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राजस्थान में उपचुनाव की घोषणा, खींवसर 15 साल तो मंडावा 10 साल से कांग्रेस की पहुंच से दूर

राजस्थान की मंडावा और खींवसर सीट पर उपचुनाव की घोषणा हो चुकी है. कांग्रेस हर हाल में यहां अपना परचम लहराना चाहती है, क्योंकि खींवसर 15 साल से तो मंडावा 10 साल से कांग्रेस की पहुंच से दूर है. ऐसे में सरकार के सामने दोनों सीटें बड़ी चुनौती हैं और इन सीटों को जीतकर कांग्रेस लोकसभा के नकारात्मक प्रभाव को खत्म करना चाहेगी.

jaipur news, राजस्थान में उपचुनाव
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Published : Sep 21, 2019, 5:24 PM IST

Updated : Sep 21, 2019, 9:25 PM IST

जयपुर. राजस्थान में खींवसर से विधायक हनुमान बेनीवाल और मंडावा से विधायक नरेंद्र कुमार के सांसद बनने के बाद अब इन दोनों सीटों पर उपचुनाव की तारीखों का शनिवार को ऐलान हो गया. इसी के साथ राजस्थान में एक बार फिर से चुनावी रणभेरी बच गई है. लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद कांग्रेस के लिए यह उपचुनाव ना केवल प्रतिष्ठा का विषय है, बल्कि इन चुनाव के परिणाम निकाय चुनाव पर भी असर डालेंगे.

उपचुनाव में कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती

राजस्थान में इन दो विधानसभा सीटों पर उपचुनाव 21 अक्टूबर को होंगे और नतीजे 24 अक्टूबर को आएंगे. इससे पहले 23 सितंबर को नोटिफिकेशन जारी होगा और 30 सितंबर को नामांकन भरने की आखिरी तारीख होगी. दोनों सीटें इस लिहाज से भी कांग्रेस के लिए महत्वपूर्ण हैं कि विधानसभा चुनाव में कांग्रेस इन सीटों पर जीत नहीं पाई थी.

पढ़ें : प्रदेश में उपचुनाव की घोषणा, विधानसभा मंडावा और खींवसर में 21 अक्टूबर को होगा मतदान

वहीं, सरकार होने के बाद इन सीटों पर जीत दर्ज कर कांग्रेस निकाय चुनाव के लिए खुद को संजीवनी देने का प्रयास करेगी. लेकिन यह दोनों सीटें कांग्रेस के लिए किसी चुनौती से कम साबित नहीं होंगी, क्योंकि प्रदेश में सत्तारूढ़ कांग्रेस विधानसभा चुनाव में ही इन सीटों पर नहीं जीत पाई थी. बीते तीन चुनावों से खींवसर और दो चुनावों से मंडावा की सीट कांग्रेस नहीं जीत पा रही है. वहीं सरकार के मंत्री प्रताप सिंह की मानें तो इन दोनों सीटों पर जनता कांग्रेस के प्रत्याशी को जीत दिलाएगी, क्योंकि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है और जनता भी सत्ताधारी दल का विधायक ही चुनना चाहेगी.

मंडावा से रीटा तो खींवसर से हरेंद्र मिर्धा और सवाई सिंह हैं प्रमुख उम्मीदवार...
चुनाव कार्यक्रमों का शनिवार को एलान हो गया है, लेकिन पार्टी पहले से जानती थी कि इन दोनों सीटों पर उपचुनाव हैं. ऐसे में प्रारंभिक तैयारी में कांग्रेस पहले से जुटी हुई है. हालांकि, दोनों ही सीटों पर कांग्रेस की ओर से जिताऊ उम्मीदवार की तलाश के लिए पर्यवेक्षकों को क्षेत्र में जल्द भेजा जाएगा. कई नेताओं ने तो दोनों ही विधानसभा सीटों पर दावेदारी जताते हुए सक्रियता बढ़ा दी है.

