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पोस्ट कोविड इफेक्टः ब्लैक फंगस के बाद अब सामने आए बेल्स पाल्सी के मरीज, 60 मरीजों का हुआ इलाज

कोविड-19 के संक्रमण से राज्य अभी भी जूझ रहा है. कोविड के केस कम हुए हैं, लेकिन खतरा बरकरार है. कोविड संक्रमण के साथ ही राज्य सरकार की चिंता पोस्ट कोविड के मामले भी बढ़ा रहे हैं. राज्य में ब्लैक फंगस के बाद अब बेल्स पाल्सी के मामले सामने आए हैं...

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Published : Aug 24, 2021, 5:55 PM IST

बेल्स पाल्सी के मिले मरीज, Bells Palsy patients
बेल्स पाल्सी के मिले मरीज

जयपुर. कोविड-19 संक्रमण से बचाव को लेकर प्रदेश सरकार लगातर जूझ रही है. कोविड संक्रमण से पड़े प्रभाव के बाद अब पोस्ट कोविड इफेक्ट वाले मामले लगातार देखने को मिल रहे हैं. कुछ समय पहले कोरोना से ठीक हो चुके लोगों में ब्लैक फंगस के मामले देखने को मिले थे. इसके बाद अब बेल्स पाल्सी यानी चेहरे पर लकवा के मरीजों की संख्या बढ़ने लगी है. जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल में बेल्स पाल्सी के मरीज सामने आने लगे हैं.

पढ़ेंः कोरोना के साइड इफेक्ट : मरीजों में बढ़ रहे लंग्स फाइब्रोसिस और पोस्ट ऑपरेटेड ब्लैक फंगस के मामले

सवाई मानसिंह अस्पताल के ईएनटी विशेषज्ञ डॉक्टर मोहनीश ग्रोवर का कहना है कि कोविड-19 संक्रमण की पहली लहर के मुकाबले दूसरी लहर में बेल्स पाल्सी के मामले अधिक देखने को मिले हैं. अब तक सवाई मानसिंह अस्पताल में 60 से अधिक मरीज बेल्स पाल्सी के सामने आ चुके हैं. चिकित्सकों का कहना है कि आमतौर पर कोविड-19 संक्रमण से पहले इस तरह के मरीज काफी कम देखने को मिलते थे.

एसएमएस अस्पताल में मिले बेल्स पाल्सी के मिले मरीज

लेकिन कोविड-19 संक्रमण के बाद बेल्स पाल्सी के मरीजों में अचानक बढ़ोतरी हुई है. जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल में 60 से अधिक मरीजों का इलाज किया जा चुका है और चिकित्सकों का कहना है कि यदि समय पर इस बीमारी का इलाज शुरू कर दिया जाए तो मरीज ठीक हो सकता है. डॉक्टर ग्रोवर का कहना है कि बेल्स पाल्सी के मरीज को आमतौर पर पानी पीने और खाना खाने में सबसे अधिक समस्या होती है और चेहरे के आधे हिस्से में लकवा आ जाता है.

क्या है बेल्स पाल्सी

ईएनटी विशेषज्ञ डॉक्टर मोहनीश ग्रोवर का कहना है कि बेल्स पाल्सी एक तरह से लकवा से जुड़ी बीमारी है. जब मरीज इस बीमारी की चपेट में आता है तो उसके चेहरे का आधा हिस्सा बेजान हो जाता है. मरीज को पानी पीने और खाना खाने में भी समस्या आने लगती है.

पढ़ें- राहत की खबरः कोरोना के मरीज कम हुए तो सामान्य मरीजों के लिए खोला गया RUHS अस्पताल

इस बीमारी से पीड़ित मरीज जब पानी पीता है तो मुंह से पानी अपने आप निकल जाता है. डॉक्टर ग्रोवर का यह भी कहना है कि यदि शुरुआती समय में बेहतर इलाज मिल जाए तो उसे 15 से 20 दिन के अंदर ठीक किया जा सकता है और बेल्स पाल्सी के अब तक जो मरीज सामने आए हैं उनमें से अधिकतर ठीक हो चुके हैं.

जयपुर. कोविड-19 संक्रमण से बचाव को लेकर प्रदेश सरकार लगातर जूझ रही है. कोविड संक्रमण से पड़े प्रभाव के बाद अब पोस्ट कोविड इफेक्ट वाले मामले लगातार देखने को मिल रहे हैं. कुछ समय पहले कोरोना से ठीक हो चुके लोगों में ब्लैक फंगस के मामले देखने को मिले थे. इसके बाद अब बेल्स पाल्सी यानी चेहरे पर लकवा के मरीजों की संख्या बढ़ने लगी है. जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल में बेल्स पाल्सी के मरीज सामने आने लगे हैं.

पढ़ेंः कोरोना के साइड इफेक्ट : मरीजों में बढ़ रहे लंग्स फाइब्रोसिस और पोस्ट ऑपरेटेड ब्लैक फंगस के मामले

सवाई मानसिंह अस्पताल के ईएनटी विशेषज्ञ डॉक्टर मोहनीश ग्रोवर का कहना है कि कोविड-19 संक्रमण की पहली लहर के मुकाबले दूसरी लहर में बेल्स पाल्सी के मामले अधिक देखने को मिले हैं. अब तक सवाई मानसिंह अस्पताल में 60 से अधिक मरीज बेल्स पाल्सी के सामने आ चुके हैं. चिकित्सकों का कहना है कि आमतौर पर कोविड-19 संक्रमण से पहले इस तरह के मरीज काफी कम देखने को मिलते थे.

एसएमएस अस्पताल में मिले बेल्स पाल्सी के मिले मरीज

लेकिन कोविड-19 संक्रमण के बाद बेल्स पाल्सी के मरीजों में अचानक बढ़ोतरी हुई है. जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल में 60 से अधिक मरीजों का इलाज किया जा चुका है और चिकित्सकों का कहना है कि यदि समय पर इस बीमारी का इलाज शुरू कर दिया जाए तो मरीज ठीक हो सकता है. डॉक्टर ग्रोवर का कहना है कि बेल्स पाल्सी के मरीज को आमतौर पर पानी पीने और खाना खाने में सबसे अधिक समस्या होती है और चेहरे के आधे हिस्से में लकवा आ जाता है.

क्या है बेल्स पाल्सी

ईएनटी विशेषज्ञ डॉक्टर मोहनीश ग्रोवर का कहना है कि बेल्स पाल्सी एक तरह से लकवा से जुड़ी बीमारी है. जब मरीज इस बीमारी की चपेट में आता है तो उसके चेहरे का आधा हिस्सा बेजान हो जाता है. मरीज को पानी पीने और खाना खाने में भी समस्या आने लगती है.

पढ़ें- राहत की खबरः कोरोना के मरीज कम हुए तो सामान्य मरीजों के लिए खोला गया RUHS अस्पताल

इस बीमारी से पीड़ित मरीज जब पानी पीता है तो मुंह से पानी अपने आप निकल जाता है. डॉक्टर ग्रोवर का यह भी कहना है कि यदि शुरुआती समय में बेहतर इलाज मिल जाए तो उसे 15 से 20 दिन के अंदर ठीक किया जा सकता है और बेल्स पाल्सी के अब तक जो मरीज सामने आए हैं उनमें से अधिकतर ठीक हो चुके हैं.

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