जयपुर. ऋद्धि सिद्धि के दाता गणपति (Lord Ganesha day) की आराधना बुधवार को की जाती है. सनातन धर्म में भगवान गणेश को प्रथम पूज्य कहा गया है. किसी भी शुभ कार्य में सबसे पहले उनकी पूजा की जाती है. बुधवार भगवान गणेश का दिन (Ganesha worshiped on Wednesday) माना जाता है. इस दिन व्रत और पूजा अर्चना करने से सुख-समृद्धि और यश की प्राप्ति होती है.
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, बुधवार का व्रत (Lord Ganesha day) करना हर एक व्यक्ति के लिए लाभदायक होता है. इसे सभी मनोकामना पूरी करने वाला व्रत कहा गया है और यह व्रत करने से घर में सुख, शांति के साथ ही यश प्राप्त होता है.
पढ़ें- Horoscope Today 09 March 2022 राशिफल : पिता-पुत्र मतभेद से बचें सिंह और कन्या राशि के लोग
बुध, चंद्रमा और गुरु दोष का भी निवारण: ज्योतिष के अनुसार, बुध ग्रह को चंद्रमा और बृहस्पति ग्रह का पुत्र (significance and puja paath vidhi of Lord Ganesha) कहा जाता है. इसलिए बुधवार का व्रत करने से न केवल बुध बल्कि चंद्रमा और गुरु संबंधी दोषों का भी निवारण होता है. इस दिन भगवान गणेश की पूजा करना बहुत ही शुभ माना जाता है.
यह है बुधवार व्रत की विधि: ग्रह शांति और सभी सुखों की इच्छा रखने वाले व्यक्ति को बुधवार का व्रत (Puja paath ki khabar) करना चाहिए. सुबह नित्यकर्म से निवृत्त होकर व्रत का संकल्प लें और भगवान गणेश की पूजा करें. भगवान गणेश को दूर्वा प्रिय होती है. इसलिए पूजा कर दूर्वा चढ़ाएं और मोदक का भोग लगाकर कथा (budhwar vrat katha) सुने. आरती के बाद प्रसाद का वितरण करें. इस व्रत की शुरुवात शुक्ल पक्ष के बुधवार से किया जाना चाहिए और 21 बुधवार तक व्रत रखना चाहिए. इससे बुध ग्रह की शांति और धन, विद्या व व्यापार में वृद्धि होती है.
बुधवार व्रत की कथा (Wednesday Vrat Katha): एक समय एक व्यक्ति अपनी पत्नी को विदा करवाने अपने ससुराल गया. वहां पर कुछ दिन रहने के पश्चात् सास-ससुर से विदा करने के लिये कहा. किन्तु सबने कहा कि आज बुधवार का दिन है आज के दिन गमन नहीं करते हैं. वो न माना और हठधर्मी करके बुधवार के दिन ही पत्नी को विदा कराकर अपने नगर को चल पड़ा.
राह में उसकी पत्नी को प्यास लगी तो उसने अपने पति से कहा कि मुझे बहुत जोर से प्यास लगी है. तब वह व्यक्ति लोटा लेकर रथ से उतरकर जल लेने चला गया. जैसे ही वह व्यक्ति पानी लेकर अपनी पत्नी के निकट आया तो वह यह देखकर आश्चर्य से चकित रह गया कि ठीक अपनी ही जैसी सूरत तथा वैसी ही वेश-भूषा में वह व्यक्ति उसकी पत्नी के साथ रथ में बैठा हुआ है.
उसने क्रोध से कहा कि तू कौन है जो मेरी पत्नी के निकट बैठा हुआ है. दूसरा व्यक्ति बोला कि यह मेरी पत्नी है. इसे मैं अभी-अभी ससुराल से विदा कराकर ला रहा हूं. वे दोनों व्यक्ति परस्पर झगड़ने लगे. तभी राज्य के सिपाही आकर लोटे वाले व्यक्ति को पकड़ने लगे. स्त्री से पूछा, तुम्हारा असली पति कौन सा है. तब पत्नी शांत ही रही क्योंकि दोनों एक जैसे थे.
वो किसे अपना असली पति कहे. वो व्यक्ति ईश्वर से प्रार्थना करता हुआ बोला – हे परमेश्वर, यह क्या लीला है कि सच्चा झूठा बन रहा है. तभी आकाशवाणी हुई कि मूर्ख आज बुधवार के दिन तुझे गमन नहीं करना था. तूने किसी की बात नहीं मानी. यह सब लीला बुद्धदेव व भगवान की है. उस व्यक्ति ने तब बुद्धदेव जी से प्रार्थना की और अपनी गलती के लिये क्षमा मांगी. तब बुद्धदेव जी अन्तर्ध्यान हो गए. वह अपनी स्त्री को लेकर घर आया तथा बुधवार का व्रत वे दोनों पति-पत्नी नियमपूर्वक करने लगे. जो व्यक्ति इस कथा को श्रवण करता तथा सुनाता है उसको बुधवार के दिन यात्रा करने का कोई दोष नहीं लगता है, उसको सर्व प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है.