पढ़ें : गांव-ढ़ाणी री खबरां...राजस्थानी में जानिए अपने क्षेत्र का हाल

दोनों सीटों के हालात और उनके उम्मीदवार...
खींवसर विधानसभा सीट
खींवसर विधानसभा क्षेत्र की बात करें तो कांग्रेस में यहां से चुनौती ज्यादा बड़ी है, क्योंकि इस सीट से लगातार तीन बार रालोपा प्रमुख हनुमान बेनीवाल चुनाव जीत चुके हैं. वह एक बार भाजपा से, एक बार निर्दलीय तो एक बार रालोपा से चुनाव जीत चुके हैं. कांग्रेस की बात करें तो कांग्रेस इस सीट पर लगातार बड़े अंतर से चुनाव हार रही है. अभी सीट पर कांग्रेस से पूर्व मंत्री हरेंद्र मिर्धा, पूर्व सांसद ज्योति मिर्धा और इस सीट से हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में हार चुके सवाई सिंह दौड़ में शामिल हैं. इसके अलावा आधा दर्जन नेता इस सीट के लिए दावेदारी जता रहे हैं, लेकिन इन सब में पूर्व मंत्री हरेंद्र मिर्धा सबसे आगे दिखाई दे रहे हैं. क्योंकि परिसीमन से पहले जब यह सीट मूंडवा हुआ करती थी तो उस सीट से हरेंद्र मिर्धा पहले भी हनुमान बेनीवाल को शिकस्त दे चुके हैं.

पढ़ें : राजस्थान हाईकोर्ट में 'मोहम्मद रफीक' कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश नियुक्त

मंडावा विधानसभा सीट
मंडावा विधानसभा सीट को परंपरागत रूप से कांग्रेस की सीट माना जाता रहा है. यहां से कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष रामनारायण चौधरी लगातार चुनाव जीतते रहे हैं. उनके निधन के बाद उनकी बेटी रीटा सिंह कांग्रेस की टिकट पर चुनाव जीतीं, लेकिन साल 2013 में रीटा सिंह की टिकट काटकर कांग्रेस ने तत्कालीन राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष डॉ. चंद्रभान को दे दी. जिससे डॉक्टर चंद्रभान की तो जमानत जप्त हो गई, लेकिन रीटा सिंह निर्दलीए के तौर पर चुनाव हार गईं. इसके बाद साल 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने फिर से रीटा चौधरी को टिकट दिया, लेकिन वह इस बार भी चुनाव हार गईं. उनकी हार का अंतर केवल 2346 मतों का रहा. वहीं, अब इस सीट पर रीटा सिंह सबसे प्रमुख दावेदार हैं. इसके अलावा डॉक्टर चंद्रभान भी इस सीट से फिर टिकट की मांग कर रहे हैं तो वहीं रीटा चौधरी के भाई भी इस सीट पर अपनी दावेदारी जता रहे हैं.

कांग्रेस की जीत का क्रम जारी रहेगा या नहीं यह देखने की बात...
राजस्थान में कांग्रेस जब विपक्ष में थी तो उस दौरान कांग्रेस को उपचुनाव में जीत मिली थी. एक धौलपुर विधानसभा के उपचुनाव को छोड़ दें तो बाकी सभी विधानसभा के उपचुनाव और लोकसभा के उपचुनाव में कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी. लेकिन अब सत्ता के साथ संगठन के तालमेल से जूझ रही कांग्रेस के लिए यह दोनों चुनाव किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं है. इस चुनाव में जीत दर्ज करने के लिए कांग्रेस को सत्ता और संगठन का तालमेल फिर से बैठाना होगा. इन चुनाव के परिणामों का बड़ा असर निकाय चुनाव पर भी पड़ेगा.

खींवसर विधानसभा में 2018 चुनाव के नतीजे...

  • हनुमान बेनीवाल, रालोपा- 83096
  • सवाई सिंह, कांग्रेस- 60148
  • रामचंद्र उत्ता, बीजेपी- 26809
  • नोटा- 2344
  • डॉ. अनीता, निर्दलीय- 2279
  • इंदर राम, बीएएसडी- 2230
  • किशन लाल दाधीच, निर्दलीय- 1262
  • रामपाल मेघवंशी, बीएसपी- 1181
  • रेखा बेरा, निर्दलीय- 769

मंडावा विधानसभा में 2018 चुनाव के नतीजे...

