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Special : बीआरटीएस पर 500 करोड़ खर्च हुए लेकिन नहीं मिला फायदा, अब किया जा सकता है बंद!

जयपुर में राज्य सरकार शहर में बने बीआरटीएस कॉरिडोर को कभी भी बंद का फैसला ले सकती है. सरकार का तर्क है कि बस रैपिड ट्रांसपोर्ट सिस्टम पर 500 करोड़ रुपए खर्च किए गए, लेकिन इसका फायदा जयपुर को नहीं मिल पाया है. वहीं, 7.1 किलोमीटर लंबे इस कॉरिडोर को न तो आगे बढ़ाया जा सका और ना ही इसका विकल्प ढूंढा गया.

बस रैपिड ट्रांसपोर्ट सिस्टम, UDH Minister Shanti Dhariwal
बीआरटीएस कॉरिडोर कभी भी हो सकता है बंद
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Published : Jan 12, 2020, 7:48 PM IST

जयपुर. शहर में सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देने की मुहिम को बड़ा झटका लग सकता है. राज्य सरकार शहर में बने बीआरटीएस कॉरिडोर को कभी भी बंद का फैसला ले सकती है. तर्क है कि बस रैपिड ट्रांसपोर्ट सिस्टम पर 500 करोड़ रुपए खर्च किए गए, लेकिन इसका फायदा जयपुर को नहीं मिल पाया है. बल्कि दुर्घटनाओं का सबब और बना हुआ है.

देश में दिल्ली ही एकमात्र ऐसा शहर है, जिसने 8 साल तक इस्तेमाल के बाद बीआरटीएस कॉरिडोर को हटा दिया. इसी तर्ज पर अब जयपुर में भी बीआरटीएस कॉरिडोर को हटाने की सुगबुगाहट तेज हुई है.

बीआरटीएस कॉरिडोर कभी भी हो सकता है बंद

पढ़ें- बिना सूचना दिए जयपुर-लखनऊ फ्लाइट रद्द, दुबई की फ्लाइट भी लेट

दरअसल, सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देने और निजी वाहनों की तुलना में गंतव्य स्थल पर तेजी से पहुंचने के लिए 2006 में बीआरटीएस कॉरिडोर का काम शुरू किया गया था. बीजेपी की पिछली सरकार ने सीकर रोड पर इसका काम शुरू किया. लेकिन कांग्रेस सरकार में 2009 में इसका उद्घाटन हुआ. इसके बाद दोबारा बीजेपी सरकार आई लेकिन अधूरे कॉरिडोर को पूरा नहीं कर पाई.

बता दें कि 7.1 किलोमीटर लंबे इस कॉरिडोर को न तो आगे बढ़ाया जा सका और ना ही इसका विकल्प ढूंढा गया. महज न्यू सांगानेर रोड के अधूरे काम को पूरा कर जिम्मेदारी पूरी कर ली गई. नतीजन कॉरिडोर केवल टुकड़ों तक सीमित होकर रह गया. इस बीच अब वर्तमान कांग्रेस सरकार बीआरटीएस पर कोई बड़ा फैसला लेने का विचार बना रही है.

हाल ही में यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने भी इस ओर इशारा किया. उन्होंने कहा कि बीआरटीएस का काम 2008 के पहले ही बंद कर दिया गया था. चूंकि लोगों को ऐतराज था कि जो ट्रैफिक बीआरटीएस में चलना चाहिए था, वो चल नहीं रहा है और जितना खर्चा उस पर हुआ है, उतना फायदा नहीं मिल पाया. हालांकि इसे हटाने पर अभी कोई फैसला नहीं लिया गया है.

पढ़ें- CAA के समर्थन में बीजेपी की जन जागरण संगोष्ठी, वक्ताओं ने कहा- कानून को लेकर किया जा रहा दुष्प्रचार

जयपुर में बीआरटीएस कॉरिडोर पर 500 करोड़ फूंकने के बाद फिलहाल योजना फेल साबित हुई है. सीकर रोड और न्यू सांगानेर रोड पर 13 किलोमीटर का कॉरिडोर तैयार है. लेकिन इसके बीच अंबाबाड़ी से गवर्नमेंट हॉस्टल, अजमेर पुलिया, सोडाला होते हुए पुरानी चुंगी तक इसे जोड़ा जाए तो 29 किलोमीटर का कॉरिडोर तैयार होगा और राहत के द्वार खुलेंगे. लेकिन ये अधूरा प्रोजेक्ट फिलहाल सियासत की भेंट चढ़ता दिख रहा है.

जयपुर. शहर में सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देने की मुहिम को बड़ा झटका लग सकता है. राज्य सरकार शहर में बने बीआरटीएस कॉरिडोर को कभी भी बंद का फैसला ले सकती है. तर्क है कि बस रैपिड ट्रांसपोर्ट सिस्टम पर 500 करोड़ रुपए खर्च किए गए, लेकिन इसका फायदा जयपुर को नहीं मिल पाया है. बल्कि दुर्घटनाओं का सबब और बना हुआ है.

देश में दिल्ली ही एकमात्र ऐसा शहर है, जिसने 8 साल तक इस्तेमाल के बाद बीआरटीएस कॉरिडोर को हटा दिया. इसी तर्ज पर अब जयपुर में भी बीआरटीएस कॉरिडोर को हटाने की सुगबुगाहट तेज हुई है.

