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जयपुर : डाला छठ पूजा शुरू...कोरोना के चलते गलताजी में नहीं लग सकेगी आस्था की डुबकी

सूर्य उपासना के महापर्व डाला छठ महोत्सव बुधवार से शुरू हो गया है. वहीं, कोरोना महामारी के चलते इस बार जयपुर के प्रसिद्ध तीर्थस्थल गलताजी सरोवर में डुबकी नहीं लगाई जा सेकेगी.

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आज से डाला छठ पूजा शुरू
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Published : Nov 18, 2020, 4:34 PM IST

जयपुर. सूर्य उपासना के महापर्व डाला छठ महोत्सव बुधवार से शुरू हो गया है. नहाय खाय के साथ शुरू हुआ लोक आस्था का मुख्य पर्व शुक्रवार शाम को होगा और शनिवार को समापन होगा. वहीं कोरोना महामारी के चलते इस बार जयपुर के प्रसिद्ध तीर्थस्थल गलताजी सरोवर में डुबकी नहीं लगाई जा सेकेगी.

आज से डाला छठ पूजा शुरू

ज्योतिषविदो के मुताबिक हिन्दू धर्म में छठ पूजा का विशेष महत्व है, लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते गलताजी तीर्थस्थल बंद है. ऐसे में इस बार समाज जन गलताजी में डुबकी नहीं लगा सकेंगे. वहीं समाज जन घरों में कृत्रिम जलाशय बनाकर विधिवत परंपरा को पूरी करेंगे. इसके लिए घरों में कृत्रिम जलाशय बनाकर उगते और ढ़लते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा.

यह भी पढ़ें- जैसलमेर : महिला ने शादी करने से मना किया तो घर में घुसकर काट दी नाक

दरअसल आधुनिकता के दौर में पर्व पूरी तरह से बदल गया है. पहले जयपुर में मूलतः बिहार के प्रवासरत लोग पूजा कर करते थे और बिना भेदभाव के सभी लोग एक साथ पर्व मनाते थे, लेकिन कोरोना ने सबकुछ बदल दिया है. महिलाएं संतान प्राप्ति के साथ-साथ परिवार की सुख-समृद्धि के लिए व्रत रखकर छठ मैया की पूजा अर्चना करती है. इसके लिए नहाय खाय खरना की व्रत करने वाली व्रती पूरे दिन निर्जल निराहार रहकर शाम को गुड़ की खीर और बिना नमक की रोटी, केला और तुलती पत्ता रखकर भगवान सूर्य का पूजन करेगी.

जयपुर. सूर्य उपासना के महापर्व डाला छठ महोत्सव बुधवार से शुरू हो गया है. नहाय खाय के साथ शुरू हुआ लोक आस्था का मुख्य पर्व शुक्रवार शाम को होगा और शनिवार को समापन होगा. वहीं कोरोना महामारी के चलते इस बार जयपुर के प्रसिद्ध तीर्थस्थल गलताजी सरोवर में डुबकी नहीं लगाई जा सेकेगी.

आज से डाला छठ पूजा शुरू

ज्योतिषविदो के मुताबिक हिन्दू धर्म में छठ पूजा का विशेष महत्व है, लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते गलताजी तीर्थस्थल बंद है. ऐसे में इस बार समाज जन गलताजी में डुबकी नहीं लगा सकेंगे. वहीं समाज जन घरों में कृत्रिम जलाशय बनाकर विधिवत परंपरा को पूरी करेंगे. इसके लिए घरों में कृत्रिम जलाशय बनाकर उगते और ढ़लते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा.

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दरअसल आधुनिकता के दौर में पर्व पूरी तरह से बदल गया है. पहले जयपुर में मूलतः बिहार के प्रवासरत लोग पूजा कर करते थे और बिना भेदभाव के सभी लोग एक साथ पर्व मनाते थे, लेकिन कोरोना ने सबकुछ बदल दिया है. महिलाएं संतान प्राप्ति के साथ-साथ परिवार की सुख-समृद्धि के लिए व्रत रखकर छठ मैया की पूजा अर्चना करती है. इसके लिए नहाय खाय खरना की व्रत करने वाली व्रती पूरे दिन निर्जल निराहार रहकर शाम को गुड़ की खीर और बिना नमक की रोटी, केला और तुलती पत्ता रखकर भगवान सूर्य का पूजन करेगी.

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