जयपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर (Ashok Gehlot writes to PM Modi) मांग की है कि आमजन को पूर्ण राहत देने के लिए केन्द्र सरकार की ओर से पेट्रोल और डीजल पर केन्द्रीय पूल की अतिरिक्त एक्साइज ड्यूटी (Excise Duty on Petrol Diesel) के साथ विशेष एक्साइज ड्यूटी को और कम किया जाए, ताकि आमजन को एक्साइज ड्यूटी एवं वैट में कमी का लाभ एक साथ मिल सके. साथ ही, उन्होंने तेल कम्पनियों को पेट्रोल-डीजल के मूल्य में निरन्तर वृद्धि पर रोक लगाने के लिए पाबंद करने का भी आग्रह करते हुए कहा कि तेल कम्पनियों द्वारा रोज-रोज की जा रही बढ़ोतरी से केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा आमजन को दी गई राहत का लाभ शून्य हो जाएगा.
पत्र में उन्होंने लिखा कि हमारी अपेक्षा है कि केन्द्र सरकार एक्साइज ड्यूटी में पेट्रोल पर अतिरिक्त 10 रूपए प्रति लीटर और डीजल पर अतिरिक्त 15 रूपए प्रति लीटर की कमी करे. केन्द्र की ओर से एक्साइज ड्यूटी कम करने पर प्रदेश के वैट में भी 3.4 रुपए प्रति लीटर पेट्रोल पर तथा 3.9 रुपए प्रति लीटर डीजल पर आनुपातिक रूप से स्वतः ही कम हो जाएंगे. इसके परिणामस्वरूप राज्य के राजस्व में 3500 करोड़ रुपए प्रतिवर्ष की अतिरिक्त हानि होगी जिसे जनहित में राज्य सरकार वहन करने के लिये तैयार है.
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गहलोत ने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा वर्ष 2016 से लगातार पेट्रोल-डीजल पर लगने वाली बेसिक एक्साइज ड्यूटी को कम कर राज्यों के साथ साझा किये जाने वाले हिस्से को घटा दिया गया. साथ ही विशेष और अतिरिक्त एक्साइज ड्यूटी जिसका कोई हिस्सा राज्यों को नहीं मिलता, उसे लगातार बढ़ाया गया. उन्होंने कहा कि अतिरिक्त एक्साइज ड्यूटी में वृद्धि और एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर डवलपमेंट सेस का लाभ केवल केन्द्रीय राजस्व को मिल रहा है, जबकि डिविजीबल पूल में आने वाली बेसिक एक्साइज ड्यूटी में उत्तरोत्तर कमी की गई है, इससे राज्यों को मिलने वाले करों के हिस्से में कमी आई है. उन्होंने कहा कि राज्यों के हिस्से में लगातार की जा रही कमी वित्तीय संघवाद (फिस्कल फेडरेलिज्म) के सिद्धांतों के विपरीत है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि लोकतंत्र में निर्वाचित सरकारों को प्रदेश के विकास और सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के लिए आवश्यक वित्तीय संसाधन जुटाने होते हैं. आमजन तक विकास योजनाओं का लाभ पहुंचाने में राज्यों की भौगोलिक स्थिति, आर्थिक परिदृश्य और स्थानीय परिस्थितियों का भी प्रभाव पड़ता है. इन परिस्थितियों में विभिन्न विकास योजनाओं के लिए आवश्यक राजस्व संग्रहण के लिए करारोपण करना राज्यों को संविधान द्वारा प्रदत्त अधिकार है. उन्होंने कहा कि केन्द्र द्वारा पेट्रोल-डीजल पर अतिरिक्त एक्साइज ड्यूटी और विशेष एक्साइज ड्यूटी को पहले अत्यधिक बढ़ाना एवं बाद में कम कर राज्यों से वैट कम कराने के लिए परस्पर प्रतिस्पर्धात्मक माहौल बनाना भी सहकारी संघवाद (कॉपरेटिव फेडरेलिज्म) की भावना के विपरीत है.
गहलोत ने कहा कि कोविड संक्रमण में लॉकडाउन के दौरान 6 मई, 2020 को केन्द्र सरकार ने पेट्रोल पर 10 रुपए और डीजल पर 13 रुपए प्रति लीटर एक्साइज ड्यूटी बढ़ाई थी. 4 नवम्बर, 2021 से पेट्रोल पर 5 रुपए और डीजल पर 10 रुपए कम कर जनता को राहत देने की बात की जा रही है. जबकि वास्तविकता यह है कि वर्ष 2021 में ही पेट्रोल की कीमत करीब 27 रुपए और डीजल की कीमत करीब 25 रुपए बढ़ी. अत्यधिक बढ़ाई गई अतिरिक्त एक्साइज ड्यूटी में से केवल कुछ छूट दी गई. ऐसे में, केन्द्र सरकार की ओर से एक्साइज ड्यूटी में की गई कटौती अपर्याप्त प्रतीत होती है.
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मुख्यमंत्री ने कहा कि राजस्थान राज्य के कुल राजस्व का 22 प्रतिशत से अधिक पेट्रोल-डीजल के वैट से आता है. वैट में कमी के रूप में राजस्थान सरकार 29 जनवरी, 2021 से अब तक लगभग 3 रुपए प्रति लीटर पेट्रोल पर साथ ही 3.8 रुपए प्रति लीटर डीजल पर कम कर चुकी है. इससे राज्य के राजस्व में 2800 करोड़ रुपए प्रतिवर्ष की हानि हो रही है. कोविड-19 की परिस्थितियों के कारण इस वित्तीय वर्ष में राज्य के राजस्व में माह अक्टूबर तक 20 हजार करोड़ रुपए की कमी आई है. केन्द्र द्वारा राज्य को 5963 करोड़ रुपए का जीएसटी पुनर्भरण उपलब्ध नहीं कराना भी इसका एक बड़ा कारण है. ऐसी स्थिति में भी हमारी सरकार ने कुशल वित्तीय प्रबन्धन से प्रदेश में विकास की गति को कम नहीं होने दिया. राज्य सरकार जन घोषणा तथा बजट में किए वादों को समयबद्ध रूप से पूरा करने के लिये तत्पर है. गहलोत ने प्रधानमंत्री से मांग की है कि केन्द्र सरकार की ओर से राज्य की बकाया जीएसटी पुनर्भरण राशि का शीघ्र भुगतान किया जाए साथ ही जीएसटी पुनर्भरण की अवधि वर्ष 2027 तक बढ़ाई जाए.