  • नरेंद्र कुमार, बीजेपी- 80599
  • रीटा चौधरी, कांग्रेस- 78253
  • अनवर अली खान, बीएसपी- 3228
  • नोटा- 908
  • महेंद्र धायल, एआरपी- 720
  • जगदीप, निर्दलीय- 642
  • शुभकरण सिंह, एएपी- 577
  • नरेंद्र सिंह, निर्दली- 517

जयपुर. राजस्थान में खींवसर से विधायक हनुमान बेनीवाल और मंडावा से विधायक नरेंद्र कुमार के सांसद बनने के बाद अब इन दोनों सीटों पर उपचुनाव की तारीखों का शनिवार को ऐलान हो गया. इसी के साथ राजस्थान में एक बार फिर से चुनावी रणभेरी बच गई है. लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद कांग्रेस के लिए यह उपचुनाव ना केवल प्रतिष्ठा का विषय है, बल्कि इन चुनाव के परिणाम निकाय चुनाव पर भी असर डालेंगे.

उपचुनाव में कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती

राजस्थान में इन दो विधानसभा सीटों पर उपचुनाव 21 अक्टूबर को होंगे और नतीजे 24 अक्टूबर को आएंगे. इससे पहले 23 सितंबर को नोटिफिकेशन जारी होगा और 30 सितंबर को नामांकन भरने की आखिरी तारीख होगी. दोनों सीटें इस लिहाज से भी कांग्रेस के लिए महत्वपूर्ण हैं कि विधानसभा चुनाव में कांग्रेस इन सीटों पर जीत नहीं पाई थी.

पढ़ें : प्रदेश में उपचुनाव की घोषणा, विधानसभा मंडावा और खींवसर में 21 अक्टूबर को होगा मतदान

वहीं, सरकार होने के बाद इन सीटों पर जीत दर्ज कर कांग्रेस निकाय चुनाव के लिए खुद को संजीवनी देने का प्रयास करेगी. लेकिन यह दोनों सीटें कांग्रेस के लिए किसी चुनौती से कम साबित नहीं होंगी, क्योंकि प्रदेश में सत्तारूढ़ कांग्रेस विधानसभा चुनाव में ही इन सीटों पर नहीं जीत पाई थी. बीते तीन चुनावों से खींवसर और दो चुनावों से मंडावा की सीट कांग्रेस नहीं जीत पा रही है. वहीं सरकार के मंत्री प्रताप सिंह की मानें तो इन दोनों सीटों पर जनता कांग्रेस के प्रत्याशी को जीत दिलाएगी, क्योंकि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है और जनता भी सत्ताधारी दल का विधायक ही चुनना चाहेगी.

मंडावा से रीटा तो खींवसर से हरेंद्र मिर्धा और सवाई सिंह हैं प्रमुख उम्मीदवार...
चुनाव कार्यक्रमों का शनिवार को एलान हो गया है, लेकिन पार्टी पहले से जानती थी कि इन दोनों सीटों पर उपचुनाव हैं. ऐसे में प्रारंभिक तैयारी में कांग्रेस पहले से जुटी हुई है. हालांकि, दोनों ही सीटों पर कांग्रेस की ओर से जिताऊ उम्मीदवार की तलाश के लिए पर्यवेक्षकों को क्षेत्र में जल्द भेजा जाएगा. कई नेताओं ने तो दोनों ही विधानसभा सीटों पर दावेदारी जताते हुए सक्रियता बढ़ा दी है.

