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देहरादून की खूबसूरत वादियों में बना बुद्धा टेंपल खूब लुभा रहा सैलानियों को, आप भी जान लीजिए खासियत - धर्म न्यूज

महात्मा बुद्ध का नाम जेहन में आते ही प्रेम, शांति, दया और करूणा के मूरत सामने उभर जाती है. इसी गुणों से देश ही नहीं विदेश के लोगों को भी आकर्षित किया, जिससे वे बौद्ध धर्म के बताये मार्ग पर खिंचे चले आये.

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बुद्धा टेंपल बना सैलानियों के आकर्षण का केन्द्र
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Published : Dec 14, 2019, 10:53 AM IST

देहरादून/जयपुर. राजधानी देहरादून की खूबसूरत वादियां किसी का भी मन मोह लेती हैं. इसी में से एक है बुद्धा टेंपल, जिसको मैन रोलिंग मठ के नाम से भी जाना जाता है. जिसका दीदार करने बड़ी संख्या में सैलानी यहां आते हैं. जहां लोग महात्मा बुद्ध के उपदेशों को आत्मसात करने के साथ ही नायाब कारीगरी को देखने आते हैं.

बुद्धा टेंपल बना सैलानियों के आकर्षण का केन्द्र

महात्मा बुद्ध का नाम जेहन में आते ही प्रेम, शांति, दया और करूणा के मूरत सामने उभर जाती है. इसी गुणों से देश ही नहीं विदेश के लोगों को भी आकर्षित किया. जिससे वे बौद्ध धर्म के बताये मार्ग पर खिंचे चले आये. वहीं आज हम देहरादून के क्लेमेंट टाउन में स्थित बुद्धा टेंपल से आपको रूबरू कराने जा रहे हैं. जो खूबसूरत मठों में से एक है. जिसे मैन रोलिंग मठ के नाम से भी जाना जाता है.

पढ़ें- Special: यहां 'बेखौफ' खनन माफिया, 240 दिनों में 94 बार हुआ विभाग की टीम पर हमला

माना जाता है कि 6 प्रसिद्ध मठ में से बुद्धा टेंपल भी एक है. जो एशिया में मेंड्रोलिंग "बुध मोनेस्ट्री" के नाम से प्रसिद्ध है. साथ ही मेंड्रोलिंग मठ 4 तिब्बती धर्म के विद्यालयों में से भी एक है. जिसे निंगमा नाम से जाना जाता है.वहीं अन्य 3 बौद्ध धर्म विद्यालयों को साक्या, काग्यू और गेलुग कहा जाता है. देहरादून क्लेमेंटाउन में बुद्धा टेम्पल का निर्माण वर्ष 1965 में किया गया. जिसे स्थापित करने का उद्देश्य बौद्ध धर्म की संस्कृति और शांति के संदेश को देश-विदेश में पहुंचाना था.

आज इस मठ में सैलानियों का तांता लगा रहता है.इस मठ में बच्चे भिक्षुक बनने के लिए आते हैं. जिनकी शिक्षा-दीक्षा इसी मठ में होती है. जिसकी कोई फीस नहीं ली जाती. यह मठ जापानी वास्तु कला शैली के अनुसार बनाया गया है. तीन मंजिला बुद्धा टेंपल के बारे में यह मान्यता है कि यह एशिया का सबसे बड़ा बुद्धिस्ट का समाधि स्तूप है.

यहां लॉर्ड बुद्धा और गुरु पदसंभावा की प्रतिमा है. साथ ही मठ के अंदर स्थित बुद्ध की 103 फिट की मूर्ति लोगों को खासा आकर्षित करती है. मान्यता है कि इस मठ में रोलर को घुमाने से हर मुराद पूरी होती है. जिसे देखने हर साल देश विदेश से हजारों लोग पहुंचते हैं. जहां से सैलानी आस-पास के नैसर्गिक सौन्दर्य के साथ ही देहरादून का दीदार कर सकते हैं.

देहरादून/जयपुर. राजधानी देहरादून की खूबसूरत वादियां किसी का भी मन मोह लेती हैं. इसी में से एक है बुद्धा टेंपल, जिसको मैन रोलिंग मठ के नाम से भी जाना जाता है. जिसका दीदार करने बड़ी संख्या में सैलानी यहां आते हैं. जहां लोग महात्मा बुद्ध के उपदेशों को आत्मसात करने के साथ ही नायाब कारीगरी को देखने आते हैं.

बुद्धा टेंपल बना सैलानियों के आकर्षण का केन्द्र

महात्मा बुद्ध का नाम जेहन में आते ही प्रेम, शांति, दया और करूणा के मूरत सामने उभर जाती है. इसी गुणों से देश ही नहीं विदेश के लोगों को भी आकर्षित किया. जिससे वे बौद्ध धर्म के बताये मार्ग पर खिंचे चले आये. वहीं आज हम देहरादून के क्लेमेंट टाउन में स्थित बुद्धा टेंपल से आपको रूबरू कराने जा रहे हैं. जो खूबसूरत मठों में से एक है. जिसे मैन रोलिंग मठ के नाम से भी जाना जाता है.

