जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने 5 लाख रुपए की रिश्वत के आरोप में गिरफ्तार बीएफए के निलंबित सीईओ सुरेन्द्र सिंह और दलाल संविदाकर्मी देवेश शर्मा को जमानत पर रिहा करने के आदेश दिए (Bail order in bribe case by Rajasthan High Court) हैं. जस्टिस नरेन्द्र सिंह ने यह आदेश दोनों आरोपियों की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.
सुनवाई के दौरान अतिरिक्त महाधिवक्ता ने कहा कि आरोपी सरकारी कर्मचारी था, लेकिन उसके पास करीब 70 करोड़ रुपए की संपत्ति है. जबकि प्रदेश में सबसे अधिक वेतन हाईकोर्ट जज को मिलता है और वे अपनी 30 साल की सेवा के बाद भी इतनी बड़ी संपत्ति नहीं बना सकते. इस पर अदालत ने नाराजगी जताते हुए कहा कि वे न्यायाधीशों को लेकर इस तरह की टिप्पणी ना करें. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता सुरेन्द्र सिंह की ओर से अधिवक्ता दीपक चौहान ने कहा कि एसीबी को याचिकाकर्ता से रिश्वत की कोई राशि बरामद नहीं हुई है.
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इसके अलावा जब्त किए गए 3 करोड़ 62 लाख रुपए की रकम उसके बेटे की माइनिंग फर्म सहित अन्य व्यवसाय के हैं. एसीबी ने भी अपने रिकॉर्ड में इसका उल्लेख किया है. इसके अलावा याचिकाकर्ता लंबे समय से जेल में बंद हैं और मुकदमें की ट्रायल पूरी होने में काफी समय लगने की संभावना है. इसलिए उसे जमानत पर रिहा किया जाए. जमानत अर्जी का विरोध करते हुए लोक अभियोजक ने कहा कि मामला रिश्वत से जुड़ा गंभीर प्रकरण है. प्रकरण में अनुसंधान लंबित है और आरोप पत्र पेश नहीं हुआ है. ऐसे में यदि आरोपी को जमानत दी गई तो वह साक्ष्य को प्रभावित कर सकता है.
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लोक अभियोजक ने कहा कि इसके अलावा कोर्ट में केस डायरी भी नहीं आई है. ऐसे में केस डायरी मंगाने के आदेश दिए जाने चाहिए. दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने आरोपियों को जमानत पर रिहा करने के आदेश दिए हैं. गौरतलब है कि एसीबी की टीम ने परिवादी का लाइसेंस रिन्यू (Bribe demand to renew Licence) करने और बिना रुकावट व्यापार करने की एवज में दलाल के जरिए 5 लाख रुपए की रिश्वत लेने के आरोप में गत 7 अप्रैल को सुरेन्द्र सिंह और संविदाकर्मी दलाल देवेश शर्मा को गिरफ्तार किया था.