जयपुर. मोदी कैबिनेट में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के शामिल होने के बाद अब संगठन के स्तर पर चुनाव की तैयारी शुरू हो चुकी है. राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव से पहले प्रदेश अध्यक्षों के चुनाव होंगे. संगठनात्मक चुनाव की प्रक्रिया इस साल दिसंबर तक पूर्ण कर ली जाएगी. मंगलवार को संगठनात्मक चुनाव, आगामी उपचुनाव और निकाय चुनाव को लेकर प्रदेश भाजपा मुख्यालय में अहम बैठक हुई.
प्रदेश अध्यक्ष मदन लाल सैनी की अध्यक्षता में हुई बैठक में तय किया गया कि आगामी 14 जून को जयपुर में भाजपा प्रदेश कार्यसमिति की बैठक बुलाई जाएगी. जिसमें संगठन चुनाव और पार्टी की सदस्यता अभियान सहित आगामी कार्यक्रमों की तारीख और जिम्मेदारियां तय कर दी जाएगी. इससे पहले 10 जून को नई दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय स्तर पर एक अहम बैठक होगी. जिसमें प्रदेश से प्रदेशाध्यक्ष मदनलाल सैनी और संगठन महामंत्री चंद्रशेखर सहित कई आला नेता शामिल होंगे.
माना जा रहा है नई दिल्ली में होने वाली बैठक में सभी प्रदेश इकाइयों को आगामी संगठनात्मक चुनाव की दृष्टि से दिशा निर्देश देने के साथ ही पार्टी के स्तर पर चलाए जाने वाले कार्यक्रमों को लेकर भी आवश्यक दिशा निर्देश दे दिए जाएंगे. भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन लाल सैनी के अनुसार संगठन चुनाव से पहले पार्टी सदस्यता अभियान भी चलाएगी. इस बार पार्टी करीब 30 फीसदी नए सदस्य यानि 24 लाख नए सदस्य जोड़ेगी. वहीं पुराने सदस्यों के वेरिफिकेशन का काम भी साथ-साथ चलेगा.
ईटीवी भारत से बात करते हुए प्रदेशाध्यक्ष मदनलाल सैनी ने बताया कि बैठक में 2 विधानसभा सीटों पर होने वाले आगामी उपचुनाव को लेकर भी चर्चा हुई. इन उपचुनाव की जिम्मेदारी नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया और उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ को सौंपी गई है. जिसका मतलब है कि मंडावा और खींवसर सीट पर उपचुनाव में प्रत्याशियों के चयन और चुनाव प्रक्रिया से जुड़ी तमाम कसरत यही दोनों नेता करेंगे.
संगठनात्मक चुनाव की प्रक्रिया में बूथ से लेकर मंडल और प्रदेश अध्यक्ष तक के चुनाव होंगे. हालांकि प्रदेश में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले ही प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी मदन लाल सैनी को सौंपी गई थी और हाल में लोकसभा चुनाव के आए सकारात्मक परिणाम के बाद ही माना जा रहा था कि वह इस पद पर ही काबिज रहेंगे. ऐसे में संभव है कि अब सैनी को इस चुनाव के जरिए निर्वाचित प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर इस पद पर कायम रखा जाए. हालांकि इसका निर्णय पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को करना है.