बीआरटीएस कॉरिडोर कभी भी हो सकता है बंद

पढ़ें- बिना सूचना दिए जयपुर-लखनऊ फ्लाइट रद्द, दुबई की फ्लाइट भी लेट

दरअसल, सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देने और निजी वाहनों की तुलना में गंतव्य स्थल पर तेजी से पहुंचने के लिए 2006 में बीआरटीएस कॉरिडोर का काम शुरू किया गया था. बीजेपी की पिछली सरकार ने सीकर रोड पर इसका काम शुरू किया. लेकिन कांग्रेस सरकार में 2009 में इसका उद्घाटन हुआ. इसके बाद दोबारा बीजेपी सरकार आई लेकिन अधूरे कॉरिडोर को पूरा नहीं कर पाई.

बता दें कि 7.1 किलोमीटर लंबे इस कॉरिडोर को न तो आगे बढ़ाया जा सका और ना ही इसका विकल्प ढूंढा गया. महज न्यू सांगानेर रोड के अधूरे काम को पूरा कर जिम्मेदारी पूरी कर ली गई. नतीजन कॉरिडोर केवल टुकड़ों तक सीमित होकर रह गया. इस बीच अब वर्तमान कांग्रेस सरकार बीआरटीएस पर कोई बड़ा फैसला लेने का विचार बना रही है.

हाल ही में यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने भी इस ओर इशारा किया. उन्होंने कहा कि बीआरटीएस का काम 2008 के पहले ही बंद कर दिया गया था. चूंकि लोगों को ऐतराज था कि जो ट्रैफिक बीआरटीएस में चलना चाहिए था, वो चल नहीं रहा है और जितना खर्चा उस पर हुआ है, उतना फायदा नहीं मिल पाया. हालांकि इसे हटाने पर अभी कोई फैसला नहीं लिया गया है.

पढ़ें- CAA के समर्थन में बीजेपी की जन जागरण संगोष्ठी, वक्ताओं ने कहा- कानून को लेकर किया जा रहा दुष्प्रचार

जयपुर में बीआरटीएस कॉरिडोर पर 500 करोड़ फूंकने के बाद फिलहाल योजना फेल साबित हुई है. सीकर रोड और न्यू सांगानेर रोड पर 13 किलोमीटर का कॉरिडोर तैयार है. लेकिन इसके बीच अंबाबाड़ी से गवर्नमेंट हॉस्टल, अजमेर पुलिया, सोडाला होते हुए पुरानी चुंगी तक इसे जोड़ा जाए तो 29 किलोमीटर का कॉरिडोर तैयार होगा और राहत के द्वार खुलेंगे. लेकिन ये अधूरा प्रोजेक्ट फिलहाल सियासत की भेंट चढ़ता दिख रहा है.

Intro:जयपुर - शहर में सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देने की मुहिम को बड़ा झटका लग सकता है। राज्य सरकार शहर में बने बीआरटीएस कॉरिडोर को कभी भी बंद का फैसला ले सकती है। तर्क है कि बस रैपिड ट्रांसपोर्ट सिस्टम पर 500 करोड़ रुपए खर्च किए गए, लेकिन इसका फायदा जयपुर को नहीं मिल पाया है। बल्कि दुर्घटनाओं का सबब और बना हुआ है।


Body:देश में दिल्ली ही एकमात्र ऐसा शहर है, जिसने 8 साल तक इस्तेमाल के बाद बीआरटीएस कॉरिडोर को हटा दिया। इसी तर्ज पर अब जयपुर में भी बीआरटीएस कॉरिडोर को हटाने की सुगबुगाहट तेज हुई है। दरअसल, सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देने और निजी वाहनों की तुलना में गंतव्य स्थल पर तेजी से पहुंचने के लिए 2006 में बीआरटीएस कॉरिडोर का काम शुरू किया गया था। बीजेपी की पिछली सरकार ने सीकर रोड पर इसका काम शुरू किया। लेकिन कांग्रेस सरकार में 2009 में इसका उद्घाटन हुआ। इसके बाद दोबारा बीजेपी सरकार आई लेकिन अधूरे कॉरिडोर को पूरा नहीं कर पाई। 7.1 किलोमीटर लंबे इस कॉरिडोर को न तो आगे बढ़ाया जा सका, और ना ही इसका विकल्प ढूंढा गया। महज न्यू सांगानेर रोड के अधूरे काम को पूरा कर जिम्मेदारी पूरी कर ली गई। नतीजन कॉरिडोर केवल टुकड़ों तक सीमित होकर रह गया। इस बीच अब वर्तमान कांग्रेस सरकार बीआरटीएस पर कोई बड़ा फैसला लेने का विचार बना रही है। हाल ही में यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने भी इस ओर इशारा किया। उन्होंने कहा कि बीआरटीएस का काम 2008 के पहले ही बंद कर दिया गया था। चूंकि लोगों को ऐतराज था कि जो ट्रैफिक बीआरटीएस में चलना चाहिए था, वो चल नहीं रहा है। और जितना खर्चा उस पर हुआ है, उतना फायदा नहीं मिल पाया। हालांकि इसे हटाने पर अभी कोई फैसला नहीं लिया गया है।


Conclusion:जयपुर में बीआरटीएस कॉरिडोर पर 500 करोड़ फूंकने के बाद फिलहाल योजना फेल साबित हुई है। सीकर रोड और न्यू सांगानेर रोड पर 13 किलोमीटर का कॉरिडोर तैयार है। लेकिन इसके बीच अंबाबाड़ी से गवर्नमेंट हॉस्टल, अजमेर पुलिया, सोडाला होते हुए पुरानी चुंगी तक इसे जोड़ा जाए। तो 29 किलोमीटर का कॉरिडोर तैयार होगा। और राहत के द्वार खुलेंगे। लेकिन ये अधूरा प्रोजेक्ट फिलहाल सियासत की भेंट चढ़ता दिख रहा है।
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