जयपुर. हिंदुओं का सबसे बड़े पर्व दीपावली पर हर तरफ खुशियां लेकर आता है. धनतेरस से पांच दिवसीय दीपो उत्सव का पर्व शुरू हो चुका है. धनतेरस को लेकर बाजारों में रौनक बढ़ने लगी है. इस दिन शुभ-मुहूर्त के अनुसार कारोबारियों ने बहीखाते की खरीदारी शुरू कर दी है और दिवाली पर गणेश लक्ष्मी की पूजा के समय बहीखातों की भी पूजा की जाएगी.
डिजिटल के इस दौर में भी बहीखातों का चलन कम नहीं हुआ है. जयपुर में व्यापारी और अन्य लोग डिजिटल के साथ-साथ बहीखातों में भी व्यापार का लेखा-जोखा करते है. खासकर व्यापारियों के लिए बही खातों में नए साल की एंट्री शुरू होती है. व्यापारीगण बही खातों को शुभ-मुहूर्त में खरीदकर दिवाली के दिन पूजा करके खाते की शुरुआत करते हैं. बहीखाता बिजनेस के लिए शुभ माना जाता है. आधुनिक युग में भले ही कंप्यूटर, इंटरनेट, ऑनलाइन खरीदारी का प्रचलन बढ़ा है. लेकिन, इसके बावजूद लेन-देन का हिसाब रखने वाले परंपरागत बही खाते का वर्चस्व आज भी कायम है.
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खरीदारों का कहना है कि बही खातों का महत्तव व्यापारियों के लिए आज भी है. कंप्यूटर में की गई एंट्री को उड़ाया जा सकता है. लेकिन इन बहीखातों में लिखा हुआ कभी नहीं मिट सकता. हालांकि डिजिटल का चलन बढ़ने से बही खातों के व्यापार में थोड़ा फर्क जरूर पड़ा है. बावजूद इसके आज भी कई व्यापारी डिजीटल के साथ-साथ बहीखातों में भी लेखा-जोखा रखते हैं. क्योंकि डिजिटल डाटा के लीक होने की संभावना अधिक रहती है. बाजारों में बही खाते आसानी से उपलब्ध होते हैं और इसकी कीमत 50 रुपए से लेकर 500 रुपए तक है.