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BHU विवाद: गौशाला जाने की रीत हो या राम-कृष्ण भजनों की प्रस्तुति, हर पैमाने पर खरे उतरते हैं फिरोज और उनके पिता

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Published : Nov 21, 2019, 9:36 AM IST

Updated : Nov 21, 2019, 1:41 PM IST

बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में फिरोज खान ने संस्कृत पढ़ाई तो बवाल हो गया. BHU विवाद में जहां छात्रों ने प्रदर्शन शुरू कर दिया है कि वे एक मुस्लिम से संस्कृत नहीं पढ़ेंगे. लेकिन जब ईटीवी भारत ने फिरोज के यहां पहुंचकर हकीकत जानी तो सब हैरानी भरा निकला. देखिए इस खास रिपोर्ट के जरिए...

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जयपुर. बचपन से घर में भगवान राम और कृष्ण के भजनों के साथ बड़े हुए फिरोज खान का बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में भले ही विरोध हो रहा हो. लेकिन उनके होम टाउन में इस विरोध से लोगों के दिलों को धक्का पहुंचा है. ईटीवी भारत जब बगरू पहुंचा तो यहां उनसे जुड़ी कुछ खास बातें जानने को मिली.

हर पैमाने पर खरे उतरते हैं 'फिरोज'

हो सकता है ये बातें जानकर आपको हैरानी हो, लेकिन फिरोज और उनके पिता रमजान के लिए ये उनकी दिनचर्या का अंग हुआ करता है. ये दोनों ही बगरू स्थित रामदेव गौशाला में शाम को होने वाली आरती में शामिल होते हैं. वहीं उनके पिता राम और कृष्ण के भजन सुनाकर वहां मौजूद हर एक को मंत्रमुग्ध कर देते हैं.

गौशाला संचालक भंवरलाल की माने तो बीते 15 से 16 साल से वो लगातार गौसेवा के कार्य से भी जुड़े है और उनके परिवार का एक ना एक सदस्य रोजाना गौशाला में आकर अपनी सेवाएं देता है. भंवरलाल ने बताया कि उनके परिवार को देखकर कभी हिंदू-मुस्लिम वाली बात ही नहीं आई. वो तो ऐसे भजन भी सुना देते हैं जो कोई हिंदू भी याद नहीं कर पाए.

पढ़ें: शिष्य के साथ हो रहे भेदभाव पर फिरोज के गुरु दिनेश व्यथित, कहा- बचपन से था संस्कृत में अव्वल, विरोध उनके समझ से परे

भंवर लाल ने बताया कि हालांकि आज उनके घर में किसी का देहावसान होने की वजह से गौशाला नहीं पहुंचे. ऐसे में लोगों ने उनका काफी इंतजार किया. उन्होंने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उनके भजनों का एक अलग ही आनंद होता है. गौशाला में मौजूद लोगों की प्रतिक्रियाओं को देखकर आप आसानी से भांप सकते हैं कि फिरोज खान और उनके पिता रमजान का हिन्दू संस्कृति के प्रति कितना व्यापक प्रेम हैं. जब लोगों ने BHU विवाद के बारे में जाना तो उन्हें काफी धक्का लगा.

जयपुर. बचपन से घर में भगवान राम और कृष्ण के भजनों के साथ बड़े हुए फिरोज खान का बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में भले ही विरोध हो रहा हो. लेकिन उनके होम टाउन में इस विरोध से लोगों के दिलों को धक्का पहुंचा है. ईटीवी भारत जब बगरू पहुंचा तो यहां उनसे जुड़ी कुछ खास बातें जानने को मिली.

हर पैमाने पर खरे उतरते हैं 'फिरोज'

हो सकता है ये बातें जानकर आपको हैरानी हो, लेकिन फिरोज और उनके पिता रमजान के लिए ये उनकी दिनचर्या का अंग हुआ करता है. ये दोनों ही बगरू स्थित रामदेव गौशाला में शाम को होने वाली आरती में शामिल होते हैं. वहीं उनके पिता राम और कृष्ण के भजन सुनाकर वहां मौजूद हर एक को मंत्रमुग्ध कर देते हैं.

गौशाला संचालक भंवरलाल की माने तो बीते 15 से 16 साल से वो लगातार गौसेवा के कार्य से भी जुड़े है और उनके परिवार का एक ना एक सदस्य रोजाना गौशाला में आकर अपनी सेवाएं देता है. भंवरलाल ने बताया कि उनके परिवार को देखकर कभी हिंदू-मुस्लिम वाली बात ही नहीं आई. वो तो ऐसे भजन भी सुना देते हैं जो कोई हिंदू भी याद नहीं कर पाए.

पढ़ें: शिष्य के साथ हो रहे भेदभाव पर फिरोज के गुरु दिनेश व्यथित, कहा- बचपन से था संस्कृत में अव्वल, विरोध उनके समझ से परे

भंवर लाल ने बताया कि हालांकि आज उनके घर में किसी का देहावसान होने की वजह से गौशाला नहीं पहुंचे. ऐसे में लोगों ने उनका काफी इंतजार किया. उन्होंने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उनके भजनों का एक अलग ही आनंद होता है. गौशाला में मौजूद लोगों की प्रतिक्रियाओं को देखकर आप आसानी से भांप सकते हैं कि फिरोज खान और उनके पिता रमजान का हिन्दू संस्कृति के प्रति कितना व्यापक प्रेम हैं. जब लोगों ने BHU विवाद के बारे में जाना तो उन्हें काफी धक्का लगा.

Intro:जयपुर - बचपन से घर में भगवान राम और कृष्ण के भजनों के साथ बड़े हुए फिरोज खान का बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में भले ही विरोध हो रहा हो। लेकिन उनके होम टाउन में इस विरोध से लोगों के दिलों को धक्का पहुंचा है। ईटीवी भारत जब बगरू पहुंचा तो यहां उनसे जुड़ी कुछ खास बातें जानने को मिली। हो सकता है ये बातें जानकर आपको हैरानी हो। लेकिन फिरोज और उनके पिता रमजान के लिए ये उनकी दिनचर्या का अंग हुआ करता है। ये दोनों ही बगरू स्थित रामदेव गौशाला में शाम को होने वाली आरती में शामिल होते हैं। वहीं उनके पिता राम और कृष्ण के भजन सुना कर वहां मौजूद हर एक को मंत्रमुग्ध कर देते हैं। गौशाला संचालक भंवरलाल की माने बीते 15-16 साल से वो लगातार गौ सेवा के कार्य से भी जुड़े हैं। और उनके परिवार का एक ना एक सदस्य हर दिन गौशाला में आकर अपनी सेवाएं देता है। उन्होंने कहा कि उनके परिवार को देखकर कभी हिंदू मुस्लिम वाली बात ही नहीं आई। वो तो ऐसे भजन भी सुना देते हैं जो कोई हिंदू भी याद नहीं कर पाए। हालांकि कि आज उनके घर में किसी का देहावसान होने की वजह से गौशाला नहीं पहुंचे। ऐसे में लोगों ने उनका काफी इंतजार किया। उन्होंने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उनके भजनों का एक अलग ही आनंद होता है, और आज गौशाला सुनसान है।


Body:बाईट - भंवर लाल, गौशाला संचालक


Conclusion:
Last Updated : Nov 21, 2019, 1:41 PM IST
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