं सकता है. आज जीएसटी का पैसा रुक गया है राज्यों का, कोविड का मुकाबला कौन कर रहा है, राज्य सरकारें कर रही हैं और वो पैसा रुका हुआ है, तो तकलीफ तो राज्यों को हो रही है.
पूरा वित्तीय प्रबंधन गड़बड़ा रहा है, रेवेन्यू ध्वस्त हो गया है. हालांकि केंद्र की भी कम हुई है राज्यों की भी कम हुई है पर केंद्र के पास तो आरबीआई भी है, नोट छापने के अधिकार हैं, राज्यों के पास क्या है? केंद्र को आगे आकर राज्यों के क्या माली हालत हैं देखना चाहिए, इम्दाद करनी चाहिए. किसानों को जो ये संघर्ष करना पड़ रहा है, ये नौबत बुलाई क्यों केंद्र ने? अगर वो सबसे बातचीत कर लेते किसान नेताओं से, पार्लियामेंट में डिस्कशन हो जाता ढंग से, तो ये नौबत ही नहीं आती. आज कितना, पूरा मुल्क ही नहीं पूरी दुनिया के मुल्कों के अंदर इस आन्दोलन को लेकर जो प्रदर्शन हो रहे हैं, रैलियां हो रही हैं, वो हम सबके लिए चिंता का विषय होना चाहिए.
सवाल- सरकार को दो साल हो गए...
जवाब- मैंने प्रदेशवासियों को कहा है कि उनके आशीर्वाद से, उनकी दुआओं से हम लोगों ने दो साल तक जो शासन किया है, जो वायदे किए थे उनमें से आधे वादे हम लोगों ने पूरे किए हैं. जबकि आचार संहिता लागू हुई थी, कोरोना अलग आ गया, तब भी हमने कमी नहीं रखी और कोरोना में बेमिसाल काम राजस्थान के अंदर हुए हैं. स्वास्थ्य सेवाओं में भी इन्फ्रास्ट्रक्चर अच्छा बन गया. तो मैं समझता हूं कि कुल मिलाकर बहुत अच्छा रहा.