पढ़ें- Special: यहां 'बेखौफ' खनन माफिया, 240 दिनों में 94 बार हुआ विभाग की टीम पर हमला

माना जाता है कि 6 प्रसिद्ध मठ में से बुद्धा टेंपल भी एक है. जो एशिया में मेंड्रोलिंग "बुध मोनेस्ट्री" के नाम से प्रसिद्ध है. साथ ही मेंड्रोलिंग मठ 4 तिब्बती धर्म के विद्यालयों में से भी एक है. जिसे निंगमा नाम से जाना जाता है.वहीं अन्य 3 बौद्ध धर्म विद्यालयों को साक्या, काग्यू और गेलुग कहा जाता है. देहरादून क्लेमेंटाउन में बुद्धा टेम्पल का निर्माण वर्ष 1965 में किया गया. जिसे स्थापित करने का उद्देश्य बौद्ध धर्म की संस्कृति और शांति के संदेश को देश-विदेश में पहुंचाना था.

आज इस मठ में सैलानियों का तांता लगा रहता है.इस मठ में बच्चे भिक्षुक बनने के लिए आते हैं. जिनकी शिक्षा-दीक्षा इसी मठ में होती है. जिसकी कोई फीस नहीं ली जाती. यह मठ जापानी वास्तु कला शैली के अनुसार बनाया गया है. तीन मंजिला बुद्धा टेंपल के बारे में यह मान्यता है कि यह एशिया का सबसे बड़ा बुद्धिस्ट का समाधि स्तूप है.

यहां लॉर्ड बुद्धा और गुरु पदसंभावा की प्रतिमा है. साथ ही मठ के अंदर स्थित बुद्ध की 103 फिट की मूर्ति लोगों को खासा आकर्षित करती है. मान्यता है कि इस मठ में रोलर को घुमाने से हर मुराद पूरी होती है. जिसे देखने हर साल देश विदेश से हजारों लोग पहुंचते हैं. जहां से सैलानी आस-पास के नैसर्गिक सौन्दर्य के साथ ही देहरादून का दीदार कर सकते हैं.

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देहरादून: राजधानी देहरादून की खूबसूरत वादियां किसी का भी मन मोह लेते हैं. इसी में से एक है बुद्धा टेंपल, जिसको मैन रोलिंग मठ के नाम से भी जाना जाता है.जिसका दीदार करने बड़ी संख्या में सैलानी यहां आते हैं. जहां लोग महात्मा बुद्ध के उपदेशों को आत्मसात करते हैं.

महात्मा बुद्ध का नाम जेहन में आते ही प्रेम, शांति, दया और करूणा के मूरत सामने उभर जाती है.  इसी गुणों से देश ही नहीं विदेश के लोगों को भी आकर्षित किया. जिससे वे बौद्ध धर्म के बताये मार्ग पर खिंचे चले आये. वहीं  आज हम देहरादून के क्लेमेंट टाउन में स्थित बुद्धा टेंपल से आपको रूबरू कराने जा रहे हैं.  जो खूबसूरत मठों में से एक है. जिसे मैन रोलिंग मठ के नाम से भी जाना जाता है.

माना जाता है कि 6 प्रसिद्ध मठ में से बुद्धा टेंपल भी एक है.  जो एशिया में मेंड्रोलिंग "बुध मोनेस्ट्री"  के नाम से  प्रसिद्ध  है.  साथ ही मेंड्रोलिंग मठ 4 तिब्बती धर्म के विद्यालयों में से भी एक है. जिसे निंगमा नाम से जाना जाता है.वहीं अन्य 3 बौद्ध धर्म विद्यालयों को साक्या, काग्यू और गेलुग कहा जाता है. देहरादून क्लेमेंटाउन में बुद्धा टेम्पल का निर्माण वर्ष 1965 में किया गया. जिसे स्थापित करने का उद्देश्य बौद्ध धर्म  की संस्कृति और  शांति के संदेश को देश-विदेश में पहुंचाना था. आज इस मठ में सैलानियों का तांता लगा रहता है.इस मठ में बच्चे भिक्षुक बनने के लिए आते हैं.  जिनकी शिक्षा-दीक्षा इसी मठ में होती है. जिसकी कोई फीस नहीं ली जाती. यह मठ जापानी वास्तु कला शैली के अनुसार बनाया गया है.  तीन मंजिला बुद्धा टेंपल के बारे में यह मान्यता है कि यह एशिया का सबसे बड़ा बुद्धिस्ट का समाधि स्तूप है. यहां लॉर्ड बुद्धा और गुरु पदसंभावा की प्रतिमा है. साथ ही मठ के अंदर स्थित बुद्ध की 103 फिट की मूर्ति लोगों को खासा आकर्षित करती है. मान्यता है कि इस मठ में रोलर को घुमाने से हर मुराद पूरी होती है. जिसे देखने हर साल देश विदेश से हजारों लोग पहुंचते हैं. जहां से सैलानी आस-पास के नैसर्गिक सौन्दर्य के साथ ही देहरादून का दीदार कर सकते हैं.


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