जयपुर. पुजारी शंभू शर्मा की हत्या मामले में भड़की सियासत अब महुआ से जयपुर तक पहुंच चुकी है. गुरुवार को इस मामले में अचानक भाजपा के नेता सिविल लाइन फाटक पहुंचे और वहां प्रदर्शन कर धरने पर बैठ गए. इस दौरान वह अपने साथ एक बॉक्स भी लेकर आए जिसमें मृतक शंभू शर्मा का शव होने की बात कही जा रही है.
पुजारी के हत्यारों की जल्द गिरफ्तारी और प्रदेश में मंदिर की जमीनों पर हो रहे अतिक्रमण हटाने के लिए सख्त कानून बनाने की मांग पर भाजपा सांसद किरोड़ी लाल मीणा के साथ ही इस विरोध प्रदर्शन में सांसद रामचरण बोहरा, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण चतुर्वेदी, विधायक कालीचरण सराफ, अशोक लाहोटी, प्रदेश भाजपा उपाध्यक्ष मुकेश दाधीच, प्रदेश मंत्री जितेंद्र गोठवाल के साथ ही जयपुर शहर अध्यक्ष राघव शर्मा और कई मोर्चों से जुड़े पदाधिकारी और कार्यकर्ता शामिल हुए.
सिविल लाइंस फाटक पर इन्होंने प्रदेश सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और धरने पर बैठ गए. इस दौरान जो बॉक्स भाजपा प्रदर्शनकारी अपने साथ लेकर आए उस पर उन्होंने पुष्प भी अर्पित किए, साथ ही बॉक्स में पुजारी का पार्थिव देह बताकर उसके आसपास अगरबत्ती भी जलाई. जब प्रदर्शनकारियों से बात की गई तो उन्होंने प्रदेश सरकार पर जमकर जुबानी हमला बोला.
यह भी पढ़ेंः सहाड़ा का रण : कांग्रेस सहानुभूति तो भाजपा एंटी इनकंबेंसी के भरोसे चुनाव मैदान में
भाजपा सांसद किरोड़ी लाल मीणा ने कहा कि प्रदेश में लगातार मंदिर की जमीनों पर अतिक्रमण हो रहे हैं और उसको छुड़ाने के चक्कर में पुजारियों की हत्या की जा रही है. मीणा के अनुसार राजस्थान में 30 हजार बीघा मंदिर की जमीन है, जिसमें से 18 हजार बीघा पर अतिक्रमण है. रसूखदार लोगों ने अतिक्रमण के जरिए यहां अवैध निर्माण कर लिए, जब पुजारी इसका विरोध करता है तो उसकी हत्या कर दी जाती है.
मीणा ने कहा कि महुआ में जिस पुजारी शंभू शर्मा की हत्या हुई वह भी इसी के चलते हुई. ऐसे में प्रदेश सरकार जब तक हत्यारों की गिरफ्तारी करने के साथ ही मंदिर माफी की जमीनों से अतिक्रमण हटाने के लिए कोई सख्त कानून नहीं बनाती है यह आंदोलन तब तक और तेज किया जाएगा. भाजपा सांसद रामचरण बोहरा और प्रदेश उपाध्यक्ष मुकेश दाधीच ने भी प्रदेश सरकार पर भू माफिया को संरक्षण देने का आरोप लगाया. बोहरा और दाधीच ने कहा कि महुआ की घटना पहली घटना नहीं है, बल्कि इसके पहले भी कई पुजारियों की हत्या मंदिर माफी की जमीनों पर कब्जे के लिए कर दी गई, ऐसे में सरकार को चाहिए कि इस मामले में कोई ठोस कानून बनाकर मंदिर माफी की जमीन से अतिक्रमण हटवाए.