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सरकार का यू-टर्न : पहले स्कूल खोलने की तारीख का ऐलान अब 5 मंत्रियों की बनाई समिति, शिक्षक संगठनों ने कही ये बात

आगामी 2 अगस्त से राजस्थान में स्कूल खोलने का ऐलान करने वाली सरकार इसके लिए एसओपी का गठन किया है. पांच मंत्रियों की यह समिति फीडबैक लेकर ही तारीख का निर्धारण करेगी. शिक्षक संघों का कहना है कि शिक्षा मंत्री स्कूल खोलने में जल्दबाजी दिखा रहे हैं जबकि अभी तक स्कूलों को संसाधन युक्त नहीं किया गया है.

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Published : Jul 24, 2021, 1:29 PM IST

Updated : Jul 24, 2021, 1:54 PM IST

Ccommittee of five ministers
Ccommittee of five ministers

जयपुर. राज्य सरकार एक तरफ तो शिक्षण संस्थानों को खोलने की तैयारी कर रही है वहीं दूसरी ओर शिक्षण संस्थाओं को खोलने की तारीख और एसओपी के लिए एक समिति का गठन किया है. राज्य मंत्री परिषद की बैठक में शिक्षण संस्थाओं को खोलने का सैद्धांतिक फैसला लेते हुए पांच सदस्य मंत्रियों की समिति बनाई गई है. जिसमें मंत्री डॉ. रघु शर्मा, गोविंद सिंह डोटासरा, लालचंद कटारिया, डॉ. सुभाष गर्ग और भंवर सिंह भाटी को शामिल किया गया है.

स्कूल खोलने को लेकर शिक्षक संघों का बयान

इससे पहले ही प्रदेश के शिक्षा राज्य मंत्री इस बात के संकेत दे चुके हैं कि राजस्तान में 2 अगस्त से स्कूल री-ओपन होने जा रहे हैं. लेकिन विपक्षी दलों और शिक्षक संघों के विरोध के बाद अब पांच मंत्रियों की समिति बनाकर सरकार बैकफुट पर नजर आ रही है. सरकार का ये कहना है कि कोविड-19 महामारी की संभावित तीसरी लहर के दृष्टिगत शिक्षण संस्थाओं को खोलने की एसओपी के संबंध में गहन विचार-विमर्श कर फैसला लिया जाना है. इसके लिए मंत्रियों की समिति बनाई गई है.

पढ़ें: अभिभावक बोले- निजी स्कूलों के दबाव में लिया स्कूल खोलने का फैसला, बच्चों के संक्रमित होने पर जवाबदेही तय करना जरूरी

यह समिति भारत सरकार के स्वास्थ्य तथा मानव संसाधन मंत्रालय, आईसीएमआर और दूसरे राज्य जहां शैक्षणिक संस्थान शुरू किए गए हैं उनके साथ संपर्क कर उनके अनुभव और फीडबैक पर चर्चा करेगी. साथ ही भारत सरकार के जारी दिशा-निर्देशों की जानकारी लेकर शिक्षण संस्थाओं को खोलने की तारीख और एसओपी के संबंध में निर्णय करेगी. शुक्रवार को सीएम आवास पर वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए हुई इस बैठक में चिकित्सा विशेषज्ञों ने देश और दुनिया में कोविड-19 संक्रमण की स्थिति, बच्चों पर इसके प्रभाव और आने वाले दिनों में संक्रमण की आशंका पर भी विस्तृत जानकारी दी.

इस कॉन्फ्रेंस में सभी विशेषज्ञों की राय थी कि शिक्षण संस्थानों में सभी शैक्षणिक और गैर शैक्षणिक स्टाफ, बच्चों के परिवहन के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले वाहनों के ड्राइवर और संपर्क में आने वाले दूसरे व्यक्तियों का टीकाकरण सुनिश्चित किया जाए. साथ ही कोविड-19 प्रोटोकॉल की पालना सुनिश्चित की जा सके, इसके लिए विस्तृत गाइडलाइंस जारी की जाए. हालांकि शिक्षण संस्थाओं को खोलने पर अभिभावकों के मत अलग-अलग हैं. इसको लेकर भी मंत्रियों की समिति को विचार करते हुए एसओपी तैयार करनी होगी.

पढ़ें: कोरोना तीसरी लहर की कहासुनी के बीच खुल रहे हैं स्कूल, पैरेंट्स पढ़ लें सारे फैक्ट्स

पहले स्कूल खोलने की तारीख का ऐलान करने के बाद अब समिति बनाने को लेकर शिक्षक संघों का है यह कहना : राज्य सरकार के इस यू-टर्न पर शिक्षक संघों का कहना है कि शिक्षा मंत्री स्कूल खोलने में जल्दबाजी दिखा रहे हैं. जबकि समस्त स्कूलों को पहले संसाधन उपलब्ध कराए जाने चाहिए ताकि बच्चों को कोरोना के प्रकोप से बचाया जा सके. उससे भी पहले शिक्षकों और अन्य स्टाफगणों का कैंप लगाकर वैक्सीनेशन होना चाहिए. शिक्षक संघ शेखावत के प्रदेशाध्यक्ष माहावीर सिहाग ने कहा कि वे स्कूल खोलने के पूरा पक्ष में हैं क्योंकि ऑनलाइन शिक्षा एक तरीके से ठप नजर आ रही है.

