जयपुर. गुर्जर आरक्षण मामले को लेकर खेल मंत्री अशोक चांदना ने कहा कि जब वार्ता में सब कुछ तय हो चुका है तो आखिर सहमति क्यों नहीं बन पा रही है. गुर्जरों के दो गुटों में बंटे होने को भी अशोक चांदना ने खारिज किया और कहा कि गुर्जर एक हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि समस्या का सामाधान मिलने और बात करने से ही होगा.
सोमवार को विधानसभा की कार्यवाही में भाग लेने के लिए पहुंचे अशोक चांदना ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि रविवार को कर्नल साहब ने सबके सामने फोन कर मुझे बुलाया था. उन्होंने कहा था कि आप यहां आइए और उनके सामने बात कीजिए. जिससे सभी लोग संतुष्ट हो जाए. जब मैं वहां पहुंचा तो पता चला कि कर्नल साहब की तबीयत ठीक नहीं है. इसलिए उनसे मुलाकात नहीं हो पाई.
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साथ ही खेल मंत्री ने कहा कि मैंने गुर्जरों को शांतिपूर्ण तरीके से बात करने को कहा है. पहले भी उन्हें जयपुर बुलाया गया था लेकिन वह आए नहीं, हम वहां भी गए लेकिन कोई मिला नहीं. मिलने और बात करने से ही समस्या का समाधान होगा.
खेल मंत्री ने कहा- समाधान निकला हुआ है, उनकी मांगें मान ली गई है
चांदना ने कहा कि वैसे तो समाधान निकला हुआ है, उनकी 14 मांगे मान ली गई है. उसमें नौकरियों से लेकर शहीद परिवारों और रिजर्व पदों को लेकर फैसला हो चुका है. इससे ज्यादा कुछ बचा नहीं है. आज तक कांग्रेस सरकार और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जो वादे किए हैं, वह सब पूरे किए हैं.
बात तो करनी पड़ेगी, सरकार पर विश्वास करना चाहिए
वहीं समाधान होने के बावजूद विश्वास बहाली नहीं हो पाने के सवाल पर मंत्री चांदना ने कहा कि कुछ चीजें अपना समय लेती है और समय से पहले पूरी नहीं होती. आरक्षण का फायदा चाहे, वह 1% हो या 5% अशोक गहलोत का दिया हुआ है, इसलिए निश्चित तौर पर गुर्जरों को विश्वास करना चाहिए. मैं बयाना और पीलूपुरा पटरी पर भी जाने वाला था लेकिन रात के समय ट्रैफिक ज्यादा था. इसलिए मैं वहां जा नहीं पाया. गुर्जरों को आकर बताना चाहिए कि कहां समस्या आ रही है, तभी उस समस्या का समाधान निकलेगा. बात तो करनी पड़ेगी चाहे यहां आकर करें या वहां बुलाकर की जाए.
गुर्जरों में फूट से इंकार
उन्होंने कहा कि विजय बैंसला को भी फोन किया गया था. उन्होंने कहा था कि मैं बताता हूं और अभी तक उनका कोई फोन नहीं आया. जब अशोक चांदना से पूछा गया कि आरक्षण को लेकर गुर्जर बंट गए हैं तो उन्होंने कहा कि गुर्जर बंटे नहीं है. गुर्जर एक है. जो गुट संतुष्ट है, वह तो कहेगा ही कि संतुष्ट है. जब वार्ता की तो पटरी पर कोई नहीं था और जब पटरी पर है तो उससे पहले वार्ता हो चुकी है.
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चांदना ने कहा कि जिस गांव में ही आंदोलन होता है, उस गांव के लोगों को पीड़ा और परेशानी होती है. इसलिए उस गुट ने वार्ता की थी. सरकार ने गुर्जरों की सभी मांगें मान ली है, अब कुछ बचा नहीं है.