ETV Bharat / city

आशा सहयोगिनियों ने स्थायीकरण और मानदेय बढ़ाने को उठाई आवाज, कड़ाके की सर्दी में धरने पर बैठीं

स्थायीकरण और मानदेय बढ़ोतरी की मांग को लेकर आंदोलन कर रहीं आशा सहयोगिनियों का धरना शनिवार को चौथे दिन भी जारी रहा. उनका कहना है कि सरकार की तरफ से उनकी मांगों को लेकर उन्हें कोई भरोसा नहीं दिया जा रहा है. ऐसे में उन्होंने आंदोलन तेज करने की चेतावनी दी है.

asha sahyogini protest in jaipur, enhancement of honorarium
कड़ाके की सर्दी में आशा सहयोगिनियों का धरना
author img

By

Published : Dec 26, 2020, 6:05 PM IST

जयपुर. स्थायीकरण और मानदेय में बढ़ोतरी और अन्य मांगों को लेकर प्रदेशभर की आशा सहयोगिनियां जयपुर में डेरा जमाए हुए हैं. यहां गांधीनगर स्थित महिला एवं बाल अधिकारिता विभाग के कार्यालय के बाहर आज लगातार चौथे दिन आशा सहयोगिनियों का धरना जारी रहा. आशाओं का कहना है कि चार दिन बीतने के बाद भी उनकी मांगों को लेकर सरकार और विभाग के अधिकारी गंभीरता नहीं दिखा रहे हैं. उनका कहना है कि करीब 17 साल से वे न्यूनतम मानदेय पर काम कर रही हैं. अभी भी उन्हें हर महीने मानदेय के तौर पर महज 2700 रुपए मिल रहे हैं, जिसमें घर का खर्च चलाना संभव नहीं है.

कड़ाके की सर्दी में आशा सहयोगिनियों का धरना

आशा सहयोगिनियों का कहना है कि वे स्वास्थ्य विभाग और महिला एवं बाल विकास विभाग दोनों की योजनाओं के धरातल पर क्रियान्वयन में अहम भूमिका निभाती हैं. आंदोलन कर रही आशाओं की मांग है कि उन्हें एक विभाग में जिम्मेदारी देकर स्थायी किया जाए. इसके साथ ही उन्होंने मानदेय बढ़ाकर 18 हजार रुपए करने, ऑनलाइन काम काज के लिए मोबाइल और मोबाइल डाटा दिलवाने की भी मांग रखी है. उनका कहना है कि यदि उनकी मांगों पर सरकार गौर नहीं करती है, तो सोमवार से वे आंदोलन तेज करेंगी.

यह भी पढ़ें- रंग लाई मेहनत... आरजेएस परीक्षा पास कर दूध बेचने वाले की बेटी बनी जज

वहीं महिला एवं बाल विकास विभाग के सचिव केके पाठक का कहना है कि आशाओं के मानदेय में बढ़ोतरी की मांग को लेकर विभाग की ओर से सहानुभूतिपूर्वक विचार किया जा रहा है, लेकिन तत्काल सड़क पर उतारने से मुद्दों हल नहीं निकलता है. उन्होंने प्रदर्शनकारी आशाओं से धरना खत्म करने की भी अपील की है.

जयपुर. स्थायीकरण और मानदेय में बढ़ोतरी और अन्य मांगों को लेकर प्रदेशभर की आशा सहयोगिनियां जयपुर में डेरा जमाए हुए हैं. यहां गांधीनगर स्थित महिला एवं बाल अधिकारिता विभाग के कार्यालय के बाहर आज लगातार चौथे दिन आशा सहयोगिनियों का धरना जारी रहा. आशाओं का कहना है कि चार दिन बीतने के बाद भी उनकी मांगों को लेकर सरकार और विभाग के अधिकारी गंभीरता नहीं दिखा रहे हैं. उनका कहना है कि करीब 17 साल से वे न्यूनतम मानदेय पर काम कर रही हैं. अभी भी उन्हें हर महीने मानदेय के तौर पर महज 2700 रुपए मिल रहे हैं, जिसमें घर का खर्च चलाना संभव नहीं है.

कड़ाके की सर्दी में आशा सहयोगिनियों का धरना

आशा सहयोगिनियों का कहना है कि वे स्वास्थ्य विभाग और महिला एवं बाल विकास विभाग दोनों की योजनाओं के धरातल पर क्रियान्वयन में अहम भूमिका निभाती हैं. आंदोलन कर रही आशाओं की मांग है कि उन्हें एक विभाग में जिम्मेदारी देकर स्थायी किया जाए. इसके साथ ही उन्होंने मानदेय बढ़ाकर 18 हजार रुपए करने, ऑनलाइन काम काज के लिए मोबाइल और मोबाइल डाटा दिलवाने की भी मांग रखी है. उनका कहना है कि यदि उनकी मांगों पर सरकार गौर नहीं करती है, तो सोमवार से वे आंदोलन तेज करेंगी.

यह भी पढ़ें- रंग लाई मेहनत... आरजेएस परीक्षा पास कर दूध बेचने वाले की बेटी बनी जज

वहीं महिला एवं बाल विकास विभाग के सचिव केके पाठक का कहना है कि आशाओं के मानदेय में बढ़ोतरी की मांग को लेकर विभाग की ओर से सहानुभूतिपूर्वक विचार किया जा रहा है, लेकिन तत्काल सड़क पर उतारने से मुद्दों हल नहीं निकलता है. उन्होंने प्रदर्शनकारी आशाओं से धरना खत्म करने की भी अपील की है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.