जयपुर. कोरोना महामारी से उपजी परिस्थितियों में भी निजी अस्पतालों ने लूट मचा रखी है. प्रदेश सरकार की ओर से उपचार की दरें तय करने के बाद भी कई गुना तक ज्यादा दाम वसूले जा रहे हैं. आलम यह है कि अस्पतालों में बेड नहीं होने की बात कहकर भी मनमानी वसूली हो रही है जिस पर भाजपा विधायक व नेता राजेंद्र राठौड़, वासुदेव देवनानी और कालीचरण सराफ ने आपत्ति दर्ज करते हुए प्रदेश सरकार से कहा है कि अब तो जागो.
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उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने मुख्यमंत्री को पत्र लिख कर मांग की है कि कोरोना को आय का स्त्रोत मानकर सांसों के सौदागर बने निजी अस्पतालों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए. साथ ही कोरोना संक्रमितों के बेहतर उपचार के लिए कर्नाटक की तरह निजी अस्पतालों का राज्य सरकार अधिग्रहण करे, जिससे यह अस्पताल लूट-खसोट का अड्डा ना बने और इन पर अंकुश लग सके. पत्र में राठौड़ ने कहा है कि जयपुर के मानसरोवर स्थित एक अस्पताल में स्टिंग ऑपरेशन के बाद तो यह स्पष्ट हो गया है कि अधिकतर निजी अस्पताल कोरोना जैसी महामारी को वरदान समझ लोगों की जेबें खाली करवाने में जुटे हैं. वे अपने अस्पताल में कोरोना संक्रमितो की सांसों की बोली लगा रहे हैं जो बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है.
लुट रही जनता, सरकार कोमा में
पूर्व चिकित्सा मंत्री और मौजूदा भाजपा विधायक कालीचरण सराफ ने भी निजी अस्पतालों की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए प्रदेश सरकार पर निशाना साधा है. कालीचरण सराफ ने कहा कि बार-बार अपनी पीठ थपथपाते हुए सरकार यह दावा करती है कि निजी अस्पतालों में इलाज की दरें तय कर दी गई हैं और एक-एक बेड की मॉनिटरिंग की जा रही है, लेकिन वास्तविकता उसके बिल्कुल उलट है. सरकार की नाक के नीचे बेड्स व इलाज सुविधा के नाम पर निजी अस्पतालों में मरीजों से लाखों रुपए वसूले जा रहे हैं और जिम्मेदार आंखें मूंदे बैठे हैं.
सराफ ने कहा कि ऑक्सीजन की सुविधा के नाम पर 5 हजार निर्धारित दर वाले बेड के 70 हजार एवं इलाज के 20 से 30 हजार रुपए प्रतिदिन वसूले जा रहे हैं. कालीचरण सराफ ने प्रदेश सरकार से मांग की है कि आदेशों का उल्लंघन करने वाले अस्पतालों को अधिकृत करके सरकार स्वयं संचालित करे ताकि महामारी के दौर में लुट रही जनता को राहत मिल सके.
निजी अस्पतालों में रेट तय कर डिस्प्ले की व्यवस्था करें सरकार
पूर्व शिक्षा मंत्री और अजमेर से मौजूदा विधायक वासुदेव देवनानी ने कहा कि राज्य सरकार कोविड मरीज़ों के निशुल्क इलाज पर जल्द फ़ैसला करें और जब तक यह नहीं कर पाती है. तब तक सरकार निजी अस्पतालों में इलाज की रेट तय कर रेट कार्ड अस्पताल के बाहर डिस्प्ले कराने की व्यवस्था सुनिश्चित करें. देवनानी के अनुसार ऐसा होने पर कोई भी मनमानी रकम मरीजों से वसूली नहीं जा सकेगी.
वासुदेव देवनानी के अनुसार निजी अस्पतालों में कोरोनो का भय दिखा और मरीज की लाचारी का फायदा उठा मरीज की सांसों के साथ खुलकर सौदे हो रहे है. देवनानी ने यह भी कहा है कि प्रदेश के 200 से अधिक आयुर्वेद चिकित्सालय और तैनात स्टाफ का उपयोग कोरोना मरीजों के इलाज के लिए नहीं किया गया है. सरकार को इस तरफ ध्यान देते हुए आयुर्वेद अस्पतालों को भी कोरोना मरीजों के लिए जल्द खोलने का निर्णय लेना चाहिए जिससे मरीजों को राहत मिले.