जयपुर. प्राइवेट अस्पतालों के बाद अब सरकारी अस्पतालों में भी सिजेरियन प्रसव से जुड़े मामले बढ़ने लगे हैं. राजधानी जयपुर के मातृत्व अस्पतालों की बात की जाए तो बीते कुछ साल में नॉर्मल प्रसव के मुकाबले सिजेरियन डिलीवरी की संख्या में वृद्धि हुई है. चिकित्सकों का कहना है कि आमतौर पर सरकारी अस्पतालों में सामान्य प्रसव पर जोर दिया जाता है लेकिन बीते कुछ समय में सरकारी अस्पतालों में भी सिजेरियन डिलीवरी के केस बढे़ हैं और आमतौर पर गर्भवती महिला की स्थिति के अनुसार ही सामान्य या सिजेरियन प्रसव करवाया जाता है.
शहर के मातृत्व अस्पतालों से मिली जानकारी के अनुसार बीते कुछ समय में सिजेरियन डिलीवरी की संख्या में करीब 15% की वृद्धि हुई है. जयपुर के सबसे बड़े जनाना अस्पताल की बात की जाए तो आमतौर पर औसतन हर दिन 70 डिलीवरी अस्पताल में की जाती है और महीने में 2000 डिलीवरी आमतौर पर इस अस्पताल में होती है जिसमें करीब 30 से 35% डिलीवरी सिजेरियन दर्ज की गई है. जबकि इससे पहले यह आंकड़ा सिर्फ 10 से 15 प्रतिशत था. ऐसे में आंकड़ों से अनुमान लगाया जा सकता है कि बीते कुछ सालों में सरकारी अस्पतालों में सिजेरियन डिलीवरी के मामलों में बढ़ोतरी देखने को मिली है.
स्थिति के अनुसार लेते हैं निर्णय
वहीं मामले को लेकर मेटरनिटी हेल्थ से जुड़े चिकित्सक और डायरेक्टर आरसीएच डॉ. लक्ष्मण सिंह ओला का कहना है कि जब गर्भवती महिला को अस्पताल में लाया जाता है तो उसकी स्थिति के अनुसार सिजेरियन डिलीवरी या फिर सामान्य डिलीवरी का निर्णय लिया जाता है. कई बार महिला की शारीरिक बनावट इस तरह नहीं होती कि उसकी नॉर्मल डिलीवरी करवाई जाए. ऐसे में चिकित्सकों को सिजेरियन डिलीवरी का सहारा लेना पड़ता है.
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इसके अलावा कई बार महिला की स्थिति गंभीर होने पर भी या फिर गर्भ में पल रहे बच्चे की स्थिति ठीक नहीं होने पर भी सिजेरियन डिलीवरी का निर्णय चिकित्सक लेते हैं. इस तरह के केस भी सामने आते हैं कि गर्भवती महिला किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित है, ऐसी स्थिति में भी चिकित्सकों को मजबूरन सिजेरियन डिलीवरी करनी पड़ती है. यही वजह है कि बीते कुछ वर्षों में इस तरह के मामले लगातार बढ़ने लगे हैं जिसके बाद धीरे-धीरे सिजेरियन डिलीवरी सामान्य की तुलना में बढ़ी हैं.
विभाग रखता है नजर
डायरेक्टर आरसीएच डॉ. लक्ष्मण सिंह ओला का कहना है कि संस्थागत डिलीवरी को लेकर विभाग लगातार नजर बनाए रखता है और धीरे धीरे प्रदेश के अस्पतालों में प्रसव से जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर भी डेवलप किए गए हैं. उनका कहना है कि जब गर्भवती महिला अस्पताल आती है तो जब तक डिलीवरी नहीं होती उसकी ट्रैकिंग की जाती है ताकि अस्पताल में सुरक्षित प्रसव कराया जा सके.