पढ़ें : गांव-ढ़ाणी री खबरां...राजस्थानी में जानिए अपने क्षेत्र का हाल

दोनों सीटों के हालात और उनके उम्मीदवार...
खींवसर विधानसभा सीट
खींवसर विधानसभा क्षेत्र की बात करें तो कांग्रेस में यहां से चुनौती ज्यादा बड़ी है, क्योंकि इस सीट से लगातार तीन बार रालोपा प्रमुख हनुमान बेनीवाल चुनाव जीत चुके हैं. वह एक बार भाजपा से, एक बार निर्दलीय तो एक बार रालोपा से चुनाव जीत चुके हैं. कांग्रेस की बात करें तो कांग्रेस इस सीट पर लगातार बड़े अंतर से चुनाव हार रही है. अभी सीट पर कांग्रेस से पूर्व मंत्री हरेंद्र मिर्धा, पूर्व सांसद ज्योति मिर्धा और इस सीट से हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में हार चुके सवाई सिंह दौड़ में शामिल हैं. इसके अलावा आधा दर्जन नेता इस सीट के लिए दावेदारी जता रहे हैं, लेकिन इन सब में पूर्व मंत्री हरेंद्र मिर्धा सबसे आगे दिखाई दे रहे हैं. क्योंकि परिसीमन से पहले जब यह सीट मूंडवा हुआ करती थी तो उस सीट से हरेंद्र मिर्धा पहले भी हनुमान बेनीवाल को शिकस्त दे चुके हैं.

पढ़ें : राजस्थान हाईकोर्ट में 'मोहम्मद रफीक' कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश नियुक्त

मंडावा विधानसभा सीट
मंडावा विधानसभा सीट को परंपरागत रूप से कांग्रेस की सीट माना जाता रहा है. यहां से कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष रामनारायण चौधरी लगातार चुनाव जीतते रहे हैं. उनके निधन के बाद उनकी बेटी रीटा सिंह कांग्रेस की टिकट पर चुनाव जीतीं, लेकिन साल 2013 में रीटा सिंह की टिकट काटकर कांग्रेस ने तत्कालीन राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष डॉ. चंद्रभान को दे दी. जिससे डॉक्टर चंद्रभान की तो जमानत जप्त हो गई, लेकिन रीटा सिंह निर्दलीए के तौर पर चुनाव हार गईं. इसके बाद साल 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने फिर से रीटा चौधरी को टिकट दिया, लेकिन वह इस बार भी चुनाव हार गईं. उनकी हार का अंतर केवल 2346 मतों का रहा. वहीं, अब इस सीट पर रीटा सिंह सबसे प्रमुख दावेदार हैं. इसके अलावा डॉक्टर चंद्रभान भी इस सीट से फिर टिकट की मांग कर रहे हैं तो वहीं रीटा चौधरी के भाई भी इस सीट पर अपनी दावेदारी जता रहे हैं.

कांग्रेस की जीत का क्रम जारी रहेगा या नहीं यह देखने की बात...
राजस्थान में कांग्रेस जब विपक्ष में थी तो उस दौरान कांग्रेस को उपचुनाव में जीत मिली थी. एक धौलपुर विधानसभा के उपचुनाव को छोड़ दें तो बाकी सभी विधानसभा के उपचुनाव और लोकसभा के उपचुनाव में कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी. लेकिन अब सत्ता के साथ संगठन के तालमेल से जूझ रही कांग्रेस के लिए यह दोनों चुनाव किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं है. इस चुनाव में जीत दर्ज करने के लिए कांग्रेस को सत्ता और संगठन का तालमेल फिर से बैठाना होगा. इन चुनाव के परिणामों का बड़ा असर निकाय चुनाव पर भी पड़ेगा.

खींवसर विधानसभा में 2018 चुनाव के नतीजे...

  • हनुमान बेनीवाल, रालोपा- 83096
  • सवाई सिंह, कांग्रेस- 60148
  • रामचंद्र उत्ता, बीजेपी- 26809
  • नोटा- 2344
  • डॉ. अनीता, निर्दलीय- 2279
  • इंदर राम, बीएएसडी- 2230
  • किशन लाल दाधीच, निर्दलीय- 1262
  • रामपाल मेघवंशी, बीएसपी- 1181
  • रेखा बेरा, निर्दलीय- 769

मंडावा विधानसभा में 2018 चुनाव के नतीजे...

