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फर्जी इंश्योरेंस के नाम पर की लाखों रुपए की धोखाधड़ी, चार माह बाद भी पुलिस नहीं कर रही कार्रवाई

इंश्योरेंस के नाम पर फर्जी हस्ताक्षर कर लाखों रुपए की धोखाधड़ी करने का आरोप लगा है. पीड़िता माया गर्ग ने बैंक प्रबंधन पर अपने पति सुधीर गर्ग की मौत के बाद पॉलिसी के लिए बैंक से संपर्क साधा तो पूरे मामले का खुलासा हुआ.

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Published : Oct 13, 2019, 10:34 PM IST

जयपुर. लाइफ सिक्योर के नाम पर सरकारी और प्राइवेट बैंकों की ओर से इंश्योरेंस किए जा रहे हैं, ताकि भविष्य में पॉलिसी धारक या उसके परिजनों को उसका लाभ मिल सके. लेकिन पॉलिसी एजेंट की चूक के चलते इसका खामियाजा पूरे परिवार को भुगतना पड़ रहा है. राजधानी की ज्योति नगर थाना क्षेत्र में रहने वाले एक परिवार के साथ इंश्योरेंस के नाम पर लाखों रुपये की धोखाधड़ी का मामला सामने आया है.

बैंक ने फर्जी इंश्योरेंस के नाम पर की लाखों रुपए की धोखाधड़ी

दरअसल, लाल कोठी की रहने वाली पीड़िता बुजुर्ग माया गर्ग के पति सुधीर गर्ग ने सी स्कीम स्थित आईसीआईसीआई बैंक से साल 2010 सितंबर में करीब 20 लाख रुपये का लोन लिया था. बैंक की ओर से सुधीर गर्ग लोन सिक्योर पॉलिसी भी कर दी. लेकिन साल 2016 जुलाई में सुधीर गर्ग की कैंसर से मौत हो गई.

मौत के बाद सुधीर की पत्नी ने पॉलिसी के लिए संपर्क किया तो पता चला कि बैंक ने फर्जी हस्ताक्षर करते हुए और गलत फॉर्म भरकर बेटे दीपेश के नाम पर पॉलिसी कर दी. जब पीड़ित ने इसके लिए बैंक से संपर्क किया तो उन्होंने सही हस्ताक्षर होने का हवाला देकर अपनी जिम्मेदारी ना होने की बात कहकर पल्ला झाड़ दिया.

खास बात है कि लोन के साथ पॉलिसी पिता सुधीर गर्ग के नाम पर की गई तो हस्ताक्षर बेटे दीपेश गर्ग के कैसे हुए. ऐसे में फर्जी हस्ताक्षर कर पॉलिसी का फायदा बैंक प्रबंधन को मिल गया. इसको लेकर पीड़ित परिवार ने कई बार बैंक के चक्कर काटे लेकिन किसी ने उनकी नहीं सुनी.

पढ़ें: सरिस्का में बाघों पर संकट, डेढ़ साल में 4 की हो चुकी है मौत, अब बाघ एसटी-6 की भी तबीयत खराब

इस पर पीड़ित परिवार ने ज्योति नगर थाने में बैंक प्रबंधन और लोन इंश्योरेंस करता निखिल माहेश्वरी के खिलाफ मामला दर्ज कराया. लेकिन 4 महीने बीत जाने के बावजूद पुलिस ने ना ही आरोपियों के खिलाफ कोई कार्रवाई की और ना ही बैंक प्रबंधन से पूछताछ. ऐसे में पीड़ित परिवार ने आज अपने आवास पर प्रेस वार्ता करते हुए पुलिस प्रशासन से बैंक फर्जीवाड़े को देखते हुए आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है.

जयपुर. लाइफ सिक्योर के नाम पर सरकारी और प्राइवेट बैंकों की ओर से इंश्योरेंस किए जा रहे हैं, ताकि भविष्य में पॉलिसी धारक या उसके परिजनों को उसका लाभ मिल सके. लेकिन पॉलिसी एजेंट की चूक के चलते इसका खामियाजा पूरे परिवार को भुगतना पड़ रहा है. राजधानी की ज्योति नगर थाना क्षेत्र में रहने वाले एक परिवार के साथ इंश्योरेंस के नाम पर लाखों रुपये की धोखाधड़ी का मामला सामने आया है.

बैंक ने फर्जी इंश्योरेंस के नाम पर की लाखों रुपए की धोखाधड़ी

दरअसल, लाल कोठी की रहने वाली पीड़िता बुजुर्ग माया गर्ग के पति सुधीर गर्ग ने सी स्कीम स्थित आईसीआईसीआई बैंक से साल 2010 सितंबर में करीब 20 लाख रुपये का लोन लिया था. बैंक की ओर से सुधीर गर्ग लोन सिक्योर पॉलिसी भी कर दी. लेकिन साल 2016 जुलाई में सुधीर गर्ग की कैंसर से मौत हो गई.

