जयपुर. स्थायीकरण और मानदेय में बढ़ोतरी और अन्य मांगों को लेकर प्रदेशभर की आशा सहयोगिनियां जयपुर में डेरा जमाए हुए हैं. यहां गांधीनगर स्थित महिला एवं बाल अधिकारिता विभाग के कार्यालय के बाहर आज लगातार चौथे दिन आशा सहयोगिनियों का धरना जारी रहा. आशाओं का कहना है कि चार दिन बीतने के बाद भी उनकी मांगों को लेकर सरकार और विभाग के अधिकारी गंभीरता नहीं दिखा रहे हैं. उनका कहना है कि करीब 17 साल से वे न्यूनतम मानदेय पर काम कर रही हैं. अभी भी उन्हें हर महीने मानदेय के तौर पर महज 2700 रुपए मिल रहे हैं, जिसमें घर का खर्च चलाना संभव नहीं है.
आशा सहयोगिनियों का कहना है कि वे स्वास्थ्य विभाग और महिला एवं बाल विकास विभाग दोनों की योजनाओं के धरातल पर क्रियान्वयन में अहम भूमिका निभाती हैं. आंदोलन कर रही आशाओं की मांग है कि उन्हें एक विभाग में जिम्मेदारी देकर स्थायी किया जाए. इसके साथ ही उन्होंने मानदेय बढ़ाकर 18 हजार रुपए करने, ऑनलाइन काम काज के लिए मोबाइल और मोबाइल डाटा दिलवाने की भी मांग रखी है. उनका कहना है कि यदि उनकी मांगों पर सरकार गौर नहीं करती है, तो सोमवार से वे आंदोलन तेज करेंगी.
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वहीं महिला एवं बाल विकास विभाग के सचिव केके पाठक का कहना है कि आशाओं के मानदेय में बढ़ोतरी की मांग को लेकर विभाग की ओर से सहानुभूतिपूर्वक विचार किया जा रहा है, लेकिन तत्काल सड़क पर उतारने से मुद्दों हल नहीं निकलता है. उन्होंने प्रदर्शनकारी आशाओं से धरना खत्म करने की भी अपील की है.