  • नरेंद्र कुमार, बीजेपी- 80599
  • रीटा चौधरी, कांग्रेस- 78253
  • अनवर अली खान, बीएसपी- 3228
  • नोटा- 908
  • महेंद्र धायल, एआरपी- 720
  • जगदीप, निर्दलीय- 642
  • शुभकरण सिंह, एएपी- 577
  • नरेंद्र सिंह, निर्दली- 517
Intro:राजस्थान की मंडावर खींवसर में उप चुनाव की घोषणा कांग्रेस के सामने दोनों सीटें बड़ी चुनौती खींवसर 15 साल से तो मंडावा 10 साल से कांग्रेस की पहुंच से दूर अब सरकार के सामने दोनों सीटें बड़ी चुनौती इन सीटों को जीतकर लोकसभा नकारात्मक प्रभाव को खत्म करना चाहेगी कॉन्ग्रेस और जीत के साथ निकाय चुनाव में जुड़ना चाहेगी लेकिन आसान नहीं है इन सीटों पर जीत रीटा सिंह मंडावा से तो खींवसर से हरेंद्र मिर्धा का नाम सबसे आगे


Body:राजस्थान में खींवसर से विधायक और दालों का अध्यक्ष हनुमान बेनीवाल और मंडावा से विधायक नरेंद्र कुमार के सांसद बनने के बाद अब इन दोनों सीटों पर उपचुनाव की तारीखों का आज ऐलान हो गया है इसे राजस्थान में फिर एक बार से चुनावी रणभेरी भी बच गई है लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद कांग्रेस के लिए यह उपचुनाव ना केवल प्रतिष्ठा का विषय होंगे बल्कि इन चुनाव के परिणाम निकाय चुनाव पर भी असर डालेंगे चुनाव आयोग ने राजस्थान की खींवसर और मंडावा विधानसभा सीट के लिए तारीखों का ऐलान कर दिया है राजस्थान में इन 2 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव 21 अक्टूबर को होगा और नतीजे 24 अक्टूबर को आएंगे इससे पहले 23 सितंबर को नोटिफिकेशन जारी होगा और 30 सितंबर को नामांकन भरने की आखिरी तारीख होगी दोनों सीटें इस लिहाज से भी कांग्रेस के लिए महत्वपूर्ण है कि विधानसभा चुनाव में कांग्रेसी इन सीटों पर जीत नहीं पाई थी और सरकार होने के बाद इन सीटों पर जीत के सारे कॉन्ग्रेस निकाय चुनाव के लिए खुद को संजीवनी देने का प्रयास करेगी लेकिन यह दोनों सीटें कांग्रेस के लिए किसी चुनौती से भी कम साबित नहीं होगी क्योंकि प्रदेश में सत्तारूढ़ कांग्रेस विधानसभा चुनाव में ही इन सीटों पर नहीं जीत पाई थी बल्कि बीते तीन चुनावों से खींवसर और दो चुनावों से मंडावा की सीट कांग्रेस नहीं जी पा रही है वहीं सरकार के मंत्री प्रताप सिंह की मानें तो इन दोनों सीटों पर जनता कांग्रेस के प्रत्याशी को जीत आएगी क्योंकि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है और जनता भी सत्ताधारी दल का विधायक ही चुना चाहेगी
वाइट प्रताप सिंह खाचरियावास परिवहन मंत्री और प्रवक्ता

