जयपुर. राजस्थान विधानसभा में बुधवार को चिकित्सा शिक्षा के अनुदान मांगों पर बोलते हुए भाजपा विधायक डॉ. अशोक लाहोटी ने प्रदेश में इलेक्ट्रोपैथी चिकित्सा पद्धति लागू करने की वकालत की. लाहोटी ने कहा कि मंत्री महोदय इस पद्धति को राजस्थान में लागू कर दें, क्योंकि ये सोनिया गांधी के यहां का मामला है और राहुल गांधी के ननिहाल का मामला है. अगर इसमें देरी कि तो मैं आपकी शिकायत सोनिया गांधी से कर दूंगा.
सांगानेर से आने वाले बीजेपी विधायक अशोक लाहोटी ने सदन में कहा कि राजस्थान देश में आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति और होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति केंद्र से पहले प्रदेश में लागू करने वाला प्रदेश था तो फिर इलेक्ट्रोपैथी चिकित्सा पद्धति लागू करने में राजस्थान देश के अन्य राज्यों से लीड लेने में क्यों डर रहा है. लाहोटी ने कहा कि मुख्यमंत्री निरोगी राजस्थान की कल्पना केवल एलोपैथी चिकित्सा पद्धति के बलबूते साकार नहीं हो सकती, बल्कि इसके साथ ही अन्य चिकित्सा पद्धति और वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति को भी समाहित करना बेहद जरूरी है.
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इस दौरान लाहोटी ने यह भी तर्क दिया कि सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट पहले ही साफ कर चुके हैं कि इलेक्ट्रोपैथी चिकित्सा पद्धति बंद नहीं की जाए. ऐसे में इसे पढ़ने वाले हजारों छात्र और पढ़ाने वाले शिक्षकों के भविष्य को प्रदेश सरकार अंधकार में क्यों करना चाहती है. लाहोटी ने जल्द से जल्द प्रदेश में इलेक्ट्रोपैथी चिकित्सा पद्धति लागू करने की मांग दोहराई. लाहोटी ने कहा कि इलेक्ट्रोपैथी चिकित्सा पद्धति लागू करने या नहीं करने का विषय राज्य की समवर्ती विषय में शामिल है. मतलब राज्य से अपने यहां लागू कर सकता है. ऐसे में प्रदेश को इस मामले में लीड लेना चाहिए. इस दौरान लाहोटी चिकित्सा शिक्षा से जुड़े अन्य विषयों पर भी सरकार की खामियां गिनाते हुए कुछ सुझाव दिए.
मेडिकल डॉक्टर के लिए बने अलग कैडर, फीस निर्धारण करें सरकारः अनिता भदेल
वहीं, अनुदान मांगों पर बोलते हुए भाजपा विधायक अनिता भदेल ने मेडिकल डॉक्टर के लिए बिल्कुल अलग कैडर बनाए जाने की भी मांग की, ताकि उनके वेतनमान अन्य कैडर से बिल्कुल अलग और ज्यादा हो इसके पीछे अनिता भदेल ने तर्क भी दिया और कहा कि डॉक्टरों की भर्ती निकलती है और बड़ी संख्या में डॉक्टर इसमें शामिल भी होते हैं, लेकिन जब पोस्टिंग दी जाती है तो कई डॉक्टर जॉइन नहीं करते, क्योंकि उन्हें मनचाही जगह पोस्टिंग नहीं मिलती और शहर में ही ज्यादा वेतन पर निजी अस्पतालों में नौकरी मिल जाती है. उन्होने कहा कि जब बच्चा निजी मेडिकल कॉलेज में 22 करोड़ रुपए की फीस देकर डॉक्टर बनेगा तो वह यही सोचेगा कि यह पैसा जल्द से जल्द निकाले, उसके लिए भी ज्यादा वेतन वाली जगह ही नौकरी करेगा. अनिता भदेल ने इलेक्ट्रोपैथी चिकित्सा पद्धति का भी समर्थन किया.