जयपुर. राजस्थान में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के लिए प्रदेश की गहलोत सरकार ने नई एसओपी जारी कर दी (New SOP of ACB) है. इस एसओपी से अब एसीबी लोक सेवक यानी राज्य सरकार के कर्मचारियों और अधिकारियों पर सीधे कार्रवाई नहीं कर सकेगी. गहलोत सरकार की नई एसओपी जारी होने के साथ ही अब इस पर विपक्ष ने सवाल उठा दिए हैं. उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि जिस केंद्र सरकार के भ्रष्टाचार निवारण संशोधन अधिनियम 2018 को लागू करने की बात गहलोत सरकार कर रही है, उसमें भ्रष्टाचारियों की अर्जित संपत्ति को जब्त करने का प्रावधान भी है. उसे लागू क्यों नहीं किया?
दोहरे मापदंड क्यों: राठौड़ ने कहा कि राजस्थान सरकार केंद्र के भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 2018 की आड़ में भ्रष्टाचारियों को संरक्षण देने का काम कर रही है. इस नई SOP में अब एंटी करप्शन ब्यूरो को किसी भी अधिकारी या कर्मचारी के खिलाफ कार्रवाई करने से पहले सक्षम अधिकारी से अनुमति लेने का प्रावधान किया है. इससे साफ जाहिर है कि अब भ्रष्टाचारियों को लेकर अनुमति नहीं मिलेगी और उन्हें संरक्षण दिया जाएगा. राठौड़ ने कहा (Rajendra Rathore on New SOP of ACB) कि सरकार को अगर केंद्र सरकार के नियमों की पालना करनी है, तो उस संशोधन अधिनियम में भ्रष्टाचारी अधिकारी या कर्मचारी की भ्रष्टाचार से अर्जित की गई संपत्ति को जब्त करने का प्रावधान भी है. फिर उसे क्यों लागू नहीं किया? प्रदेश की गहलोत सरकार बताए कि आखिर दोहरे मापदंड क्यों अपनाए जा रहे हैं?
381 मामलों में अभियोजन स्वीकृति का इंतजार: राठौड़ ने कहा कि प्रदेश में पहले से ही 381 ऐसे प्रकरण हैं जिसमें भ्रष्टाचारियों के खिलाफ सरकार ने अभियोजन स्वीकृति नहीं दी. सरकार अभियोजन स्वीकृति नहीं दे कर उन्हें संरक्षण देने का काम कर रही है. प्रदेश की गहलोत सरकार भ्रष्टाचार को खत्म नहीं करना चाहती और ना ही भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कार्रवाई करने की नियत रखती है. गहलोत सरकार चाहती है कि राज्य में भ्रष्टाचार हो, लेकिन भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो.
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क्या है एसओपी: राज्य सरकार ने केंद्र सरकार की ओर से भ्रष्टाचार निवारण (संशोधन) अधिनियम, 2018 की धारा 17 (ए) के क्रम में जारी नियम प्रक्रिया को प्रदेश में भी लागू किया है. इसके तहत भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के अधिकारियों के स्तर और समकक्ष लोक सेवकों के स्तर निर्धारित किए गए हैं. भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के अधिकारी को सबसे पहले किसी भी लोक सेवक के विरुद्ध पूछताछ, जांच और अनुसंधान शुरू करने से पहले निर्धारित प्रपत्र में संबंधित प्रशासनिक विभाग के सक्षम प्राधिकारी से अनुमति लेनी होगी. अब एसीबी के अधिकारी इन दिशा-निदेर्शों के अनुरूप ही संबंधित से अनुसंधान और जांच सहित अन्य कार्रवाई कर सकेंगे.