जयपुर. सतीश पूनिया के भाजपा प्रदेशाध्यक्ष का पद संभालने के बाद सामने आए दो सीटों के उपचुनाव के परिणाम भाजपा के पक्ष में खास नहीं रहे. यही कारण है कि पूनिया, प्रदेश की गहलोत सरकार को गलतफहमी में न रहने की सलाह दे रहे हैं.
वहीं मंडावा में बीजेपी की हार के बाद जब पूनिया से सांसद पुत्र को यहां टिकट नहीं देने से जुड़ा सवाल पूछा गया तो उन्होंने सहर्ष ही यह बात भी स्वीकारी. पूनिया ने कहा कि इस सीट पर सांसद पुत्र को टिकट न देना पार्टी आलाकमान का दुस्साहसी फैसला था.
कांग्रेस सरकार गलतफहमी में न रहे- पूनिया
सतीश पूनिया के ने कहा कि उपचुनाव का परिणाम 1-1 के स्कोर पर है. लिहाजा सरकार को गलतफहमी नहीं पालनी चाहिए. पूनिया ने कहा कि साल 1952 से लगातार मंडावा सीट कांग्रेस के कब्जे में रही. इस सीट पर साल 2018 में पहली बार भाजपा महज कुछ वोटों से जीती. पूनिया के अनुसार सरकार इसे अपने पक्ष में मैंडेट न मान लें. क्योंकि मंडावा में स्थानीय समीकरण और मुद्दे अलग थे. पूनिया ने कहा कि इस जीत के बाद सरकार से थोड़ा दबाव जरूर कम होगा, जिसका असर जनता के हाथ में होने वाले फैसलों में रुकावट के तौर पर सामने आएगा.
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एक उपचुनाव जरूर हारे, लेकिन यह सीता की तरह मेरी अग्निपरीक्षा नहीं- पूनिया
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद हुए उपचुनाव सतीश पूनिया के लिए भी काफी महत्वपूर्ण थे. लेकिन मंडावा में भाजपा की हार के बाद सतीश पूनिया ने साफ तौर पर कहा कि एक चुनाव में हार किसी के भाग्य का फैसला नहीं कर सकता. पूनिया ने कहा कि राजनीति में कई-कई दिग्गज चुनाव हार जाते हैं, इसलिए इस चुनाव को सीता मैया की तरह मेरी अग्निपरीक्षा न माने. पूनिया ने यह भी कहा कि इस चुनाव से किसी की भी सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला. हालांकि इस चुनाव में 1 सीट पर मिली जीत से कांग्रेस का अब कुछ समय के लिए संकट जरूर टल गया.