जयपुर. नागौर में दलित युवकों से मारपीट मामले में भाजपा और आरएलपी लगातार एसपी को एपीओ करने की मांग कर रहे थे, लेकिन सरकार ने एसपी को क्लीन चिट दे दी है और एसएचओ को लापरवाही के लिए दोषी माना है. सोमवार को राजस्थान विधानसभा में इस मामले में सरकार की ओर से संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल की ओर से दिए गए जवाब में यह जानकारी दी गई. हालांकि इससे नाराज भाजपा और आरएलपी विधायकों ने सदन से वॉकआउट कर दिया.
सदन में सरकार की ओर से मंत्री शांति धारीवाल ने जवाब पेश करते हुए कहा, कि इस मामले में 16 फरवरी को जानकारी मिलते ही पुलिस ने कार्रवाई की और 7 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया. इस मामले में दोनों पीड़ितों को सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग की ओर से 50-50 हजार की आर्थिक सहायता भी दी गई है.
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धारीवाल ने कहा कि इस मामले में सीओ ने भी जांच के बाद कई अन्य धाराएं जोड़ दी है और इन धाराओं का जिक्र भी उन्होंने सदन में किया. साथ ही यह भी कहा, कि यदि कुछ और भी धाराएं जोड़नी है तो मुझे बता दिया जाए. इस दौरान धारीवाल ने यह भी कहा, कि 16 फरवरी को यह घटना होने के बावजूद क्षेत्र के एसएचओ को पता नहीं लगे तो फिर वह किस बात का एसएचओ है. इसलिए ऐसा एसएचओ रहने के लायक नहीं है, उसे हटा दिया जाएगा.
हालांकि, इस दौरान नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया, उपनेता राजेंद्र राठौड़, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया, आरएलपी विधायक नारायण बेनीवाल और पुखराज गर्ग ने आपत्ति दर्ज की. इनका कहना था कि दलित युवक से बर्बरता के मामले में एसएचओ को तो दोषी ठहरा रहे हैं लेकिन बड़ी जिम्मेदारी एसपी की होती है.
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कटारिया ने कहा, कि इतनी बड़ी घटना पर भी एसपी सोता रहे तो वह क्या विभाग चलाएगा, एसपी को जिम्मेदारी से बचा नहीं सकते. लेकिन धारीवाल की ओर से यह तर्क दिया गया कि एसपी को जब जानकारी मिली तो तुरंत मौके पर गया. वहीं आईजी के स्तर पर भी कार्रवाई हुई और धाराएं भी बदली गई. ऐसे में संज्ञान में जानकारी आने के बाद ऊपर के अधिकारियों ने तुरंत कार्रवाई की.
धारीवाल ने कहा, कि ऐसे तो आप एसपी को दोषी मान रहे हैं और फिर उसके ऊपर आईजी को भी और फिर सरकार को दोषी मानेंगे. इस बीच भाजपा विधायक और आरएलपी विधायकों ने हंगामा कर दिया और सदन से वॉकआउट कर दिया.