जयपुर. जून 2018 में हत्या के झूठे मामले में गिरफ्तार हुए लिखमाराम रेबारी का मामला मंगलवार को विधानसभा में गूंजा (jaipur vidhansabha Ruckus). मुख्यमंत्री के सलाहकार और निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा ने सदन में इस मामले को उठाते हुए दोषियों पर करवाई और पीड़ित को मुआवजा देने की मांग की. जवाब में मंत्री शांति धारीवाल ने इस प्रकरण की 7 दिन में जांच करवाकर दोषी पुलिस अधिकारियों को सख्त सजा दिलवाने की बात कही. लेकिन जवाब से नाराज विधायक लोढ़ा सदन में ही नारेबाजी करने लगे. ऐसे में स्पीकर सीपी जोशी ने मार्शल को 'थ्रो हिम आउट' कहते हुए लोढ़ा को सदन से (Speaker Joshi asks marshal to throw Sanyam Lodha out of the house) बाहर करने के निर्देश दिए.
संयम लोढ़ा ने सदन में इस मामले में ध्यानाकर्षण प्रस्ताव लाकर सरकार से इस मामले में दोषी पुलिस अधिकारियों पर अब तक हुई कार्रवाई का ब्यौरा मांगा. संयम लोढ़ा ने ये भी कहा कि 6 जून 2018 में आपकी पुलिस ने झूठे हत्या के मामले में लिखमाराम रेबारी को गिरफ्तार किया. जबरन थाने में मारकर, डांटकर और दबाव बनाकर कागजों पर जुर्म कबूल भी करवा लिया. लेकिन 'मुख्यमंत्रीजी' से मैंने जब आग्रह किया तब मामला एसओजी में गया और एसओजी जांच में यह साफ हुआ कि पुलिस ने झूठे मामले में लिखमाराम को गिरफ्तार किया. लेकिन एक झूठे मामले में नौजवान को 4 साल तक सलाखों के पीछे रखकर उसका करियर खराब कर दिया गया. अब मंत्री सदन में पीड़ित को मुआवजा देने का ऐलान करने के साथ ही दोषी पुलिस अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई करें.
जवाब में मंत्री शांति धारीवाल ने कहा कि इस मामले में एसओजी की जांच के बाद पुलिस ने मुकदमा वापस ले लिया और इस पूरे मामले में एडिशनल एसपी जांच करवाई जा रही है. हालांकि लोढ़ा ने कहा कि जब घटना हुई तो खुद पुलिस अधीक्षक वहां मौजूद थे. जिनके निर्देश पर ही यह गिरफ्तारी हुई. ऐसे में एडिशनल एसपी इस मामले की जांच कैसे इमानदारी से कर पाएंगे? इस पर मंत्री धारीवाल ने कहा कि, जांच अनुसंधान अधिकारी ने की है और उस समय मौके पर कई पुलिस के अधिकारी भी थे. इसका मतलब यह नहीं कि सभी दोषी हों. धारीवाल ने कहा क्या जांच में जानबूझकर लिखमाराम को फंसाया गया या भूलवश ऐसा हुआ? इसके तमाम पहलुओं पर जांच के बाद यदि कोई दोषी पाया गया तो उस पर कार्रवाई होगी. धारीवाल ने कहा 'मैं 7 दिन में यह जांच करवा लूंगा'. जवाब से नाराज संयम लोढ़ा सदन में ही पुलिस के खिलाफ नारेबाजी करने लगे. इससे नाराज होकर स्पीकर सीपी जोशी ने उन्हें चुप रहने के निर्देश दिए. लेकिन जब वह वेल में आकर नारेबाजी करने लगे तो जोशी ने मार्शल को उन्हें बाहर करने के निर्देश दिए.
आपने तो सीएम से सीबीआई जांच की मांग की थीः सदन में मंत्री शांति धारीवाल ने संयम लोढ़ा को यह भी कहा कि इस प्रकरण में आपने निर्दोष को बचाने का काम किया. जिसके लिए आप प्रशंसा के पात्र हैं. धारीवाल ने कहा कि आप ने मुख्यमंत्री से इस मामले की सीबीआई जांच करवाने की मांग की थी. लेकिन 'मुख्यमंत्रीजी' ने यह मामला एसओजी को सौंपा और अब एसओजी की जांच से आप भी संतुष्ट हैं. ऐसे में मैं आपको यकीन दिलाता हूं कि 7 दिन के भीतर संपूर्ण जांच करवा ली जाएगी और जो दोषी होगा उस पर सख्त कार्रवाई करेंगे.
बता दें कि जून 2018 में हत्या के एक फर्जी मामले में लिखमाराम को पुलिस ने गिरफ्तार किया और 4 साल तक को जेल में भी रहा. पीड़ित परिजनों ने जब इस मामले में विधायक संयम लोढ़ा से गुहार लगाई और पूरा मामला बताया कि पीड़ित निर्दोष है और उसे बिना गुनाह के फंसाया जा रहा है. तब संयम लोढ़ा ने मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप कर इस मामले की उच्च स्तरीय जांच करवाने की मांग की.
जिस पर यह मामला एसओजी को सौंपा गया. एसओजी की जांच में लिखमाराम निर्दोष पाया गया. अब लिखमाराम को झूठा फंसाने वाले पुलिस अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई और पीड़ित लिखमाराम को सरकारी मदद और मुआवजा देने की मांग की जा रही है.