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केंद्र सरकार नहीं कर रही सहयोग इसलिए हो रही पैसों की दिक्कतः अशोक गहलोत

विधानसभा सदन में विनियोग विधेयक पर बहस के दौरान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया का जवाब दिया. इस दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि वसुंधरा राजे के कार्यकाल में केंद्र से मिलने वाले पैसों में बढ़ोतरी होने के चलते पिछली सरकार को परेशानी नहीं हुई. वहीं कहा कि पिछली सरकार ने एफआरबीएम एक्ट का उल्लंघन किया, जो वित्तीय अनुशासन हीनता का सबसे बड़ा उदाहरण है.

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Published : Mar 13, 2020, 11:32 PM IST

विधानसभा सदन की कार्यवाही, Legislative Assembly proceedings, Appropriation Bill
सदन में विनियोग विधेयक पर चर्चा के दौरान बोले गहलोत

जयपुर. विनियोग विधेयक पर बहस पर जवाब देते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शुक्रवार को नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया के विपक्ष के लोगों का सम्मान बनाये रखने की बात का जवाब दिया. गहलोत ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष की भावना की कद्र करना और लोकतंत्र को मजबूत करना ही सरकार की भावना है. उनसे हमारी व्यक्तिगत दुश्मनी नहीं है. हमारी लड़ाई विचारधारा और नीति सिद्धांतों की होती है. सदन में सबका मान सम्मान बनाए रखने में हमारी तरफ से कोई कमी नहीं रखी जाएगी. लेकिन कॉमन कॉज पर विपक्ष को सरकार का सहयोग करना चाहिए.

सदन में विनियोग विधेयक पर चर्चा के दौरान बोले गहलोत

उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र जैसे राज्य में पक्ष और विपक्ष मिलकर अपने राज्यों के हितों के लिए मिलकर प्रधानमंत्री तक से मिलते हैं. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि आंकड़े बता रहे हैं कि केंद्र सरकार ने राज्य का कितना फंड रोक रखा है और केंद्र जब ऐसा करता है तो हमें सदन में कहना पड़ता है.

ये पढ़ेंः सदन में बोलीं मंत्री ममता भूपेश, कहा- कुपोषित बच्चों को अतिरिक्त 75 ग्राम पोषाहार कराया जाता है उपलब्ध

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कटारिया से कहा कि, आपने पूर्व मुख्यमंत्री की तारीफ करते हुए कहा कि वह कभी पैसे की कमी की बात नहीं करती थी. वह पैसे कहां से लाती थी वह मैं बता रहा हूं वह चोरी नहीं करती थी. 2014-15 में केंद्र ने राज्य को मिलने वाले पैसे में बढ़ोतरी की और कंसोलिडेटेड फंड में सीधा पैसा राज्यों को दिया. उस वक्त राज्य को 74 हजार करोड़ मिले. जबकि 2015 -16 में 93 हजार करोड़ मिले इसलिए भजपा की सरकार का काम चल गया. अब हमारी सरकार के समय क्योंकि केंद्र ने पैटर्न बदल दिया इसीलिए दिक्कत आ रही है.

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि भाजपा राज में पूरे 5 साल तक रेवेन्यू डेफिसिट रखा गया, जबकि हमारी सरकार ने आते ही रिवेन्यू डिफिसिट को कम किया. हमने पिछली बार 27 हजार 14 करोड़ और इस बार 12 हजार 345 करोड़ रेवेन्यू डेफिसिट कम किया है. हमारी सरकार में सिस्टम मैनेजमेंट ठीक रहा, भाजपा राज में एक बार भी एफआरबीएम एक्ट के प्रावधानों के मुताबिक कर्ज नहीं रहा. यह भाजपा राज के वित्तीय अनुशासन हीनता का एक उदाहरण है. वहीं चुनावी बांड को आज एक बार फिर उन्होंने देश का सबसे बड़ा स्कैम बताते हुए उसे पॉलीटिकल स्कैम का नाम दिया.

जयपुर. विनियोग विधेयक पर बहस पर जवाब देते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शुक्रवार को नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया के विपक्ष के लोगों का सम्मान बनाये रखने की बात का जवाब दिया. गहलोत ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष की भावना की कद्र करना और लोकतंत्र को मजबूत करना ही सरकार की भावना है. उनसे हमारी व्यक्तिगत दुश्मनी नहीं है. हमारी लड़ाई विचारधारा और नीति सिद्धांतों की होती है. सदन में सबका मान सम्मान बनाए रखने में हमारी तरफ से कोई कमी नहीं रखी जाएगी. लेकिन कॉमन कॉज पर विपक्ष को सरकार का सहयोग करना चाहिए.

सदन में विनियोग विधेयक पर चर्चा के दौरान बोले गहलोत

उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र जैसे राज्य में पक्ष और विपक्ष मिलकर अपने राज्यों के हितों के लिए मिलकर प्रधानमंत्री तक से मिलते हैं. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि आंकड़े बता रहे हैं कि केंद्र सरकार ने राज्य का कितना फंड रोक रखा है और केंद्र जब ऐसा करता है तो हमें सदन में कहना पड़ता है.

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मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कटारिया से कहा कि, आपने पूर्व मुख्यमंत्री की तारीफ करते हुए कहा कि वह कभी पैसे की कमी की बात नहीं करती थी. वह पैसे कहां से लाती थी वह मैं बता रहा हूं वह चोरी नहीं करती थी. 2014-15 में केंद्र ने राज्य को मिलने वाले पैसे में बढ़ोतरी की और कंसोलिडेटेड फंड में सीधा पैसा राज्यों को दिया. उस वक्त राज्य को 74 हजार करोड़ मिले. जबकि 2015 -16 में 93 हजार करोड़ मिले इसलिए भजपा की सरकार का काम चल गया. अब हमारी सरकार के समय क्योंकि केंद्र ने पैटर्न बदल दिया इसीलिए दिक्कत आ रही है.

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि भाजपा राज में पूरे 5 साल तक रेवेन्यू डेफिसिट रखा गया, जबकि हमारी सरकार ने आते ही रिवेन्यू डिफिसिट को कम किया. हमने पिछली बार 27 हजार 14 करोड़ और इस बार 12 हजार 345 करोड़ रेवेन्यू डेफिसिट कम किया है. हमारी सरकार में सिस्टम मैनेजमेंट ठीक रहा, भाजपा राज में एक बार भी एफआरबीएम एक्ट के प्रावधानों के मुताबिक कर्ज नहीं रहा. यह भाजपा राज के वित्तीय अनुशासन हीनता का एक उदाहरण है. वहीं चुनावी बांड को आज एक बार फिर उन्होंने देश का सबसे बड़ा स्कैम बताते हुए उसे पॉलीटिकल स्कैम का नाम दिया.

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