वहीं भैरुराम चौधरी, प्रदेश अध्यक्ष, राजस्थान वरिष्ठ शिक्षक संघ का कहना है कि मंत्रीपरिषद की बैठक के बाद जो निर्णय लिाय गया है, उसमें हम चाहते हैं कि पहले 9वीं से 12वीं तक के स्कूल खोले जाएं. इसके बाद कम से कम 15 दिन तक फीडबैक लिया जाए और जरूरी सावधानियां बरतते हुए ही छोटे बच्चों के स्कूल खोले जाएं.

जयपुर. राज्य सरकार एक तरफ तो शिक्षण संस्थानों को खोलने की तैयारी कर रही है वहीं दूसरी ओर शिक्षण संस्थाओं को खोलने की तारीख और एसओपी के लिए एक समिति का गठन किया है. राज्य मंत्री परिषद की बैठक में शिक्षण संस्थाओं को खोलने का सैद्धांतिक फैसला लेते हुए पांच सदस्य मंत्रियों की समिति बनाई गई है. जिसमें मंत्री डॉ. रघु शर्मा, गोविंद सिंह डोटासरा, लालचंद कटारिया, डॉ. सुभाष गर्ग और भंवर सिंह भाटी को शामिल किया गया है.

स्कूल खोलने को लेकर शिक्षक संघों का बयान

इससे पहले ही प्रदेश के शिक्षा राज्य मंत्री इस बात के संकेत दे चुके हैं कि राजस्तान में 2 अगस्त से स्कूल री-ओपन होने जा रहे हैं. लेकिन विपक्षी दलों और शिक्षक संघों के विरोध के बाद अब पांच मंत्रियों की समिति बनाकर सरकार बैकफुट पर नजर आ रही है. सरकार का ये कहना है कि कोविड-19 महामारी की संभावित तीसरी लहर के दृष्टिगत शिक्षण संस्थाओं को खोलने की एसओपी के संबंध में गहन विचार-विमर्श कर फैसला लिया जाना है. इसके लिए मंत्रियों की समिति बनाई गई है.

पढ़ें: अभिभावक बोले- निजी स्कूलों के दबाव में लिया स्कूल खोलने का फैसला, बच्चों के संक्रमित होने पर जवाबदेही तय करना जरूरी

यह समिति भारत सरकार के स्वास्थ्य तथा मानव संसाधन मंत्रालय, आईसीएमआर और दूसरे राज्य जहां शैक्षणिक संस्थान शुरू किए गए हैं उनके साथ संपर्क कर उनके अनुभव और फीडबैक पर चर्चा करेगी. साथ ही भारत सरकार के जारी दिशा-निर्देशों की जानकारी लेकर शिक्षण संस्थाओं को खोलने की तारीख और एसओपी के संबंध में निर्णय करेगी. शुक्रवार को सीएम आवास पर वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए हुई इस बैठक में चिकित्सा विशेषज्ञों ने देश और दुनिया में कोविड-19 संक्रमण की स्थिति, बच्चों पर इसके प्रभाव और आने वाले दिनों में संक्रमण की आशंका पर भी विस्तृत जानकारी दी.

इस कॉन्फ्रेंस में सभी विशेषज्ञों की राय थी कि शिक्षण संस्थानों में सभी शैक्षणिक और गैर शैक्षणिक स्टाफ, बच्चों के परिवहन के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले वाहनों के ड्राइवर और संपर्क में आने वाले दूसरे व्यक्तियों का टीकाकरण सुनिश्चित किया जाए. साथ ही कोविड-19 प्रोटोकॉल की पालना सुनिश्चित की जा सके, इसके लिए विस्तृत गाइडलाइंस जारी की जाए. हालांकि शिक्षण संस्थाओं को खोलने पर अभिभावकों के मत अलग-अलग हैं. इसको लेकर भी मंत्रियों की समिति को विचार करते हुए एसओपी तैयार करनी होगी.

पढ़ें: कोरोना तीसरी लहर की कहासुनी के बीच खुल रहे हैं स्कूल, पैरेंट्स पढ़ लें सारे फैक्ट्स

पहले स्कूल खोलने की तारीख का ऐलान करने के बाद अब समिति बनाने को लेकर शिक्षक संघों का है यह कहना : राज्य सरकार के इस यू-टर्न पर शिक्षक संघों का कहना है कि शिक्षा मंत्री स्कूल खोलने में जल्दबाजी दिखा रहे हैं. जबकि समस्त स्कूलों को पहले संसाधन उपलब्ध कराए जाने चाहिए ताकि बच्चों को कोरोना के प्रकोप से बचाया जा सके. उससे भी पहले शिक्षकों और अन्य स्टाफगणों का कैंप लगाकर वैक्सीनेशन होना चाहिए. शिक्षक संघ शेखावत के प्रदेशाध्यक्ष माहावीर सिहाग ने कहा कि वे स्कूल खोलने के पूरा पक्ष में हैं क्योंकि ऑनलाइन शिक्षा एक तरीके से ठप नजर आ रही है.

वहीं भैरुराम चौधरी, प्रदेश अध्यक्ष, राजस्थान वरिष्ठ शिक्षक संघ का कहना है कि मंत्रीपरिषद की बैठक के बाद जो निर्णय लिाय गया है, उसमें हम चाहते हैं कि पहले 9वीं से 12वीं तक के स्कूल खोले जाएं. इसके बाद कम से कम 15 दिन तक फीडबैक लिया जाए और जरूरी सावधानियां बरतते हुए ही छोटे बच्चों के स्कूल खोले जाएं.

Last Updated : Jul 24, 2021, 1:54 PM IST
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