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मंत्रिमंडल सचिवालय ने जारी किया आदेश, मेहरानगढ़ दुखांतिका मामले की रिपोर्ट नहीं होगी सार्वजनिक

जोधपुर मेहरानगढ़ दुखांतिका मामले में मंगलवार को कैबिनेट में अहम निर्णय लिया गया. जिसमें मंंत्री मंडल की ओर से आदेश जारी कर कहा गया कि मेहरानगढ़ फोर्ट दुखांतिका मामले की रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं होगी. बता दें कि जस्टिस जसराज चौपड़ा ने जांच रिपोर्ट तैयार की थी .

जोधपुर मेहरानगढ़ दुखांतिका मामले की रिपोर्ट नहीं होगी सार्वजनिक
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Published : Jul 31, 2019, 3:41 AM IST

जयपुर. मेहरानगढ़ फोर्ट दुखांतिका मामले की रिपोर्ट पर मंगलवार को फैसला आया. जिसमें कहा गया कि मेहरानगढ़ दुखांतिका मामले की रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं होगी . बता दें कि मंत्रिमंडल सचिवालय ने यह आदेश जारी किया है.

जोधपुर मेहरानगढ़ दुखांतिका मामले की रिपोर्ट नहीं होगी सार्वजनिक

यह है मामला

बता दें कि सितंबर 2008 को जोधपुर के मेहरानगढ़ फोर्ट में पहले नवरात्रे के दौरान अचानक भगदड़ मच गई थी. इस भगदड़ में 216 लोगों की मौत हो गई थी. इस घटना की जांच के लिए तात्कालिक कांग्रेस की गहलोत सरकार ने ही जस्टिस जसराज चोपड़ा जांच आयोग का गठन किया था.जिसके बाद जसराज चौपड़ा कमेटी ने अपनी जांच पूरी कर रिपोर्ट सौंप दी थी. लेकिन अब इस रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं करने का निर्णय लिया गया है.

हालांकि, जब आयोग ने अपनी रिपोर्ट तैयार की थी तब प्रदेश में सत्ता परिवर्तन हो गया था और बीजेपी की वसुंधरा सरकार बन गई थी. जस्टिस चोपड़ा कमेटी ने अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को सौंप दी लेकिन वसुंधरा सरकार ने उस रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया था.

जस्टिस चोपड़ा जांच आयोग ने 140 पीड़ित परिवारों के हल्पनामा लेकर दोषियों को सजा दिलाने की मांग की थी. आयोग ने ढाई करोड़ रुपए खर्च कर 222 पीड़ितों और 59 अफसरों के बयान लेकर हादसे के कारण, जिम्मेदारों की लापरवाही और भविष्य में बचाव के उपायों की पोल रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंपी थी. उसके बाद अचानक रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं करने का निर्णय लिया गया है.

यह भी पढ़ें : थाने में दुष्कर्म पीड़िता के आत्मदाह का मामले की जांच सीआईडी-सीबी को, एसएचओ को किया सस्पेंड

हालांकि इस मामले को लेकर हाईकोर्ट ने भी कई बार सरकार से जस्टिस चोपड़ा जांच कमेटी की रिपोर्ट के बारे में पूछा था, लेकिन बावजूद उसके सरकार ने दोषी अफसरों को बचाने के लिए या फिर यू कहे की जिम्मेदार लोगों को बचाने के लिए इस रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया था.

प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद गहलोत सरकार जस्टिस चौपड़ा जांच रिपोर्ट को सार्वजनिक करने के निर्णय के लिए कैबिनेट मंत्रिमंडल कमेटी का गठन किया गया था. मंत्रिमंडल कमेटी इसका अध्ययन कर ये बताएगी कि किसके चलते यह घटना हुई है, उन्हें सजा दी जाए .लेकिन हाईकोर्ट के बार बार कहने के बावजूद भी पूर्ववर्ती सरकार जांच आयोग की रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं कर रही है.

जयपुर. मेहरानगढ़ फोर्ट दुखांतिका मामले की रिपोर्ट पर मंगलवार को फैसला आया. जिसमें कहा गया कि मेहरानगढ़ दुखांतिका मामले की रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं होगी . बता दें कि मंत्रिमंडल सचिवालय ने यह आदेश जारी किया है.

जोधपुर मेहरानगढ़ दुखांतिका मामले की रिपोर्ट नहीं होगी सार्वजनिक

यह है मामला

बता दें कि सितंबर 2008 को जोधपुर के मेहरानगढ़ फोर्ट में पहले नवरात्रे के दौरान अचानक भगदड़ मच गई थी. इस भगदड़ में 216 लोगों की मौत हो गई थी. इस घटना की जांच के लिए तात्कालिक कांग्रेस की गहलोत सरकार ने ही जस्टिस जसराज चोपड़ा जांच आयोग का गठन किया था.जिसके बाद जसराज चौपड़ा कमेटी ने अपनी जांच पूरी कर रिपोर्ट सौंप दी थी. लेकिन अब इस रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं करने का निर्णय लिया गया है.

