जयपुर. उत्तर पश्चिम रेलवे एससी-एसटी एसोसिएशन के द्वारा शुक्रवार को मंडल रेल प्रबंधक कार्यालय पर विरोध प्रदर्शन किया गया था. इस दौरान एससी-एसटी विरोधी नीति और एससी-एसटी वर्ग के कर्मचारियों को अनावश्यक प्रताड़ित करने के खिलाफ ऑल इंडिया एससी-एसटी रेलवे एम्प्लाइज एसोसिएशन का प्रदर्शन सोमवार को भी जारी रहेगा.
एससी-एसटी एसोसिएशन के मंडल अध्य्क्ष राम सिंह ने बताया कि 18 दिसंबर को जयपुर के मंडल रेल प्रबंधक के साथ एसोसिएशन की अनौपचारिक वार्ता बैठक आयोजित हुई थी. बैठक में मंडल अध्यक्ष एवं मंडल सचिव ने मंडल रेल प्रबंधक के समक्ष आउट सैट में एससी-एसटी वर्ग के कर्मचारियों की महत्वपूर्ण समस्याओं से अवगत करवाया. इसमें एससी-एसटी वर्ग के कर्मचारियों को नीति विरुद्ध तरीके से प्रताड़ित किया जाना महत्वपूर्ण मामला था. इस पर मंडल रेल प्रबंधक महोदया ने बैठक के दौरान ही निर्देश दिए थे कि ये कार्य हो जाएंगे और वरिष्ठ मंडल कार्मिक अधिकारी महोदय को पत्रावली भेजने के निर्देश भी दे दिए थे. लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई, बल्कि एसोसिएशन के पदाधिकारियों के ऊपर अनुशासनहीनता का आरोप लगाकर अनुशासनात्मक कार्रवाई करना प्रारंभ कर दिया.
राम सिंह ने बताया कि मंडल रेल प्रबंधक से मिलने का प्रयास किया गया, लेकिन उन्होंने मिलने का समय नहीं दिया. साथ ही एसोसिएशन ने मजबूर होकर उसी दिन विरोध प्रदर्शन का नोटिस दे दिया. राम सिंह ने बताया जब वो मंडल रेल प्रबंधक से मिले तो उन्होंने एससी-एसटी वर्ग के कर्मचारियों की समस्याओं का समाधान करने के बजाय मंडल पदाधिकारियों की बेइज्जती की. उन्हें डराया और धमकाया भी गया.
राम सिंह का आरोप है कि शाखा अधिकारियों द्वारा खुलकर जातिवाद किया जा रहा है. मंडल रेल प्रबंधक कोई कार्रवाई नहीं कर रही है. मंडल पदाधिकारी जब भी मिलने जाते हैं तो उन्हें पानी तक नहीं पूछा जाता है. जोनल और केंद्रीय पदाधिकारियों के मोबाइल अटेंड नहीं करती हैं. साथ ही मिलने का समय भी नहीं देती हैं. ऐसे में मजबूर होकर एसोसिएशन के मंडल पदाधिकारीयों को बीच में ही वार्ता छोड़कर बाहर आना पड़ा.
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राम सिंह ने आरोप लगाते हुए कहा कि मंडल रेल प्रशासन की एससी-एसटी विरोधी नीति और उनके जातिवादी रवैए के खिलाफ एसोसिएशन ने पहले विरोध प्रदर्शन किया है और ये पर प्रदर्शन सोमवार से तब तक जारी रहेगा, जब तक डीआरएम एसोसिएशन के पदाधिकारियों के साथ सम्मानपूर्वक बात नहीं करती हैं. साथ ही उन्हें जो गोपनीय पत्र दिए हैं, उन्हें वापस लेकर उपरोक्त समस्याओं का समाधान नहीं हो जाता है. रेल प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की तो ये आंदोलन धरना-प्रदर्शन, भूख हड़ताल और आमरण अनशन का रूप लेगा, जिसके लिए रेल प्रशासन जिम्मेदार होगा.