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अजमेर में 10 महीने की बच्ची का कमरे में फाइनेंस कंपनी के सीज करने के बाद बंद होने का मामला, सरकार ने सदन में पेश किया जवाब

अजमेर में 10 महीने की बच्ची का कमरे में फाइनेंस कंपनी के बंद करने का मामला सरकार ने सदन में पेश किया. इसके जवाब में मंत्री धारीवाल ने कहा, कि 3 घंटे गफलत में बच्ची अंदर रही. वहीं विपक्ष ने कहा, कि 8 घंटे बच्ची सीज मकान में रही और अधिकारियों ने गलत जवाब भेजा.

Rajasthan Vidhan Sabha News , राजस्थान विधानसभा न्यूज
सरकार ने सदन में पेश किया जवाब
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Published : Feb 14, 2020, 11:58 PM IST

जयपुर. अजमेर जिले के रूपनगढ़ में फाइनेंस कंपनी के एक मकान को सीज करने के दौरान 10 महीने की बच्ची को मकान में बंद कर मकान सीट करने के मामले में शुक्रवार को संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल ने सदन में जवाब पेश किया. धारीवाल ने कहा, कि प्राथमिक अनुसंधान के अनुसार बच्ची 3 से 4 घंटे मकान में बंद रही थी. इस मामले में तत्कालीन डीएम को आवश्यक कार्रवाई के लिए निर्देशित किया गया और मकान का ताला तोड़कर उसे बाहर निकाल लिया गया.

सरकार ने सदन में पेश किया जवाब

धारीवाल ने कहा, कि कब्जा लेने के समय किसी ने इस ओर ध्यान आकर्षित नहीं किया कि बच्ची मकान के अंदर है. सूचना मिलने पर तत्काल कार्रवाई की गई. इस मामले में फाइनेंस कंपनी के खिलाफ आईपीसी की धारा 342 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है. वहीं इसके साथ ही धारीवाल ने यह भी कहा, कि बच्ची के परिजनों में भी बच्ची के अंदर रहने की बात नहीं बताई.

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इस पर शुक्रवार को ही मामला उठाने वाले विधायक सुरेश रावत ने मंत्री के जवाब को गलत बताते हुए कहा कि इस घटना से पूरे हिंदुस्तान में राजस्थान की बदनामी हुई है. बच्ची 8 घंटे मकान के अंदर बंद रही और उसकी मां रोती रही और पुलिस को कहा कि यह बच्ची अंदर है. जब अपनी व्यथा लेकर वह एसडीएम के पास गए तो एसडीएम ने भी उन्हें कह दिया इस मामले में वह कुछ नहीं कर सकती. जब परिवार पुलिस के पास गया तो पुलिस ने कहा कि कलेक्टर के आदेशों पर यह कार्रवाई हुई है, वह इसमें कुछ नहीं कर सकते.

सरकार ने सदन में पेश किया जवाब

रावत ने कहा, कि जब परिवार वापस कलेक्टर के पास गया तो ऐसे में 7 बजे जाकर मकान की सील वापस तोड़ी गई और बच्ची को बाहर निकाला गया. उन्होंने कहा, कि इस मामले में धारीवाल को भी गलत जवाब भेजा गया है कि 3 घंटे बच्ची अंदर रही उनके खिलाफ भी कार्रवाई करनी चाहिए. फाइनेंस कंपनी के अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज किया जाना चाहिए.

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इस पर धारीवाल ने फिर दोहराया, कि बच्ची गलतफहमी में 3 घंटे तक अंदर रही. लेकिन यह संभव नहीं हो सकता कि सबको पता रहे और बच्ची को अंदर बंद कर दिया जाए. इस पर उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने कहा, कि एसडीएम के पास परिवादी कितने बजे गई और कितने बजे कलेक्टर के पास गई उसे मामला साफ हो जाएगा कि कितने घंटे तक बच्ची को मकान में रहना पड़ा.

नेता प्रतिपक्ष ने इस मामले पर बोलते हुए कहा, कि 11:00 से 7:00 बजे तक 8 घंटे का समय होता है. एसडीएम के पास पहुंचने का समय क्या था और FIR में क्या समय लिखा गया इसे देख लिया जाए तो मामला साफ हो जाएगा. लेकिन धारीवाल ने फिर एक बार कहा कि बच्ची 3 घंटे ही अंदर रही.

