जयपुर. प्रदेश में 49 निगम और निकाय चुनाव के लिए आचार संहिता लागू हो चुकी है. कांग्रेस हो या भाजपा दोनों ही पार्टियां अपने-अपने सिंबल भी जल्द ही बांटने शुरू कर देगी. लेकिन खास बात यह है कि जहां विधानसभा और लोकसभा चुनाव में दोनों ही पार्टियां कांग्रेस और भाजपा क्षेत्रीय दलों के साथ गठबंधन करती है और साथ में चुनाव भी लड़ती है. लेकिन जैसे ही चुनाव छोटे स्तर पर आते हैं, वैसे ही कांग्रेस और भाजपा अपने समर्थित दलों से किनारा कर लेते हैं. कुछ ऐसा ही इन निकाय चुनाव में भी दिखाई दे रहा है.
बता दें कि भाजपा ने कुछ दिन पहले ही खींवसर उपचुनाव में सीट अपने गठबंधन वाले दल आरएलपी को दी थी. वहीं, निकाय चुनाव में भाजपा ने अपने गठबंधन वाले दल आरएलपी के साथ कोई समझौता नहीं किया है. तो वहीं कांग्रेस जिसने विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल, लोकतांत्रिक जनता दल और एनसीपी के साथ गठबंधन किया था, तो वह अब इन सभी दलों को निकाय चुनाव में सहयोगी दल नहीं बनाएगी.
भाजपा की बात करें तो भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया का कहना है कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव अलग होते हैं. अगर निकाय चुनाव में भी वह समझौता करेंगे तो क्षेत्र के पार्टी के सक्षम और काबिल लोगों का हक मारा जाएगा. हालांकि, उन्होंने कहा कि जब चुनाव हो जाएंगे और चेयरमैन के पद की बात होगी तो उस समय समझौता हो सकता है. लेकिन निचले स्तर के चुनाव में कोई गठबंधन भाजपा नहीं करेगी.
बता दें कि कुछ यही इरादे राजस्थान की कांग्रेस भी जता चुकी है. कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट ने साफ कर दिया है कि निकाय चुनाव में कांग्रेस कभी किसी पार्टी के साथ समझौता नहीं करती है. ऐसे में भरतपुर में भी राष्ट्रीय लोक दल के साथ कांग्रेस समझौता नहीं करेगी. इसे लेकर भरतपुर से ही डीग-कुम्हेर से कांग्रेस विधायक और मंत्री विश्वेंद्र सिंह और राष्ट्रीय लोकदल के सुभाष गर्ग गठबंधन को लेकर बयान बाजी कर चुके हैं. जहां विश्वेंद्र सिंह ने साफ कर दिया कि निकाय चुनाव में कांग्रेस पार्टी गठबंधन नहीं करेगी. जिसका समर्थन भी कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट कर चुके हैं.
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ऐसे में साफ है कि चाहे कांग्रेस हो या भाजपा जब विधानसभा और लोकसभा चुनाव होते हैं तो उनकी रणनीति अलग होती है. तो वहीं निकाय चुनाव में अपने कार्यकर्ता को ज्यादा सम्मान देने के लिहाज से यह पार्टियां किसी भी क्षेत्रीय गठबंधन के साथ समझौता नहीं बनाती है.
विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 5 सीटों पर 3 दलों के साथ किया था समझौता
- भरतपुर से राष्ट्रीय लोक दल
- मालपुरा से राष्ट्रीय लोक दल
- कुशलगढ़ से लोकतांत्रिक जनता दल
- मुंडावर से लोकतांत्रिक जनता दल
- बाली से एनसीपी
वहीं, विधानसभा चुनाव में भाजपा ने किसी दल के साथ गठबंधन नहीं किया था और वह अकेले के दम पर 200 सीटों पर उतरी थी. लेकिन, लोकसभा चुनाव में भाजपा ने नागौर की सीट पर आरएलपी के साथ समझौता किया. तो वहीं हाल ही में हुए उपचुनाव में भी आरएलपी के साथ उन्होंने एक सीट गठबंधन में लड़ी. हालांकि लोकसभा और उपचुनाव में कांग्रेस ने किसी दल के साथ गठबंधन नहीं किया था.