जयपुर. भाद्रपद शुक्ल अष्टमी बुधवार को राधा अष्टमी के रूप में मनाई जाएगी. शहर के आराध्य देव गोविंद देवजी सहित अन्य कृष्ण मंदिरों में राधेरानी का जन्माभिषेक सहित अन्य कार्यक्रम होंगे. कोरोना संक्रमण के चलते भक्तों का प्रवेश मंदिर में निषेध रहेगा. सभी कार्यक्रम भक्त ऑनलाइन देख सकेंगे.
ज्योतिषाचार्य पंडित पुरुषोत्तम गौड़ ने बताया कि कृष्ण जन्माष्टमी के 15 दिन बाद राधा अष्टमी मनाई जाएगी. राधा अष्टमी का त्यौहार श्री राधा रानी के प्राकट्य उत्सव के रूप में मनाया जाता है. बुधवार सुबह 6 बजकर 7 मिनट से दोपहर 1 बजकर 4 मिनट तक शुभ मुहूर्त रहेगा. वहीं इसी समय पर अमृत सिद्धि योग भी बन रहा है यानी सुबह 10 बजकर 40 मिनट से दोपहर 1 बजकर 04 मिनट तक यह योग रहेगा.
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उन्होंने बताया कि राधा अष्टमी पर सूर्योदय से पहले स्नान कर पवित्र होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें. फिर एक चौकी पर पीला कपड़ा बिछाकर उस पर श्री राधा कृष्ण की युगल रूप की प्रतिमा या फोटो विराजित करें. प्रतिमा पर फूलों की माला चढ़ाएं और चंदन का तिलक लगाएं. साथ ही तुलसी पत्र भी अर्पित करें व राधा रानी के मंत्रों का जाप करें. राधा चालीसा और आरती का पाठ कर राधा रानी और भगवान श्री कृष्ण की आरती उतारे. आरती के बाद पीली मिठाई और फल का भोग जरूर लगाएं.
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बता दें कि श्रीराधा रानी भगवान श्रीकृष्ण की शक्ति मानी जाती हैं और श्रीकृष्ण के बिना उनकी पूजा अधूरी मानी जाती है. इस बार राधा अष्टमी के दिन कई शुभ संयोग बन रहे हैं. इस दिन भगवान श्रीकृष्ण और राधा जी की पूजा कर सकते हैं. मान्यता है कि राधा रानी संपूर्ण जगत को परम आनंद प्रदान करती हैं. राधा रानी को मोक्ष देने वाली, सौम्य और संपूर्ण जगत की जननी माना जाता है.