जयपुर. राजस्थान में बढ़ते कोरोना संक्रमण के दौरान जिन जनप्रतिनिधियों को कोरोना ब्रेकर बनना था, वहीं कोरोना के सुपर स्प्रेडर की भूमिका में नजर आए. खास तौर पर प्रदेश BJP का सरकार के खिलाफ चल रहा 'हल्ला बोल' अभियान कोरोना संक्रमण का वजह बना.
बीते 31 अगस्त को ही प्रदेश में हल्ला बोल कार्यक्रम के तहत 1600 से अधिक स्थानों पर विरोध-प्रदर्शन और धरने का कार्यक्रम हुआ. इसमें अब जब संक्रमण की जद में प्रदेश भाजपा की टॉप लीडर आ चुके हैं, तब ये उम्मीद तो की जाना चाहिए कि अब ये जनप्रतिनिधि धरने प्रदर्शन और भीड़ जुटाने की राजनीति से बाज आएंगे.
संभवत: अब इसकी उम्मीद की जा सकती है और संकेत भी ऐसे ही मिल रहे हैं. ऐसे भी भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सतीश पूनिया सहित राजस्थान भाजपा के करीब 12 से अधिक विधायक और पूर्व विधायक संक्रमित हो चुके हैं. इसके साथ ही 6 सांसद, जिनमें 3 केंद्रीय मंत्री भी शामिल हैं, कोरोना की चपेट में आ चुके हैं.
वहीं, बीजेपी संगठन से जुड़े हुए कई पदाधिकारी इस महामारी की चपेट और दंश झेल चुके हैं. इसके बाद यह उम्मीद तो की ही जा सकती है कि शायद अब इन जनप्रतिनिधियों को इस बात का अहसास गया होगा कि उनकी ये सियासत प्रदेश के लोगों की जान पर भारी पड़ सकती है.
8 और 10 सितंबर को धरना-प्रदर्शन, ज्ञापन कार्यक्रम में नहीं होगा 'हल्ला'...
बिजली के बढ़े हुए बिलों सहित विभिन्न मुद्दों को लेकर बीजेपी का हल्ला बोल अभियान चल रहा है. जिसके तहत आगामी 8 और 10 सितंबर को प्रदेश स्तरीय धरना-प्रदर्शन का कार्यक्रम है. 8 सितंबर को उपखंड स्तर पर BJP नेता और कार्यकर्ता धरना-प्रदर्शन कर ज्ञापन सौंपेंगे. वहीं, 10 सितंबर को प्रदेश के सभी जिला मुख्यालयों पर भाजपा से जुड़े जनप्रतिनिधि, कार्यकर्ता, पदाधिकारी और जिला कलेक्टर के नाम ज्ञापन सौंपेंगे. अब तक बीजेपी के विरोध प्रदर्शन कार्यक्रमों के दौरान काफी संख्या में भाजपा के कार्यकर्ता और नेता जुटे. इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग की भी अवहेलना हुई.
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सीधे तौर पर कहा जाए तो भाजपा के यही नेता और जनप्रतिनिधि कोरोना सुपर स्प्रेडर की भूमिका में भी नजर आए, लेकिन अब जब भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सहित कई विधायक और पदाधिकारी इसकी चपेट में आ चुके हैं तो शायद भाजपा के नेता वही भूल नहीं करेंगे जो पिछले दिनों धरना-प्रदर्शन के दौरान की गई थी. खुद भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉक्टर सतीश पूनिया ने इसके संकेत दिए हैं. मतलब 8 और 10 सितंबर को होने वाले कार्यक्रमों में या तो बदलाव होगा और यदि नहीं होता तो यह तय है कि अब केवल औपचारिकता निभाने के लिए ही इस एक ज्ञापन देने तक सीमित रखेंगे. वह भी गिने-चुने जनप्रतिनिधि इस काम को अंजाम देंगे. संभवत: हो सकता है कई स्थानों पर यह ज्ञापन ईमेल या ऑनलाइन तरीके से भेजा जाए.
ये प्रदेश भाजपा नेता आ चुके हैं कोरोना की चपेट में...
ऐसे तो बीजेपी के प्रदेश से जुड़े सभी टॉप लीडर कोरोना की चपेट में आ चुके हैं. इनमें राजस्थान से आने वाले तीनों केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, अर्जुन राम मेघवाल और कैलाश चौधरी का नाम शामिल है. वहीं, सांसद डॉ. किरोड़ी लाल मीणा, राजेंद्र गहलोत और बीजेपी के सहयोगी दल आरएलपी के प्रमुख व नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल भी कोरोना संक्रमित हो चुके हैं. फिलहाल, प्रतिपक्ष के उपनेता राजेंद्र राठौड़ और सांगानेर से विधायक अशोक लाहोटी जयपुर में ही कोरोना का उपचार करवा रहे हैं. साथ ही विधायक चंद्रभान और हमीर सिंह भायल भी अपने क्षेत्र में कोरोना पॉजिटिव आने के बाद अब उपचार करवा रहे हैं.
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साथ ही संगठन से आने वाले प्रदेश महामंत्री भजनलाल शर्मा, प्रदेश सचिव और पूर्व संसदीय सचिव रहे जितेंद्र गोठवाल, पूर्व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और मंत्री रहे अरुण चतुर्वेदी, विधायक पब्बाराम विश्नोई, अनीता भदेल पहले ही कोरोना पॉजिटिव आ चुके हैं. फिलहाल, उपचार के बाद अब स्वस्थ हैं. भाजपा नेता राजेंद्र सिंह खाचरियावास पॉजिटिव हैं. जयपुर से आने वाले निवर्तमान पार्षद भवानी सिंह राजावत और महिला मोर्चा कार्यकर्ता आंचल अवाना भी कोरोना पॉजिटिव आ चुकी हैं.