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आज भी पिछड़ा है विमुक्त, घुमंतू और अर्द्ध घुमंतु समुदाय, संसद के मानसून सत्र में 'बालकृष्ण रेनके' और 'दादा इदाते आयोग' की रिपोर्ट लागू की जाए

पूर्व राज्यमंत्री गोपाल केसावत (Former Minister of State Gopal Kesavat) ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) के नाम जयपुर जिला कलेक्टर डॉ. जोगाराम को ज्ञापन सौंपा है. ज्ञापन (Memorandum) के माध्यम से उन्होंने संसद की मानसून सत्र (Monsoon session of parliament) के दौरान 'बालकृष्ण रेनके' और 'दादा इदाते आयोग' की रिपोर्ट लागू करने की मांग की है.

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आजादी के बाद भी पिछड़ा है विमुक्त, घुमंतू और अर्द्ध घुमंतु समुदाय
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Published : Jun 5, 2020, 6:17 PM IST

जयपुर. संसद के मानसून सत्र में 'बालकृष्ण रेनके आयोग' (Balkrishna Renke Commission) और 'दादा इदाते आयोग' (Dada Idate Commission) की रिपोर्ट लागू करने के संबंध में पूर्व राज्यमंत्री गोपाल केसावत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम जयपुर जिला कलेक्टर डॉ. जोगाराम को ज्ञापन सौंपा. गोपाल केसावत ने बताया कि भारत की विमुक्त, घुमंतू और अर्द्ध घुमंतु जनजातियों (Nomad and semi nomad tribes) में लगभग 840 जातियां शामिल हैं, जो प्राचीन काल से ही राष्ट्र की लोक कला और लोक संस्कृति (Folk art and folk culture) को संजोए रखने में अहम योगदान दे रही हैं.

आजादी के बाद भी पिछड़ा है विमुक्त, घुमंतू और अर्द्ध घुमंतु समुदाय

इस समुदाय (Community) का देश के स्वाधीनता आंदोलन (Freedom movement) में भी अहम योगदान है. इस समुदाय की एक जाति तो सैकड़ों साल पहले महाराणा प्रताप (Maharana Pratap) के स्वाभिमान की रक्षा के खातिर इनका पालन आज तक कर रही है. किंतु दुर्भाग्य से देश की आजादी के 73 साल बाद भी आबादी का 10 फीसदी हिस्सा समाज की मुख्यधारा से जुड़ नहीं पाया है तथा सामाजिक, आर्थिक, शैक्षणिक और राजनीतिक दृष्टि से पिछड़ा हुआ है.

यह भी पढ़ेंः CM गहलोत ने राज कौशल पोर्टल और ऑनलाइन श्रमिक एम्प्लॉयमेंट एक्सचेंज का किया शुभारंभ

गोपाल केसावत ने बताया कि देश की आजादी के बाद से लेकर अब तक विभिन्न समूहों में विमुक्त, घुमंतू और अर्द्ध घुमंतु समुदाय के लिए आठ आयोग बने हैं. जिन्होंने प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से घुमंतू जनजातियों को पिछड़ेपन की सूची में डालने और सुरक्षित आरक्षण की सिफारिश की है. परंतु इस समुदाय की राजनीतिक भागीदारी नगण्य होने के कारण किसी भी आयोग की रिपोर्ट को संसद में पेश नहीं किया गया. विमुक्त, घुमंतू और अर्द्ध घुमंतु जनजातियों के लिए यूपीए सरकार द्वारा गठित बालकृष्ण रेनके आयोग और एनडीए सरकार द्वारा गठित दादा इदाते आयोग की रिपोर्ट अभी तक संसद में पेश नहीं की गई है. इस कारण विमुक्त, घुमंतू और अर्द्ध घुमंतु समुदाय में भारी निराशा, असंतोष और आक्रोश है.

गोपाल केसावत ने ज्ञापन के जरिए चार प्रमुख मांगे रखी...

