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Corona से जागरूकता को लेकर मुख्य निर्वाचन अधिकारी श्याम सिंह राजपुरोहित ने लिखी कविता

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Published : Apr 11, 2020, 10:49 AM IST

कोरोना वायरस के बारे में जागरूक करने के लिए राजस्थान के मुख्य निर्वाचन अधिकारी श्याम सिंह राजपुरोहित ने एक कविता लिखी है. कविता के माध्यम से उन्होंने कोरोना के कारण बने हालातों को दर्शाया है. कविता में उन्होंने बताया है कि जिंदा रहने के लिए घर में रहने का ही एक मात्र रास्ता नजर आता है.

Poem on Corona Virus, श्यामसिंह राजपुरोहित की कविता
कोरोना वायरस को लेकर मुख्य निर्वाचन अधिकारी श्यामसिंह राजपुरोहित ने लिखी कविता

जयपुर. विश्वव्यापी महामारी का रूप ले चुके कोरोना वायरस को हराने के लिए लोग अपने-अपने तरीके से जागरूकता फैलाने का काम कर रहे हैं. इसी कड़ी में फिल्म अभिनेताओं के बाद अब राजस्थान के आईएएस श्याम सिंह राजपुरोहित ने कोरोना वायरस पर अपनी एक रचना लिखी है. 'नवा-ए- कोरोना' के नाम से लिखी गई इस रचना की सभी लाइनों के पहले अक्षर को मिलाकर कोरोना वायरस शब्द बनता है. इस रचना के जरिए कोरोना के प्रभाव को बहुत खूबसरती से पेश किया गया है.

Poem on Corona Virus, श्यामसिंह राजपुरोहित की कविता
श्यामसिंह राजपुरोहित की कविता 'नवा-ए-कोरोना'

पढ़ें- राजधानी में बीते तीन दिनों में लिए गए 2228 सैंपल्स, रिपोर्ट आने पर तय की जाएगी आगे की रणनीति

राजस्थान राज्य निर्वाचन आयोग के मुख्य निर्वाचन अधिकारी का पद संभाला रहे आईएएस श्याम सिंह राजपुरोहित की साहित्य में खासी रुचि है, यही वजह है कि श्याम सिंह राजपुरोहित ने कोरोना वायरस पर अपनी एक रचना लिखी है. आईएएस द्वारा लिखी गई इस रचना को बहुत पसंद किया जा रहा है. इस रचना के हर शेर में कोरोना वायरस को लेकर उपजे हालातों को बहुत सुन्दर शब्दों के जरिये पेश किया गया है.

कोरोना वायरस को लेकर मुख्य निर्वाचन अधिकारी श्यामसिंह राजपुरोहित ने लिखी कविता

नवा-ए-कोरोना:

कोना कोना शहर का अब वीरान नजर आता है

हर गली कूचा और बाजार सुना नजर आता है.

रोज रहा करता था गुलजार जो हंसी ठहाकों से

वही चौबारा अब तो शमशान नजर आता है.

नादान लोगों की हरकतों को भुगतने को मजबूर

सीधा सादा आदमी बेवजह हलकान नजर आता है.

वाकई यह कोई बीमारी ही है, ऐसा लगता नहीं या रब

यह तो इंसानी खताओं का तावान नजर आता है.

यकीन करने के लिए मौजूद है वजूहात काफी

यह आलमी में वबा सब मर्जों का सुलतान नजर आता है.

रहने को बनाया था जिसे बड़ी जद्दोजहद से

रहते हुए उसी घर में कोई परेशान नजर आता है.

सब महफूज हैं, रहें जब तक कि घर ही में अपने

जिंदा रहने की को यही एक इम्तिहान नजर आता है.

जयपुर. विश्वव्यापी महामारी का रूप ले चुके कोरोना वायरस को हराने के लिए लोग अपने-अपने तरीके से जागरूकता फैलाने का काम कर रहे हैं. इसी कड़ी में फिल्म अभिनेताओं के बाद अब राजस्थान के आईएएस श्याम सिंह राजपुरोहित ने कोरोना वायरस पर अपनी एक रचना लिखी है. 'नवा-ए- कोरोना' के नाम से लिखी गई इस रचना की सभी लाइनों के पहले अक्षर को मिलाकर कोरोना वायरस शब्द बनता है. इस रचना के जरिए कोरोना के प्रभाव को बहुत खूबसरती से पेश किया गया है.

Poem on Corona Virus, श्यामसिंह राजपुरोहित की कविता
श्यामसिंह राजपुरोहित की कविता 'नवा-ए-कोरोना'

पढ़ें- राजधानी में बीते तीन दिनों में लिए गए 2228 सैंपल्स, रिपोर्ट आने पर तय की जाएगी आगे की रणनीति

राजस्थान राज्य निर्वाचन आयोग के मुख्य निर्वाचन अधिकारी का पद संभाला रहे आईएएस श्याम सिंह राजपुरोहित की साहित्य में खासी रुचि है, यही वजह है कि श्याम सिंह राजपुरोहित ने कोरोना वायरस पर अपनी एक रचना लिखी है. आईएएस द्वारा लिखी गई इस रचना को बहुत पसंद किया जा रहा है. इस रचना के हर शेर में कोरोना वायरस को लेकर उपजे हालातों को बहुत सुन्दर शब्दों के जरिये पेश किया गया है.

कोरोना वायरस को लेकर मुख्य निर्वाचन अधिकारी श्यामसिंह राजपुरोहित ने लिखी कविता

नवा-ए-कोरोना:

कोना कोना शहर का अब वीरान नजर आता है

हर गली कूचा और बाजार सुना नजर आता है.

रोज रहा करता था गुलजार जो हंसी ठहाकों से

वही चौबारा अब तो शमशान नजर आता है.

नादान लोगों की हरकतों को भुगतने को मजबूर

सीधा सादा आदमी बेवजह हलकान नजर आता है.

वाकई यह कोई बीमारी ही है, ऐसा लगता नहीं या रब

यह तो इंसानी खताओं का तावान नजर आता है.

यकीन करने के लिए मौजूद है वजूहात काफी

यह आलमी में वबा सब मर्जों का सुलतान नजर आता है.

रहने को बनाया था जिसे बड़ी जद्दोजहद से

रहते हुए उसी घर में कोई परेशान नजर आता है.

सब महफूज हैं, रहें जब तक कि घर ही में अपने

जिंदा रहने की को यही एक इम्तिहान नजर आता है.

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