जयपुर. देश में किसी भी राज्य में होने वाला उपचुनाव सरकार के काम पर जनता की मुहर होती है. अगर नतीजे सरकार के पक्ष में आते हैं तो माना जाता है कि जनता सरकार के कामकाज से खुश है और अगर नतीजे सत्ताधारी दल के विरोध में आते हैं तो इससे सरकार के कामकाज पर सवालिया निशान माना जाता है.
वहीं, अगर उपचुनाव किसी भी सरकार के 2 साल पूरे होने के बाद हो तो उसे उस राज्य के आगामी विधानसभा चुनाव का सेमीफाइनल भी माना जाता है. लेकिन ऐसा कम ही होता है कि इन उपचुनाव का भी कोई सेमीफाइनल हो, जिससे कि पता लग जाए कि उपचुनाव में ऊंट किस करवट बैठेगा. इस बार राजस्थान में जिन 4 सीटों पर उपचुनाव होने जा रहा है, उनमें सरकार को एक नहीं बल्कि दो मौके मिलेंगे और इसका कारण प्रदेश में 20 जिलों में होने जा रहा 90 निकायों का चुनाव है.
इन चार सीटों पर होंगे उपचुनाव
दरअसल, राजस्थान में सुजानगढ़ से विधायक मास्टर भंवर लाल मेघवाल, सहाड़ा से विधायक कैलाश त्रिवेदी, राजसमंद से विधायक किरण महेश्वरी और वल्लभनगर से विधायक गजेंद्र सिंह शक्तावत के निधन होने के कारण इन चारों विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होंगे, लेकिन इससे पहले 30 जनवरी को प्रदेश के 90 निकायों में भी चुनाव होने हैं.
बता दें, इन 90 निकायों में से 5 निकाय वह भी शामिल है जो इन चारों विधायकों की विधानसभा क्षेत्र में आते हैं. इनमें कैलाश त्रिवेदी की विधानसभा सहाड़ा के अंतर्गत गुलाबपुरा नगर पालिका, मास्टर भंवर लाल मेघवाल की सुजानगढ़ विधानसभा में सुजानगढ़ नगर परिषद और बिदासर नगर पालिका, किरण महेश्वरी की राजसमंद विधानसभा की राजसमंद नगर परिषद और गजेंद्र सिंह शक्तावत की वल्लभनगर विधानसभा सीट की भिंडर नगर पालिका शामिल है.
ऐसे में दिवंगत हो चुके इन 4 विधायकों की विधानसभा सीट पर 5 निकायों में चुनाव है. इन 5 निकायों के नतीजे सरकार के लिए लिटमस टेस्ट भी होंगे और उपचुनाव के लिए सेमीफाइनल भी. ऐसे में इन निकाय चुनाव को उपचुनाव का सेमीफाइनल तो माना ही जा रहा है, साथ ही इन चुनाव को उपचुनाव जीतने के लिए दो मौके के तौर पर भी देखा जा रहा है.