उपचुनाव में कांग्रेस जल्द भेजेगी योग्य चेहरे ढूंढने के लिए पर्यवेक्षक लेकिन मंडावा से रीटा तो खींवसर से हरेंद्र मिर्धा और सवाई सिंह है प्रमुख उम्मीदवार
चुनाव कार्यक्रमों का आज ऐलान हो गया है लेकिन पार्टी क्योंकि पहले से जानती थी कि इन दोनों सीटों पर उपचुनाव है ऐसे में प्रारंभिक तैयारी में कांग्रेस पहले से जुटी हुई है हालांकि दोनों ही सीटों पर कांग्रेस की ओर से जिताऊ उम्मीदवार की तलाश के लिए पर्यवेक्षकों को क्षेत्र में जल्द भेजा जाएगा कई नेताओं ने तो दोनों ही विधानसभा सीटों पर दावेदारी जताते हुए सक्रियता बढ़ा दी है यह दोनों सीटों के हालात और उनके उम्मीदवार
खींवसर विधानसभा
खींवसर विधानसभा क्षेत्र की बात करें तो कांग्रेसमें यहां से चुनौती ज्यादा बड़ी है क्योंकि इस सीट से लगातार तीन बार रालोपा प्रमुख हनुमान बेनीवाल 3 बार चुनाव जीत चुके हैं वह एक बार भाजपा से एक बार निर्दलीय तो एक बार लालू पा से चुनाव जीत चुके हैं कांग्रेस की बात करें तो कांग्रेस इस सीट पर लगातार बड़े अंतर से चुनाव हार रही है अभी सीट पर कांग्रेस पूर्व मंत्री हरेंद्र मिर्धा पूर्व सांसद ज्योति मिर्धा और इस सीट से हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में हार चुके सवाई सिंह दौड़ में शामिल हैं इसके अलावा आधा दर्जन नेता और इस सीट के लिए दावेदारी जता रहे हैं लेकिन इन सब में पूर्व मंत्री हरेंद्र मिर्धा सबसे आगे दिखाई दे रहे हैं क्योंकि परिसीमन से पहले जब यह सीट मूंडवा हुआ करती थी तो उस सीट से हरेंद्र मिर्धा पहले भी हनुमान बेनीवाल को शिकस्त दे चुके हैं
मंडावा विधानसभा सीट
मंडावा विधानसभा सीट को परंपरागत रूप से कांग्रेस की सीट माना जाता रहा है यहां से कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष रामनारायण चौधरी लगातार चुनाव जीतते रहे उनके निधन के बाद उनकी बेटी रीटा सिंह कांग्रेस की टिकट पर चुनाव जीती लेकिन साल 2013 में रीटा सिंह की टिकट काटकर कांग्रेस ने कालीन राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष डॉ चंद्रभान को टिकट दे दी जिससे डॉक्टर चंद्रभान की तो जमानत जप्त हो गई लेकिन रीटा सिंह चलिए के तौर पर चुनाव हार गई इसके बाद साल 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने फिर से रीटा चौधरी को टिकट दिया लेकिन वह इस बार भी चुनाव हार गई उनकी हार का अंतर केवल 2346 मतों का रहा इस सीट पर रीटा सिंह सबसे प्रमुख दावेदार हैं इसके अलावा डॉक्टर चंद्रभान भी इस सीट से फिर टिकट की मांग कर रहे हैं तो वहीं रीटा चौधरी के भाई भी इस सीट पर अपनी दावेदारी जता रहे हैं
रूपेश कांत व्यास राजस्थान कांग्रेस महासचिव
उपचुनाव में विपक्ष में रहते हैं कांग्रेस ने लगातार की थी विधानसभा और लोकसभा के उपचुनाव में जीत दर्ज अब सत्ता में भी क्रम जारी रहेगा या नहीं यह देखने की बात
राजस्थान में कांग्रेस जब विपक्ष में थी तो उस दौरान कांग्रेस को उपचुनाव में जीत मिली थी सिवाय एक धौलपुर विधानसभा के उपचुनाव को छोड़ दें तो बाकी सभी विधानसभा के उपचुनाव और लोकसभा के उपचुनाव में कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी लेकिन अब सत्ता के सात संगठन के तालमेल से जूझ रही कांग्रेस के लिए यह दोनों चुनाव किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं है इस चुनाव में जीत दर्ज करने के लिए कांग्रेस को सत्ता और संगठन का तालमेल फिर से बैठाना होगा और इन चुनाव के परिणामों का बड़ा असर निकाय चुनाव पर भी पड़ेगा
अट्ठारह में विधानसभा चुनाव के यह रहे थे नतीजे
हनुमान बेनीवाल रालोसपा 83096
सवाई सिंह कांग्रेसियों 60148
रामचंद्र उत्ता बीजेपी 26809
नोटा 2344
डॉ अनीता निर्दलीय 2279
इंदर राम बीए एचडी 2230
किशन लाल दाधीच निर्दलीय 1262
रामपाल मेघवंशी बीएसपी 1181
रेखा बेरा निर्दलीय 769

मंडावा विधानसभा में 2018 चुनाव के नतीजे
नरेंद्र कुमार बीजेपी 80599
रीटा चौधरी कांग्रेस 78253
अनवर अली खान बीएसपी 3228
नोटा 908
महेंद्र धायल ए आर पी 720
जगदीप निर्दलीय 642
शुभकरण सिंग ए ए पी 577
नरेंद्र सिंह 517


Conclusion:
Last Updated : Sep 21, 2019, 9:25 PM IST
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