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भारतीय किसान संघ की मांग को भाजपा का समर्थन, पूनिया बोले- पुखराज मौत मामले में ना करें राजनीति - Farmer dies in Jodhpur

जोधपुर में छात्र नेता पुखराज चौधरी की मौत के मामले में भाजपा ने भारतीय किसान संघ की मांगों का समर्थन किया है. सतीश पूनिया ने कहा है कि सरकार इस मामले में राजनीति ना करे.

Satish poonia latest news,  Farmer dies in Jodhpur
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया
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Published : Aug 30, 2020, 5:58 PM IST

जयपुर. जोधपुर में भारतीय किसान महासंघ के धरने में हुई छात्र नेता की मौत के मामले में सियासत गरमा गई है. भारतीय किसान संघ ने मृतक की मौत के कारणों की उच्च स्तरीय जांच और मृतक आश्रित को नौकरी व आर्थिक सहायता की मांग की है, जिसका भाजपा ने भी समर्थन किया है. भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया के अनुसार प्रदेश सरकार को राजनीति से ऊपर उठकर पीड़ित परिवार को संबल भी प्रदान करना चाहिए और मौत की उच्च स्तरीय जांच भी करानी चाहिए.

भारतीय किसान संघ को भाजपा का समर्थन

ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान पूनिया ने कहा कि जिस तरह आंदोलनकारी किसान पुखराज की मौत हुई, उसे सरकार कोरोना से हुई मौत बता रही है. जबकि किसान संघ से जुड़े अन्य पदाधिकारी और आंदोलनकारियों को इस बात की आशंका पहले से थी. उन्होंने कहा कि सहानुभूति के आधार पर पीड़ित परिवार की सहायता करना किसी भी जनकल्याणकारी सरकार का धर्म है.

'सर्वाधिक चोट किसान वर्ग पर ही पड़ी है'

पूनिया ने कहा कि बीते 2 साल में सर्वाधिक मार यदि किसी वर्ग पर पड़ी है तो वह किसान वर्ग है. उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस को छोड़ दें तो भी किसानों की हालत लगातार बिगड़ती आई है. ऐसे में सरकार ने 833 रुपए का अनुदान भी किसानों का बंद कर दिया. महीनों से हुए नुकसान की भरपाई भी आज तक नहीं हो पाई.

पढ़ें- छात्र नेता की मौत का मामलाः मांगें पूरी करने के आश्वासन के बाद धरना समाप्त

सतीश पूनिया ने कहा कि इन्हीं मांगों को लेकर भारतीय किसान संघ आंदोलन कर रहा था, जिसमें किसान पुखराज भी शामिल था. आंदोलन के दौरान तबीयत बिगड़ने पर ही उसकी अस्पताल ले जाने पर मौत हुई. पूनिया के अनुसार आंदोलनकारी किसान नेता इसे कार्डिक अटैक बता रहे हैं.

'सरकार वह सर्जन है जो एक मौत के बाद दूसरी सर्जरी में जुट जाती है'

बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि प्रदेश सरकार की हालत उस नृशंस सर्जन जैसी हो गई जो सर्जरी के दौरान एक मौत हो जाने पर उसे आगे कर अगली सर्जरी में जुड़ जाती है. पूनिया ने कहा कि विपक्ष के नाते बीजेपी लगातार इस मामले में अभियान चला रखी है. जिसमें बिजली के बिल माफ करने और किसानों को 833 रुपए का अनुदान वापस शुरू करने सहित किसानों और अन्य लोगों से जुड़ी कई मांगे शामिल है.

जयपुर. जोधपुर में भारतीय किसान महासंघ के धरने में हुई छात्र नेता की मौत के मामले में सियासत गरमा गई है. भारतीय किसान संघ ने मृतक की मौत के कारणों की उच्च स्तरीय जांच और मृतक आश्रित को नौकरी व आर्थिक सहायता की मांग की है, जिसका भाजपा ने भी समर्थन किया है. भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया के अनुसार प्रदेश सरकार को राजनीति से ऊपर उठकर पीड़ित परिवार को संबल भी प्रदान करना चाहिए और मौत की उच्च स्तरीय जांच भी करानी चाहिए.

भारतीय किसान संघ को भाजपा का समर्थन

ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान पूनिया ने कहा कि जिस तरह आंदोलनकारी किसान पुखराज की मौत हुई, उसे सरकार कोरोना से हुई मौत बता रही है. जबकि किसान संघ से जुड़े अन्य पदाधिकारी और आंदोलनकारियों को इस बात की आशंका पहले से थी. उन्होंने कहा कि सहानुभूति के आधार पर पीड़ित परिवार की सहायता करना किसी भी जनकल्याणकारी सरकार का धर्म है.

'सर्वाधिक चोट किसान वर्ग पर ही पड़ी है'

पूनिया ने कहा कि बीते 2 साल में सर्वाधिक मार यदि किसी वर्ग पर पड़ी है तो वह किसान वर्ग है. उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस को छोड़ दें तो भी किसानों की हालत लगातार बिगड़ती आई है. ऐसे में सरकार ने 833 रुपए का अनुदान भी किसानों का बंद कर दिया. महीनों से हुए नुकसान की भरपाई भी आज तक नहीं हो पाई.

पढ़ें- छात्र नेता की मौत का मामलाः मांगें पूरी करने के आश्वासन के बाद धरना समाप्त

सतीश पूनिया ने कहा कि इन्हीं मांगों को लेकर भारतीय किसान संघ आंदोलन कर रहा था, जिसमें किसान पुखराज भी शामिल था. आंदोलन के दौरान तबीयत बिगड़ने पर ही उसकी अस्पताल ले जाने पर मौत हुई. पूनिया के अनुसार आंदोलनकारी किसान नेता इसे कार्डिक अटैक बता रहे हैं.

'सरकार वह सर्जन है जो एक मौत के बाद दूसरी सर्जरी में जुट जाती है'

बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि प्रदेश सरकार की हालत उस नृशंस सर्जन जैसी हो गई जो सर्जरी के दौरान एक मौत हो जाने पर उसे आगे कर अगली सर्जरी में जुड़ जाती है. पूनिया ने कहा कि विपक्ष के नाते बीजेपी लगातार इस मामले में अभियान चला रखी है. जिसमें बिजली के बिल माफ करने और किसानों को 833 रुपए का अनुदान वापस शुरू करने सहित किसानों और अन्य लोगों से जुड़ी कई मांगे शामिल है.

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