  • केंद्र सरकार बाल कृष्ण रेनके आयोग और दादा इदाते आयोग की रिपोर्ट को संयुक्त रूप से मानसून सत्र में संसद में रखकर लागू करें
  • केंद्र सरकार सरकारी नौकरियों में विमुक्त घुमंतू, अर्द्ध घुमंतु जनजातियों के लिए 10 फीसदी सुरक्षित आरक्षण की रिपोर्ट तैयार कर संसद में प्रस्तुत करें
  • केंद्र सरकार वैश्विक महामारी कोरोना वायरस से तबाह हुई विमुक्त, घुमंतू और अर्द्ध घुमंतु जनजातियों के लिए एक हजार करोड़ के विशेष आर्थिक पैकेज की घोषणा करें
  • केंद्र सरकार विमुक्त घुमंतू और अर्द्ध घुमंतू जनजाति भारत में सर्वाधिक रूप से पिछड़े व वंचित है. इसलिए स्थाई आयोग का गठन करना चाहिए और आयोग में विमुक्त घुमंतू व अर्द्ध घुमंतू से संबंधित जातियों के व्यक्तियों की ही नियुक्ति भी होनी चाहिए

जयपुर. संसद के मानसून सत्र में 'बालकृष्ण रेनके आयोग' (Balkrishna Renke Commission) और 'दादा इदाते आयोग' (Dada Idate Commission) की रिपोर्ट लागू करने के संबंध में पूर्व राज्यमंत्री गोपाल केसावत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम जयपुर जिला कलेक्टर डॉ. जोगाराम को ज्ञापन सौंपा. गोपाल केसावत ने बताया कि भारत की विमुक्त, घुमंतू और अर्द्ध घुमंतु जनजातियों (Nomad and semi nomad tribes) में लगभग 840 जातियां शामिल हैं, जो प्राचीन काल से ही राष्ट्र की लोक कला और लोक संस्कृति (Folk art and folk culture) को संजोए रखने में अहम योगदान दे रही हैं.

आजादी के बाद भी पिछड़ा है विमुक्त, घुमंतू और अर्द्ध घुमंतु समुदाय

इस समुदाय (Community) का देश के स्वाधीनता आंदोलन (Freedom movement) में भी अहम योगदान है. इस समुदाय की एक जाति तो सैकड़ों साल पहले महाराणा प्रताप (Maharana Pratap) के स्वाभिमान की रक्षा के खातिर इनका पालन आज तक कर रही है. किंतु दुर्भाग्य से देश की आजादी के 73 साल बाद भी आबादी का 10 फीसदी हिस्सा समाज की मुख्यधारा से जुड़ नहीं पाया है तथा सामाजिक, आर्थिक, शैक्षणिक और राजनीतिक दृष्टि से पिछड़ा हुआ है.

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गोपाल केसावत ने बताया कि देश की आजादी के बाद से लेकर अब तक विभिन्न समूहों में विमुक्त, घुमंतू और अर्द्ध घुमंतु समुदाय के लिए आठ आयोग बने हैं. जिन्होंने प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से घुमंतू जनजातियों को पिछड़ेपन की सूची में डालने और सुरक्षित आरक्षण की सिफारिश की है. परंतु इस समुदाय की राजनीतिक भागीदारी नगण्य होने के कारण किसी भी आयोग की रिपोर्ट को संसद में पेश नहीं किया गया. विमुक्त, घुमंतू और अर्द्ध घुमंतु जनजातियों के लिए यूपीए सरकार द्वारा गठित बालकृष्ण रेनके आयोग और एनडीए सरकार द्वारा गठित दादा इदाते आयोग की रिपोर्ट अभी तक संसद में पेश नहीं की गई है. इस कारण विमुक्त, घुमंतू और अर्द्ध घुमंतु समुदाय में भारी निराशा, असंतोष और आक्रोश है.

गोपाल केसावत ने ज्ञापन के जरिए चार प्रमुख मांगे रखी...

  • केंद्र सरकार बाल कृष्ण रेनके आयोग और दादा इदाते आयोग की रिपोर्ट को संयुक्त रूप से मानसून सत्र में संसद में रखकर लागू करें
  • केंद्र सरकार सरकारी नौकरियों में विमुक्त घुमंतू, अर्द्ध घुमंतु जनजातियों के लिए 10 फीसदी सुरक्षित आरक्षण की रिपोर्ट तैयार कर संसद में प्रस्तुत करें
  • केंद्र सरकार वैश्विक महामारी कोरोना वायरस से तबाह हुई विमुक्त, घुमंतू और अर्द्ध घुमंतु जनजातियों के लिए एक हजार करोड़ के विशेष आर्थिक पैकेज की घोषणा करें
  • केंद्र सरकार विमुक्त घुमंतू और अर्द्ध घुमंतू जनजाति भारत में सर्वाधिक रूप से पिछड़े व वंचित है. इसलिए स्थाई आयोग का गठन करना चाहिए और आयोग में विमुक्त घुमंतू व अर्द्ध घुमंतू से संबंधित जातियों के व्यक्तियों की ही नियुक्ति भी होनी चाहिए
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