मौत के बाद सुधीर की पत्नी ने पॉलिसी के लिए संपर्क किया तो पता चला कि बैंक ने फर्जी हस्ताक्षर करते हुए और गलत फॉर्म भरकर बेटे दीपेश के नाम पर पॉलिसी कर दी. जब पीड़ित ने इसके लिए बैंक से संपर्क किया तो उन्होंने सही हस्ताक्षर होने का हवाला देकर अपनी जिम्मेदारी ना होने की बात कहकर पल्ला झाड़ दिया.

खास बात है कि लोन के साथ पॉलिसी पिता सुधीर गर्ग के नाम पर की गई तो हस्ताक्षर बेटे दीपेश गर्ग के कैसे हुए. ऐसे में फर्जी हस्ताक्षर कर पॉलिसी का फायदा बैंक प्रबंधन को मिल गया. इसको लेकर पीड़ित परिवार ने कई बार बैंक के चक्कर काटे लेकिन किसी ने उनकी नहीं सुनी.

पढ़ें: सरिस्का में बाघों पर संकट, डेढ़ साल में 4 की हो चुकी है मौत, अब बाघ एसटी-6 की भी तबीयत खराब

इस पर पीड़ित परिवार ने ज्योति नगर थाने में बैंक प्रबंधन और लोन इंश्योरेंस करता निखिल माहेश्वरी के खिलाफ मामला दर्ज कराया. लेकिन 4 महीने बीत जाने के बावजूद पुलिस ने ना ही आरोपियों के खिलाफ कोई कार्रवाई की और ना ही बैंक प्रबंधन से पूछताछ. ऐसे में पीड़ित परिवार ने आज अपने आवास पर प्रेस वार्ता करते हुए पुलिस प्रशासन से बैंक फर्जीवाड़े को देखते हुए आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है.

Intro:ICICI बैंक की ओर से फर्जी इंश्योरेंस के नाम पर फर्जी हस्ताक्षर कर लाखों रुपए की धोखाधड़ी करने का आरोप लगा है. पीड़िता माया गर्ग ने बैंक प्रबंधन पर अपने पति सुधीर गर्ग की मौत के बाद पॉलिसी के लिए बैंक से संपर्क साधा तो पूरे मामले का काला चिट्टा खुल गया.


Body:जयपुर : लाइफ सिक्योर के नाम पर सरकारी और प्राइवेट बैंको की ओर से इंश्योरेंस किए जा रहे हैं. ताकि भविष्य में पॉलिसी धारक या उसके परिजनों को उसका लाभ मिल सके. लेकिन जब खुद बैंक ही फर्जीवाड़ा करने लगे तो विश्वास किस पर किया जाए. ऐसा ही मामला राजधानी की ज्योति नगर थाना क्षेत्र में रहने वाले एक परिवार के साथ हुआ है. जिनके साथ आईसीआईसीआई बैंक ने फर्जी इंश्योरेंस के नाम पर लाखों रुपए की धोखाधड़ी की है.

दरअसल लाल कोठी के रहने वाली पीड़िता बुजुर्ग माया गर्ग के पति सुधीर गर्ग ने सी स्कीम स्थित आईसीआईसीआई बैंक से साल 2010 सितंबर में करीब 20 लाख रुपये का लोन लिया था. बैंक की ओर से सुधीर गर्ग लोन सिक्योर पॉलिसी भी कर दी. लेकिन साल 2016 जुलाई में सुधीर गर्ग की कैंसर से मौत हो गई. मौत के बाद सुधीर घर की पत्नी ने पॉलिसी के लिए संपर्क किया तो पता चला कि आईसीआईसी बैंक ने फर्जी हस्ताक्षर करते हुए और गलत फॉर्म भर बेटे दीपेश घर के नाम पर पॉलिसी कर दी. जब पीड़ित ने इसके लिए बैंक से संपर्क किया तो उन्होंने सही हस्ताक्षर होने का हवाला देकर अपनी जिम्मेदारी ना होने की बात कहकर पल्ला झाड़ दिया.

खास बात है कि लोन के के साथ पॉलिसी पिता सुधीर गर्ग के नाम पर की गई तो हस्ताक्षर बेटे दीपेश गर्ग के कैसे हुए. ऐसे में फर्जी हस्ताक्षर कर पॉलिसी का फायदा बैंक प्रबंधन को मिल गया. इसको लेकर पीड़ित परिवार ने कहीं बार बैंक के चक्कर काटे लेकिन किसी ने उनकी एक न सुनी. इस पर पीड़ित परिवार ने ज्योति नगर थाने में आईसीआईसीआई बैंक प्रबंधन और लोन इंश्योरेंस करता निखिल माहेश्वरी के खिलाफ मामला दर्ज कराया. लेकिन 4 महीने बीत जाने के बावजूद पुलिस ने ना ही आरोपियों के खिलाफ कोई कार्रवाई की और ना ही बैंक प्रबंधन से पूछताछ. ऐसे में पीड़ित परिवार ने आज अपने आवास पर प्रेस वार्ता करते हुए पुलिस प्रशासन से बैंक फर्जीवाड़े को देखते हुए आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की.

बाइट 1- माया गर्ग, मृतक की पत्नी



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