हालांकि, जब आयोग ने अपनी रिपोर्ट तैयार की थी तब प्रदेश में सत्ता परिवर्तन हो गया था और बीजेपी की वसुंधरा सरकार बन गई थी. जस्टिस चोपड़ा कमेटी ने अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को सौंप दी लेकिन वसुंधरा सरकार ने उस रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया था.

जस्टिस चोपड़ा जांच आयोग ने 140 पीड़ित परिवारों के हल्पनामा लेकर दोषियों को सजा दिलाने की मांग की थी. आयोग ने ढाई करोड़ रुपए खर्च कर 222 पीड़ितों और 59 अफसरों के बयान लेकर हादसे के कारण, जिम्मेदारों की लापरवाही और भविष्य में बचाव के उपायों की पोल रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंपी थी. उसके बाद अचानक रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं करने का निर्णय लिया गया है.

यह भी पढ़ें : थाने में दुष्कर्म पीड़िता के आत्मदाह का मामले की जांच सीआईडी-सीबी को, एसएचओ को किया सस्पेंड

हालांकि इस मामले को लेकर हाईकोर्ट ने भी कई बार सरकार से जस्टिस चोपड़ा जांच कमेटी की रिपोर्ट के बारे में पूछा था, लेकिन बावजूद उसके सरकार ने दोषी अफसरों को बचाने के लिए या फिर यू कहे की जिम्मेदार लोगों को बचाने के लिए इस रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया था.

प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद गहलोत सरकार जस्टिस चौपड़ा जांच रिपोर्ट को सार्वजनिक करने के निर्णय के लिए कैबिनेट मंत्रिमंडल कमेटी का गठन किया गया था. मंत्रिमंडल कमेटी इसका अध्ययन कर ये बताएगी कि किसके चलते यह घटना हुई है, उन्हें सजा दी जाए .लेकिन हाईकोर्ट के बार बार कहने के बावजूद भी पूर्ववर्ती सरकार जांच आयोग की रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं कर रही है.

Intro:मेहरानगढ़ दुखांतिका मामले की रिपोर्ट नही होगी सार्वजनिक , मंत्रिमंडल सचिवालय ने जारी किया आदेश , जस्टिस जसराज चौपड़ा ने तैयार की थी जांच रिपोर्ट

एंकर:- जोधपुर के मेहरानगढ़ दुखान्तिका मामले को लेकर प्रदेश की गहलोत सरकार भी जांच रिपोर्ट को सार्वजनिक नही करेगी , इसको लकीर कैबिनेट में अहम निर्णय लिया गया , इसके बाद मंत्रिमंडल सचिवालय ने इसको लेकर आदेश भी जारी कर दिए ।




Body:VO:- दरअसल सितंबर 2008 को जोधपुर के मेहरानगढ़ फोर्ट में पहले नवरात्रा के दौरान अचानक भगदड़ गई थी , इस भगदड़।में 216 लोगों की मौत हो गई थी , इस घटना की जांच के लिए तात्कालिक कांग्रेस की गहलोत सरकार ने ही जस्टिस जसराज चोपड़ा जांच आयोग का गठन किया था , जसराज चौपड़ा कमेटी ने अपनी जांच पूरी कर रिपोर्ट सौंप दी है , लेकिन अब इस रिपोर्ट को सार्वजनिक नही करने का निर्णय लिया गया है , हालांकि आयोग ने अपनी रिपोर्ट तैयार की जब तक प्रदेश में सत्ता परिवर्तन हो गया और बीजेपी की वसुंधरा सरकार बन गई जस्टिस चोपड़ा कमेटी ने अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को सौंप दी लेकिन वसुंधरा सरकार ने उस रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं की , जस्टिस चोपड़ा जांच आयोग ने 140 पीड़ित परिवारों के हल्पनामा लेकर दोषियों को सजा दिलाने की मांग की थी आयोग ने ढाई करोड रुपए खर्च कर 222 पीड़ितों व 59 अफसरों के बयान लेकर हादसे के कारण , जिम्मेदारों की लापरवाही और भविष्य में बचाव के उपायों की पोल रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंपी थी उसके बाद अचानक रिपोर्ट अब तक सार्वजनिक नहीं करने का निर्णय लिया गया , हालांकि इस मामले को लेकर हाईकोर्ट ने भी कई बार सरकार से जस्टिस चोपड़ा जांच कमेटी की रिपोर्ट के बारे में पूछा था लेकिन बावजूद उसके सरकार ने दोषी अफसरों को बचाने के लिए या फिर यू कहे की जिम्मेदार लोगों को बचाने के लिए इस रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया गया , प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद साथ गहलोत सरकार जस्टिस चौपड़ा जांच रिपोर्ट को सार्वजनिक करने के निर्णय के लिए कैबिनेट मंत्रिमंडल कमेटी का गठन किया , मंत्रिमंडल कमेटी ने इसका अध्ययन कर ये सिफ़ारिस देगी की के चलते यह घटना हुई है उन्हें सजा दी जाए लेकिन हाईकोर्ट के बार बार कहने के बावजूद भी पूर्ववर्ती सरकार ने जांच आयोग की रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया जा रहा था ,



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