इस पर विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी ने कहा कि रिकवरी के लिए कलेक्टर ने आदेश दिया, ऐसे में पुलिस भी शामिल थी. अगर पुलिस की प्रजेंट में ताला लगा हो और उसके बाद भी 3 घंटे उस ताले को खोलने में लग जाए तो यह गलत है, कुछ ऐसा किया जाए कि आगे से ऐसा नहीं हो. इस पर धारीवाल ने कहा कि मामले की जांच किसी सीनियर अधिकारी से करवा ली जाएगी.

जयपुर. अजमेर जिले के रूपनगढ़ में फाइनेंस कंपनी के एक मकान को सीज करने के दौरान 10 महीने की बच्ची को मकान में बंद कर मकान सीट करने के मामले में शुक्रवार को संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल ने सदन में जवाब पेश किया. धारीवाल ने कहा, कि प्राथमिक अनुसंधान के अनुसार बच्ची 3 से 4 घंटे मकान में बंद रही थी. इस मामले में तत्कालीन डीएम को आवश्यक कार्रवाई के लिए निर्देशित किया गया और मकान का ताला तोड़कर उसे बाहर निकाल लिया गया.

सरकार ने सदन में पेश किया जवाब

धारीवाल ने कहा, कि कब्जा लेने के समय किसी ने इस ओर ध्यान आकर्षित नहीं किया कि बच्ची मकान के अंदर है. सूचना मिलने पर तत्काल कार्रवाई की गई. इस मामले में फाइनेंस कंपनी के खिलाफ आईपीसी की धारा 342 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है. वहीं इसके साथ ही धारीवाल ने यह भी कहा, कि बच्ची के परिजनों में भी बच्ची के अंदर रहने की बात नहीं बताई.

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इस पर शुक्रवार को ही मामला उठाने वाले विधायक सुरेश रावत ने मंत्री के जवाब को गलत बताते हुए कहा कि इस घटना से पूरे हिंदुस्तान में राजस्थान की बदनामी हुई है. बच्ची 8 घंटे मकान के अंदर बंद रही और उसकी मां रोती रही और पुलिस को कहा कि यह बच्ची अंदर है. जब अपनी व्यथा लेकर वह एसडीएम के पास गए तो एसडीएम ने भी उन्हें कह दिया इस मामले में वह कुछ नहीं कर सकती. जब परिवार पुलिस के पास गया तो पुलिस ने कहा कि कलेक्टर के आदेशों पर यह कार्रवाई हुई है, वह इसमें कुछ नहीं कर सकते.

सरकार ने सदन में पेश किया जवाब

रावत ने कहा, कि जब परिवार वापस कलेक्टर के पास गया तो ऐसे में 7 बजे जाकर मकान की सील वापस तोड़ी गई और बच्ची को बाहर निकाला गया. उन्होंने कहा, कि इस मामले में धारीवाल को भी गलत जवाब भेजा गया है कि 3 घंटे बच्ची अंदर रही उनके खिलाफ भी कार्रवाई करनी चाहिए. फाइनेंस कंपनी के अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज किया जाना चाहिए.

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इस पर धारीवाल ने फिर दोहराया, कि बच्ची गलतफहमी में 3 घंटे तक अंदर रही. लेकिन यह संभव नहीं हो सकता कि सबको पता रहे और बच्ची को अंदर बंद कर दिया जाए. इस पर उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने कहा, कि एसडीएम के पास परिवादी कितने बजे गई और कितने बजे कलेक्टर के पास गई उसे मामला साफ हो जाएगा कि कितने घंटे तक बच्ची को मकान में रहना पड़ा.

नेता प्रतिपक्ष ने इस मामले पर बोलते हुए कहा, कि 11:00 से 7:00 बजे तक 8 घंटे का समय होता है. एसडीएम के पास पहुंचने का समय क्या था और FIR में क्या समय लिखा गया इसे देख लिया जाए तो मामला साफ हो जाएगा. लेकिन धारीवाल ने फिर एक बार कहा कि बच्ची 3 घंटे ही अंदर रही.

इस पर विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी ने कहा कि रिकवरी के लिए कलेक्टर ने आदेश दिया, ऐसे में पुलिस भी शामिल थी. अगर पुलिस की प्रजेंट में ताला लगा हो और उसके बाद भी 3 घंटे उस ताले को खोलने में लग जाए तो यह गलत है, कुछ ऐसा किया जाए कि आगे से ऐसा नहीं हो. इस पर धारीवाल ने कहा कि मामले की जांच किसी सीनियर अधिकारी से करवा ली जाएगी.

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